ABSTRACT:
पर्यावरण प्रदूषण मानव की असीमित आवश्यकताओं आर्थिक व तकनीकी विकास तथा जनसंख्या वृद्धि के कारण बढ़ गई है। मानव अपने जीवन को अधिक सुविधा जनक बनाने के लिए पर्यावरण को दुषित कर रहा है। प्रदूषण के कारण पृथ्वी के समस्त जीव धारियों का जीवन संकट में पड गया है। अतः तात्कालिक आवश्यकताओं के साथ भावी पीढ़ी के जरूरतों का आकलन करते हुए संसाधनो के दोहन की व्यूह रचना बनाना, पर्यावरण की गुणवत्ता का पुर्न स्थापन, आर्थिक विकास एवं पारिस्थितिक संतुलन आदि लक्ष्य दीर्घ कालीन योजना व कुशल प्रबंधन से ही पर्यावरण संतुलित रहेगा, नीति निर्माण, कियान्वयण, विभिन्न स्तरों का समन्वय, प्रशासनिक व्यवस्था एवं आर्थिक प्रबंधन जैसे पक्षों की पर्यावरण संरक्षण में महती भूमिका होती है।
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कुबेर सिंह गुरूपंच. पर्यावरण प्रदूषण एवं नैतिकता का भौगोलिक अध्ययन. International Journal of Advances in Social Sciences. 2022; 10(1):31-4.
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कुबेर सिंह गुरूपंच. पर्यावरण प्रदूषण एवं नैतिकता का भौगोलिक अध्ययन. International Journal of Advances in Social Sciences. 2022; 10(1):31-4. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2022-10-1-5
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