Author(s): अजय कुमार बघेल

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DOI: 10.52711/2454-2679.2025.00016   

Address: अजय कुमार बघेल
सहायक प्राध्यापक, समाजशास्त्र विभाग, नवीन शासकीय महाविद्यालय, अकलतरी बिलासपुर, छत्तीसगढ़, भारत
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 13,      Issue - 2,     Year - 2025


ABSTRACT:
बैगा जनजाति मध्यप्रांत के जनजातियों में विशेष स्थान रखता है। इस जनजाति के विकास स्तर को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने इसे विशेष पिछड़ी जनजाति समूह में रखा है। विशेष पिछड़ी जनजाति होने के कारण बैगा जनजाति को सरकार का सरक्षण प्राप्त है जिसके फलस्वरूप इस जनजाति के लिए अनेक शासकीय योजनाये चलाये जा रहें है। बैगा जनजाति जितनी प्राचीन जनजाति है उतनी ही प्राचीन बैगाओं की संस्कृति भी है। विकास की दृष्टि से बैगा छत्तीसगढ़ की सबसे पिछड़ी जनजातियों में से एक हैं। साथ ही ये अपनी आदिमता के अंतिम चरण में हैं। बैगा पारंपरिक रूप से सामूहिक जीवन जीने के आदी हैं। बैगाओं की सामाजिक संरचना आंतरिक रूप से काफी सुव्यवस्थित और संगठित है। बैगा समाज पुरुष प्रधान है, लेकिन आदिम बैगा समाज आंतरिक रूप से अन्य विकसित समाजों की तुलना में महिलाओं को अधिक स्वायत्तता, स्वतंत्रता और आजादी प्रदान करता किसी भी समाज की आर्थिक व्यवस्था समाज का महत्वपूर्ण अंग होती है। द्वितीयक तथ्यों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट है कि बैगा जनजाति की सामाजिक-आर्थिक स्थिति आधुनिकता के इस युग से कोसों दूर है तथा सरकार के प्रयासों के बावजूद भी यह आज भी काफी पिछड़ी हुई है तथा इसके क्षेत्रों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है ।


Cite this article:
अजय कुमार बघेल. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बैगा जनजातिः सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति छत्तीसगढ़ के सन्दर्भ में. International Journal of Advances in Social Sciences. 2025; 13(2):102-5. doi: 10.52711/2454-2679.2025.00016

Cite(Electronic):
अजय कुमार बघेल. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बैगा जनजातिः सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति छत्तीसगढ़ के सन्दर्भ में. International Journal of Advances in Social Sciences. 2025; 13(2):102-5. doi: 10.52711/2454-2679.2025.00016   Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2025-13-2-10


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