ABSTRACT:
यदि ‘महिला सशक्तिकरण’ को सचमुच समझना चाहते हैं तो इसे ‘थेरीगाथा’ से उद्धृत निम्न कविता से समझा जा सकता है:
‘‘एक पूर्ण मुक्तवादी ! मैं कितनी मुक्त
कितने आश्चर्यजनक रूप से मुक्त
रसोई के खटराग से मुक्त
ठनठनाते खाने के बरतनों से मुक्त
मुक्त उस बेईमान आदमी से ।’’
लगभग 2500 वर्ष पहले महिलाओं द्वारा लिखी गयी इस कविता में स्त्रियों की मुक्ति-कामना को तरह-तरह से व्यक्त किया गया है जो भी बंधन उसे बंधता है, उसे वह तोड़ देना चाहती है । पूर्ण रूप से मुक्त होना चाहती है, लेकिन है वह विवश! बावजूद इसके वह मुक्त होना चाहती है । फिलीपीन की सूजन मैगनों की कविता ‘थेरीगाथा’ से भी आगे की बात करती है:
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बृजेन्द्र पाण्डेय. ‘महिला सशक्तिकरण’ की अवधाराणा और हिंदी. Int. J. Ad. Social Sciences 3(2): April-June, 2015; Page 97-100.
Cite(Electronic):
बृजेन्द्र पाण्डेय. ‘महिला सशक्तिकरण’ की अवधाराणा और हिंदी. Int. J. Ad. Social Sciences 3(2): April-June, 2015; Page 97-100. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2015-3-2-12