Author(s): V. Sengupta, R.K. Panday

Email(s): Email ID Not Available

DOI: Not Available

Address: Dr. V. Sengupta, R.K. Panday Assistant Professor Sociology, Govt. T.C.L. P.G. College, Janjgir (C.G.) *Corresponding Author

Published In:   Volume - 2,      Issue - 1,     Year - 2014


ABSTRACT:
स्वतंत्रता के पश्चात् भारतीय नारी की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आया। वह घर की चारदिवारी से बाहर निकलकर देष के बहुआयायामी विकास में अमुल्य योगदान देने लगी। आज हमारे देश की नारियां राजनितिक सामाजिक, आर्थिक सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और शैक्षिक सभी क्षेत्रो में आगे बढ़ रही है। सादियो से शोषित एवं पददलित नारी पुरूष प्रधान समाज के प्रभाव से मुक्त होकर आर्थिक राजनैतिक और सामाजिक दासता से निकलकर स्वछच्छंद जीवन का विकास करने की सुविधाएं प्राप्त कर रही है। राजनैतिक क्षेत्र:- ब्रिटिश शासन काल में भारतीय नारियों की राजनैतिक स्थिति ठीक नही थी। 1920 पूर्व उसे बोट देने काअकधकार नही था और नही वह किसी पद के उम्मीदवार हो सकती थी । भारतीय नारियों को सक्रिय राजनीतिक के आंगन में लाने का श्रेय विष्व बंधु बापु को जाता है, जिन्होने नारियो को अहिंसा युक्त आंदोलनो में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।


Cite this article:
V. Sengupta, R.K. Panday. स्वतंत्र भारत में नारी की स्थिति . Int. J. Ad. Social Sciences 2(1): Jan. –Mar., 2014; Page 71-72.

Cite(Electronic):
V. Sengupta, R.K. Panday. स्वतंत्र भारत में नारी की स्थिति . Int. J. Ad. Social Sciences 2(1): Jan. –Mar., 2014; Page 71-72.   Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2014-2-1-19


Recomonded Articles:

Author(s): V. Sengupta, R.K. Panday

DOI:         Access: Open Access Read More

International Journal of Advances in Social Sciences (IJASS) is an international, peer-reviewed journal, correspondence in the fields....... Read more >>>

RNI:                      
DOI:  

Popular Articles


Recent Articles




Tags