ABSTRACT:
छत्तीसगढ़ में पर्यटन की अपार संभवनाएँ है। शोध एवं अनुसंधान की दृष्टिकोण से वैज्ञानिक पहलुओं का ध्यान रखते हुए मानचित्रों का उपयोग कर पर्यटन के अनेक पहलुओं का अध्ययन आवष्यक है। पर्यटन में भाषाओं से संबंधित तत्वों का अध्ययन, भौगोलिक तत्वों को ध्यान में रखकर किया जाता है। किसी स्थान और उनके निवासियों की संस्कृति, सुरूचि, परम्परा, जलवायु, पर्यावरण और विकास के स्वरूप विस्तृत ज्ञान प्राप्त करने और उसके विकास में सहयोग करने वाले पर्यटन को पर्यटन भूगोल के अंतर्गत अध्ययन करते है। पर्यटन स्थल पर अनेक प्रकार के सामाजिक तथा व्यापारिक समूह मिलकर कार्य करते है जिसमें पर्यटक और निवासी दोनों महत्वपूर्ण हो जाते है। इसमें दोनों को ही व्यापार और आर्थिक विकास के अवसर मिलते है। स्थानीय वस्तुओं, कलाओं और उत्पादन को नये बाजार मिलते है और मानवता के विकास की दिषाए खुलती है। पर्यटन स्थल के राजनैतिक, सामाजिक और प्राकृतिक कारणों का बहुत महत्वपूर्ण होता है इसके लिए आवष्यक मानचित्र उपकरणों की आवष्यकता होती है। प्राचीन काल से ही पर्यटन की भौगोलिक विकास प्रारंभ हुआ और आर्थिक, धार्मिक, एवं सांस्कृतिक कारणों को जानने का अवसर प्राप्त हुआ। अनेक धर्मों और मान्यताओं का विकास हुआ
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के. एस. गुरूपंच. छत्तीसगढ़ में पर्यटन विकास. International Journal of Advances in Social Sciences. 2022; 10(1):12-4.
Cite(Electronic):
के. एस. गुरूपंच. छत्तीसगढ़ में पर्यटन विकास. International Journal of Advances in Social Sciences. 2022; 10(1):12-4. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2022-10-1-3
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