ABSTRACT:
बच्चों में बढ़ती अपराध की प्रवृति दिन पर दिन बढ़ती जा रही है । कहा भी गया है कि अपराधी बनाये नही बन जाते है। अधिक लाड़ प्यार में बच्चों की उचित व अनुचित मांगो को पूरा करना भी ऐसी बातें है जो बालक को प्र्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बाल अपराध की ओर प्रेरित करता है। कुछ बातों का संबंध बच्चे की उम्र के साथ होता है, यदि किसी बच्चे की मां अथवा पिता की मृत्यु उसके बचपन में ही हो जाये तो वात्यलय प्रेम से वंचित रहने के कारण बच्चा बड़ा होकर अपराध एवं नशे की लत की ओर आकृश्ट हो जाता है और इस प्रकार उसमें अनेक अपराध की प्रवृति पैदा हो जाती है आधुनिक समाज में संक्रमण शीलता के विस्तार, औद्योगीकरण के कारण सामाजिक संरचना, सामाजिक मुल्यों में परिवर्तन के पारिवारिक एवं सामुदायिक विघटन तेजी से हो रहा है। बाल अपराध मुलतः इन्ही परिस्थितियों की देन है।
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व्ही. सेनगुप्ता, के.पी. कुर्रे. समाज में बढ़ता बाल अपराध दोशी कौन ?. Int. J. Ad. Social Sciences 3(3): July- Sept., 2015; Page 111-113.
Cite(Electronic):
व्ही. सेनगुप्ता, के.पी. कुर्रे. समाज में बढ़ता बाल अपराध दोशी कौन ?. Int. J. Ad. Social Sciences 3(3): July- Sept., 2015; Page 111-113. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2015-3-3-3