Author(s):
श्रीकमल शर्मा
Email(s):
Email ID Not Available
DOI:
Not Available
Address:
श्रीकमल शर्मा
यू.जी.सी. इमेरिटस फेलो से.नि. प्राध्यापक, विभागाध्यक्ष एवं निदेशक जनसंख्या शोध संस्थान, सामान्य एवं व्यावहारिक भूगोल विभाग, डाॅक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) 470 003
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 4,
Issue - 1,
Year - 2016
ABSTRACT:
संसाधन-सम्पन्न छत्तीसगढ़ राज्य में निर्माण के बाद उनके दोहन की गति बहुत तेज हुई है। वर्ष 2011-12 में समस्त उत्पादित खनिजों का मूल्य देश के कुल ईंधनरहित खनिज मूल्य का 7 प्रतिशत है। वन, भूमि और जल संसाधन भी प्रचुर हैं। इसी परिपेक्ष्य में इस राज्य के विकास के तीन पक्षों - विकास की वर्तमान यथार्थ दषा एवं निर्माण के बाद प्रगति की दिषा, देष के संदर्भ में विकास की वर्तमान स्थिति तथा स्वयं राज्य में क्षेत्रीय विभिन्नता - को देखने का प्रयास किया गया है। वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अधोसंरचना स्थापित की र्गइं, योजनाएँ बनीं, फलतः वृद्धि भी हुई। प्रचलित भावों के आधार पर पिछले डेढ़ दषक में औसत वार्षिक वृद्धि 14.3 प्रतिशत और स्थिर भावों के आधार पर पिछले एक दषक में औसत वार्षिक 13.3 प्रतिषत हुई। इसी अवधि में स्थिर भावों पर आधारित प्रति व्यक्ति आय में केवल 5.0 प्रतिशत औसत वार्षिक समच्चयी वृद्धि हुई। यह राज्य की अर्थव्यवस्था के मंद वृद्धि का द्योतक है। कृषि के क्षेत्र में वृद्धि 11.8 प्रतिषत ही हुई। निर्माण उद्योगों के क्षेत्र में हुई मंद वृद्धि (12.8 प्रतिषत) राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ लक्षण नहीं है। प्रति व्यक्ति मासिक व्यय में छत्तीसगढ़ देष के औसत से काफी पीछे है। राज्य की भारी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है। फसलों की उत्पादकता देष की तुलना में बहुत कम है।
Cite this article:
श्रीकमल शर्मा. छत्तीसगढ़ की विकास के यथार्थ, सापेेेक्षिक तथा क्षेत्रीय आयाम Absolute, Relative and Regional Dimensions of Development in Chhattisgarh. Int. J. Ad. Social Sciences 4(1): Jan. - Mar., 2016; Page 13-27.
Cite(Electronic):
श्रीकमल शर्मा. छत्तीसगढ़ की विकास के यथार्थ, सापेेेक्षिक तथा क्षेत्रीय आयाम Absolute, Relative and Regional Dimensions of Development in Chhattisgarh. Int. J. Ad. Social Sciences 4(1): Jan. - Mar., 2016; Page 13-27. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2016-4-1-4
संदर्भ
Drewnowski, J. (1974) On Measuring and Planning the Quality of Life. The Hague: Mouton.
Government of Chhattisgarh (2005) Human Development Report-Chhattisgarh, 2005. Prepared and published by CHiPS (CHhattisgarh infotech and biotech Promotion Society).
Institute of Applied Manpower Research (2011) India Human Development Report 2011. New Delhi: Oxford University Press.
IUCN, (1987) Population and Sustainable Development. Report of the IUCN Taskforce on Population and Conservation for Sustainable Development, Gland, Switzerland: The World Conservation Centre.
Kayastha, S.L. (1993) Environment, Development and quality of life, Annals, NAGI, Vol. XIII, No. 2, pp. 54-75.
Rist, Gilbert (1980) Alternative Strategies to Development. Development, Vol. 22 (2-3), pp. 102—115.
Ruddle, K. & D.A. Rondinelli (1983) Transforming Natural Resources for Human Development. U.N. University, Tokyo.
Sharma, S.K. (1987) Dilemma of Resource Development and Environmental Crises in M.P., pp. 236-254, in H.S. Sharma and M. L. Sharma, eds. Environmental Design and Development, Jodhpur: Scientific Publishers.
Sharma, S.K. (1994) Anatomy of Spatial enquality in Development in Madhya Pradesh, pp. 130-155 in D.N. Singh and T.D. Singh, eds. Poverty, Inequality and Development. Varanasi: Environment Development Study Centre.
Sharma, S.K. (2000) Spatial Framework and Economic Development. New Delhi: Northern Book Centre.
Sharma, S.K. (2011) vk/kqfud fodkl dk ,d fpUruh; Qyd & i;kZoj.kh; çHkko (Anxious Facets of Modern Development: Environmental Impacts (Hindi). Raashtriya Bhaugolik Patrika, (BHU Hindi Journal), Vol.2 pp.1-32; December 2011.
World Commission on Environment and Development (WCED) (1987) Our Common Future. Oxford UK & USA: OUP. Also known as “Brundtland Commission Report.