ABSTRACT:
वर्तमान काल में मानव के समक्ष सर्वाधिक जवलन्त समस्या आर्थिक एवं प्रादेषिक विकास को गति प्रदान करने की है। विकसित देषों की अपेक्षा विकासषील देषांे में यह समस्या और भी गम्भीर है। इन देषांे के पास संसाधनों के विकास के लिए पूूंजी एवं आधुनिक तकनीकी ज्ञान सीमित हैं। इनकी कमी के कारण विकासषील देष अपने संसाधनों का समुचित उपयोग व विकास नहीं कर पा रहे हैं। फलस्वरूप उनके पास समस्याआंे का अम्बार है। ये देष इन समस्याओं से निजात पाने एवं समय से प्रादेषिक विकास करने के लिए प्रयत्नषील हैं। प्रदेषिक विकास के विभिन्न उपागमों में वृद्धि ध्रुव विकास केन्द्र एवं सेवा केन्द्रांे की संकल्पना को अपेक्षाकृत अधिक महत्व दिया जा रहा है। क्योंकि विभिन्न देष में अध्ययनों एवं प्रयोगों के आधार पर इनकी सार्थकता आर्थिक एवं प्रादेषिक विकास में प्रमाणित हो चुकी है।
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अजीत कुमार यादव. सेवा केन्द्र एवं समन्वित ग्रामीण विकास का संकल्पनात्मक पृष्ठभूमि. Int. J. Ad. Social Sciences 2(4): Oct. - Dec., 2014; Page 224-232.
Cite(Electronic):
अजीत कुमार यादव. सेवा केन्द्र एवं समन्वित ग्रामीण विकास का संकल्पनात्मक पृष्ठभूमि. Int. J. Ad. Social Sciences 2(4): Oct. - Dec., 2014; Page 224-232. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2014-2-4-7