ABSTRACT:
व्यक्ति और समाज को बेहतर बनाने का सर्वाधिक सार्थक मंच शिक्षा संस्थान है। शिक्षा का मूल उद्देश्य श्रेष्ठ एवं गुणी मनुष्य निर्मित करना है, लेकिन भूमंडलीकरण एव उदारीकरण के इस युग में रोजगार मूलक शिक्षा व्यवस्था के साथ नई शिक्षा प्रणाली को विकसित करना होगा, जिससे विचारों का विकास हो, इसके लिए हमारी ‘उच्च शिक्षा’ में व्यवसायिक पाठ्यक्रमों और गुणवत्ता वाली शिक्षा का विस्तार होना चाहिए। 5 अक्टूबर 1998 को पेरिस में ‘उच्च शिक्षा’ पर विश्व अधिवेशन का आयोजन हुआ जिसका केन्द्रीय उद्देश्य उच्च शिक्षा के संबंध में भविष्य के लिए विश्वस्तरीय रूपरेखा तैयार करना था। इस अधिवेशन में भारत की भागीदारी काफी महत्वपूर्ण थी क्योंकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारत का काफी लम्बा अनुभव है। 80 से 90 के दशक के आरंभ में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशनों के निष्कर्षों में से एक तथ्य अधिक ध्यान देने योग्य है कि ‘‘अच्छी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा उपलब्ध कराने का दायित्व विकासशील देशों में शासन का है क्योंकि श्रेष्ठ ‘उच्च शिक्षा‘ इन्हीं के सुदृढ़ आधार पर प्रदान की जा सकती है।
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Sunita Jain. उच्च शिक्षा एवं आर्थिक विकास. Int. J. Ad. Social Sciences 3(1): Jan. –Mar., 2015; Page 06-12
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Sunita Jain. उच्च शिक्षा एवं आर्थिक विकास. Int. J. Ad. Social Sciences 3(1): Jan. –Mar., 2015; Page 06-12 Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2015-3-1-3