Author(s):
सोनिया गोस्वामी
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श्रीमती सोनिया गोस्वामी
Research Scholor, Department of Hindi, Govt. D. B. Girls P. G. college, Raipur
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 3,
Issue - 2,
Year - 2015
ABSTRACT:
धनी धर्मदास संत कबीर की निर्गुण काव्य धारा के प्रमुख संत है तथा संत परम्परा को आगे बढ़ाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। धनी धर्मदास संत कबीर के प्रधान शिष्य और कबीर पंथ के प्रवत्र्तक माने जाते है। डा. राम रतन भटनागर के मतानुसार “छत्तीसगढ़ में कबीर पंथ के प्रवत्र्तक धर्मदास है।”1
धनी धर्मदास का जन्म संवत् 1452 कि. में बांधोगढ़ के प्रसिद्ध वैष्य मनमहेश जी के घर में हुआ था। इनका विवाह पथरहट नगर की कन्या सुलक्षणावती के साथ संवत् 1480 वि. में हुआ था। सुलक्षणावती को कबीरपंथ में आमिनमाता के नाम से भी जाना जाता है। संवत् 1520 वि. में बांधोगढ़ में विशाल जनसमूह के समक्ष धर्मदास जी ने अपनी पत्नी के साथ सद्गुरू कबीर से दीक्षा प्राप्त की थी। इनकी अनन्य और अडिग भक्ति से प्रसन्न होकर संत कबीर ने उन्हंे अपना प्रधान उत्तराधिकारी शिष्य बनाया और अटल बयालीस वंश तक कबीरपंथ की गुरूवाई का आशीर्वाद प्रदान किया था।
Cite this article:
सोनिया गोस्वामी. छत्तीसगढ़ के प्रथम संत कविः धनी धर्मदास.
Int. J. Ad. Social Sciences 3(2): April-June, 2015; Page 58-60
Cite(Electronic):
सोनिया गोस्वामी. छत्तीसगढ़ के प्रथम संत कविः धनी धर्मदास.
Int. J. Ad. Social Sciences 3(2): April-June, 2015; Page 58-60 Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2015-3-2-2