ABSTRACT:
भारत में औषधीय पौधों की कृषि विपणन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि देश की श्रम शक्ति का 64 प्रतिशत भाग कृषि क्षेत्र से आजीविका प्राप्त करता है तथा सकल घरेलू उत्पादन में कृषि का क्षेत्र का हिस्सा 20 प्रतिशत के लगभग है। आज बाज़ार तथा बाज़ार सम्बन्धी क्रिया दोनों ही आर्थिक कोई भी देश जहॉ की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान हो तथा कृषि ही उस देश की जनसंख्या के अधिकांश भाग के भरण-पोषण का एक मात्र आधार हो उस देश की सरकार का यह उत्तरदायित्व होता है कि इसकी उन्नति पर विशेष ध्यान दे। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् अपनी सरकार ने कृषि विकास के महत्व को स्वीकारते हुए योजनाओं मे इसको मुख्य स्थान दिया। फलस्वरूप हरित क्रान्ति का सृजन और चलन हुआ, आधुनिक तकनीकी युक्त कृषियन्त्रों, कृषि उपकरणों, उन्नत बीजो का प्रचलन तथा रासायनिक उर्वरको के उपयोग में वृद्धि ने उत्पादन तथा उत्पादकता के स्तर को समुनन्त किया। कृषि के उन्नत के साथ कृषि विपणन व्यवस्था का उन्नत होना आवश्यक है, क्योंकि यह अनुभव किया जाने लगा है कि कृषि उत्पादों के विपणन का उतना ही महत्व है जितना स्वतः उत्पादन का वस्तुतः विपणन की क्रिया का अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि इसके द्वारा उपभोग और उत्पादन में सन्तुलन ही नही वरन् अधिक विकास का स्वरूप भी निर्धारित होता है।
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सुषमा चौधरी. औषधीय पौधों की कृषि विपणन का समीक्षात्मक मूल्यांकन (जबलपुर जिले के विशेष सन्दर्भ में). International Journal of Advances in Social Sciences. 2023; 11(1):41-7. doi: 10.52711/2454-2679.2023.00007
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सुषमा चौधरी. औषधीय पौधों की कृषि विपणन का समीक्षात्मक मूल्यांकन (जबलपुर जिले के विशेष सन्दर्भ में). International Journal of Advances in Social Sciences. 2023; 11(1):41-7. doi: 10.52711/2454-2679.2023.00007 Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2023-11-1-7
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