ABSTRACT:
महात्मा गांधी बचपन सें ही स्वच्छता के प्रति जागरूक थे। उन्होंने किसी भी सभ्य और विकसित मानव समाज के लिए स्वच्छता के उच्च मानदंड की आवश्यकता को समझा। उनके लिए स्वच्छता एक बहुत महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा था। उन्होंने स्कूली और उच्च शिक्षा के पाठयक्रमों में स्वच्छता को तुरंत शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। 20 मार्च 1916 को गुरूकुल कांगड़ी में दिए गए भाषण में उन्होने कहा था-गुरूकुल के बच्चों के लिए स्वच्छता और सफाई के नियमों के ज्ञान के साथ ही उनका पालन करना भी प्रशिक्षण का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। 1920 में गांधीजी ने गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की। यह विद्यापीठ आश्रम की जीवन पद्धति पर आधारित था। इसलिए वहां शिक्षकों, छात्रों और अन्य स्वयं सेवकों एवं कार्यकर्ताओ को प्रारंभ से ही स्वच्छता के कार्य में लगाया जाता था। जब वह दक्षिण अफ्रीका से लौटे तो बाल गंगाधर तिलक से मिलने पुणे गए, उन्हे जहां ठहराया गया, उस घर में शौचालय की जब उन्होंने खुद ही सफाई की तो लोग दंग रह गए। इसके बाद कोलकाता में शंाति निकेतन में भी उन्होंने न केवल ऐसा फिर किया बल्कि वहां के छात्रों को भी पे्ररित किया। कांग्रेस के करीब-करीब हर सम्मेलन में दिए अपने भाषण में गंाधीजी स्वच्छता के मामले उठाते थे। अप्रेल 1924 में उन्होने दाहोद शहर के कांग्रेस सदस्यो को अच्छी साफ सफाई रखने के लिए बधाई दी और सुझाव दिया कि वह अछूत समझे जाने वाले समुदाय के इलाकों मे जाकर स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाएं। गंाधीजी मानते थे कि नगरपालिका एवं पंचायतो की भूमिका इस कार्य मे महत्वपूर्ण होगी। उन्होने गांव और शहर में रहने वाले सभी लोगों को प्राथमिक शिक्षा के लिए, घर-घर चरखा पहुंचाने के लिए, संगठित रूप से साफ सफाई के लिए पंचायत और नगरपालिका जिम्मेदार होनी चाहिए। 21 दिसंबर 1924 को बेलगांव में उन्होंने कहा था कि-हमंे पश्चिम मे नगरपालिकाओं द्वारा की जाने वाली सफाई व्यवस्था से सीख लेनी चाहिए, पश्चिमी देशांे ने स्वच्छता और सफाई विज्ञान को किस तरह विकसित किया है उससे हमें काफी कुछ सीखना चाहिए, पीने के पानी के स्त्रोतो की उपेक्षा जैसे अपराध को रोकना होगा। गांधीजी की नजर में आजादी से भी महत्वपूर्ण सफाई थी ।
Cite this article:
डिश्वर नाथ खुटे. महात्मा गांधी की दृष्टि में स्वच्छता. Int. J. Ad. Social Sciences. 2018; 6(3): 160-165.
Cite(Electronic):
डिश्वर नाथ खुटे. महात्मा गांधी की दृष्टि में स्वच्छता. Int. J. Ad. Social Sciences. 2018; 6(3): 160-165. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-3-3