ABSTRACT:
लोकबाबू विरचित विवेच्य उपन्यास बस्तर की पृष्ठभूमि पर केंद्रित उपन्यास है। इस उपन्यास में बस्तर अंचल की आदिवासी संस्कृति, बस्तर के नैसर्गिक सौन्दर्य, मनमोहक जलप्रपात, धार्मिक मान्यताएं, रीति-रिवाज, ऐतिहासिक स्थल के वर्णन के साथ ही बस्तर की ज्वलंत समस्याओं नक्सलवाद, शोषण, अन्याय, अत्याचार को भी ईमानदारी से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। जिस देश में नारी को देवी मानकर पूजा करने की विचारधारा प्रचलित है, वही बस्तर की गरीब, अभाव में जीवन व्यतीत करने वाली आदिवासी नारियों का शारीरिक, मानसिक, आर्थिक शोषण किया जा रहा है, जो पैदा तो होती हैं कोमल गुलाब के फूल की तरह लेकिन हमारा सिस्टम उन्हें रणचंडी बनकर लहू पीने विवश कर देता है। विवेच्य उपन्यास में मुख्य नारी पात्र लेकामी इरमा के संघर्ष की, उसके साथ हुए अन्याय, अत्याचार, शोषण की करूण कथा है। जिस आत्मा और शरीर को वह अपने मंगेतर के लिए सुरक्षित रखना चाहती थी उसे सुरक्षाबल के जवान जानवरों की तरह नोच-खसोट लेते हैं।
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यशवंत कुमार साव. “लोकबाबू के उपन्यास बस्तर बस्तर मे नारी संवेदना”. International Journal of Advances in Social Sciences. 2024; 12(4):219-2. doi: 10.52711/2454-2679.2024.00035
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यशवंत कुमार साव. “लोकबाबू के उपन्यास बस्तर बस्तर मे नारी संवेदना”. International Journal of Advances in Social Sciences. 2024; 12(4):219-2. doi: 10.52711/2454-2679.2024.00035 Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-4-7