Author(s):
घनश्याम दुबे, सचिन कुमार
Email(s):
thegrtsachin@gmail.com
DOI:
10.52711/2454-2679.2025.00011
Address:
घनश्याम दुबे1, सचिन कुमार2
1सह प्राध्यापक, इतिहास विभाग, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर (छ.ग.)।
2सहायक प्राध्यापक, इतिहास विभाग, शासकीय महाविद्यालय जैजैपुर, सक्ती (छ.ग.)।
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 13,
Issue - 2,
Year - 2025
ABSTRACT:
छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ अपनी विशिष्ट संस्कृति और परंपराओं के लिए जानी जाती हैं, लेकिन उनके रीति-रिवाजों और मान्यताओं के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि वे बाहरी समाज, विशेषकर हिंदू समाज के प्रभाव में रही हैं। इनके संस्कारों और परंपराओं में हिंदू समाज की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जो इनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डालती है। विशेष पिछड़ी जनजातियाँ केवल हिंदू समाज से ही नहीं, बल्कि अन्य निकटवर्ती जनजातियों से भी प्रभावित रही हैं। इनके सांस्कृतिक अध्ययन से यह भी ज्ञात होता है कि ये जनजातियाँ समय और परिवेश के अनुरूप अन्य जनजातियों की मान्यताओं और परंपराओं को अपनाकर अपनी संस्कृति में बदलाव करती रहती हैं। यह भी देखा गया है कि हिंदू समाज की सांस्कृतिक परंपराओं के उद्भव से पहले ही जनजातियों की विशिष्ट परंपराएँ अस्तित्व में थीं। मानव जीवन की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार, दोनों समाजों की संस्कृतियों में परिवर्तन हुआ और इस प्रक्रिया के बाद ही दोनों की संस्कृति के बीच समानताओं और विषमताओं का विश्लेषण आवष्यक है।
Cite this article:
घनश्याम दुबे, सचिन कुमार. विशेष पिछड़ी जनजातियों के रीति-रिवाजों में हिन्दू समाज का प्रभाव. International Journal of Advances in Social Sciences. 2025; 13(2):69-4. doi: 10.52711/2454-2679.2025.00011
Cite(Electronic):
घनश्याम दुबे, सचिन कुमार. विशेष पिछड़ी जनजातियों के रीति-रिवाजों में हिन्दू समाज का प्रभाव. International Journal of Advances in Social Sciences. 2025; 13(2):69-4. doi: 10.52711/2454-2679.2025.00011 Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2025-13-2-5
संदर्भ:
1. डॉ. रेनु यादव: ‘‘संस्कारों की संख्या तथा वर्तमान युग में उनकी प्रासंगिकता‘‘, IJSR 2017;3(4):152-155
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3. श्रीवास्तव, वी.के., ‘‘द पहाड़ी कोरवास: सोषियो इकनॉमिक कंडीशन एंड देयर डेवलपमेंट’’, सोनाली पब्लिकेशन, दिल्ली, 2007 पृष्ठ 16
4. मनुस्मृति 2/30
5. मनुस्मृति 3/21
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