ABSTRACT:
मन की गति बड़ी चंचल है व इसे जीतना बड़ा मुश्किल है तथा इसकी गति वायु से तीव्र है। यह एक आन्तरिक इन्द्रिय है जो हमें सुख दुःख का ज्ञान देती है। इसे अभ्यास एवं वैराग्य द्वारा जीता जा सकता है।
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राजेश त्रिपाठी. मनोनिग्रह. International Journal of Advances in Social Sciences. 2025; 13(2):66-8. doi: 10.52711/2454-2679.2025.00010
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राजेश त्रिपाठी. मनोनिग्रह. International Journal of Advances in Social Sciences. 2025; 13(2):66-8. doi: 10.52711/2454-2679.2025.00010 Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2025-13-2-4
संदर्भ ग्रंथ सूची:-
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