Author(s): डी.पी. चन्द्रवंशी

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Address: प्रो. डी.पी. चन्द्रवंशी सहायक प्राध्यापक हिन्दी विभाग, शास. जे.एम.पी. महाविद्यालय तखतपुर, बिलासपुर (छ.ग.) ’ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू

Published In:   Volume - 3,      Issue - 2,     Year - 2015


ABSTRACT:
समकालीन हिन्दी कहानी एक नये वेग, नयी वेश-भूषा, और नई तकनीक एवं विचारधारा के साथ आगे बढ़ी है। समकालीन कहानी में पुराने - नए सभी कहानीकार अविराम गति से कहानी - साहित्य का सृजन करते रहे है। जीवन में जटिल और व्यापक यथार्थ की सीधी और बेबाक अभिव्यक्ति समकालीन कहानी की विशेषता है। इसमें जहाँ शिल्प की नीवनता है भाव बोध और उद्देश्य की नवीनता है, वहीं भाषागत नवीनता भी विद्यमान है। आज की कहानी बदली हुई मानसिकता की कहानी है। समकालीन कहानीकार अनुभुत सत्य के प्रति अधिक आग्रह रखता है। अनेक नारों अैर वादों से निकलकर समकालीन कहानी पुनः अपने सहज और सन्तुलित रूप को प्राप्त कर रही है विसंगतियों से सीधा साक्षात्कार करती हुई समकालीन कहानियाँ जीवन के भोगे हुए सत्यों को ईमानदारी व प्रखरता के साथ अभिव्यक्त करती हुई प्रगति पथ पर अग्रसर है।


Cite this article:
डी.पी. चन्द्रवंशी. समकालीन हिन्दी कहानी का नया रचनात्मक मोड़ स्वरूप एवं संभावनाएँ. Int. J. Ad. Social Sciences 3(2): April-June, 2015; Page 66-70

Cite(Electronic):
डी.पी. चन्द्रवंशी. समकालीन हिन्दी कहानी का नया रचनात्मक मोड़ स्वरूप एवं संभावनाएँ. Int. J. Ad. Social Sciences 3(2): April-June, 2015; Page 66-70   Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2015-3-2-4


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