ABSTRACT:
अलका सरावगी के पुरस्कृत उपन्यास ‘कलिकथाः वाया बाइपास’ को नये समकालीन परिपेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया है। समकालीन जटिल यथार्थ की ओर इंगित करता यह उपन्यास समय को भेदने की कोशिश कर, वर्तमान बाजारवादी एवं उपभोक्तावादी संस्कृति को भविष्य के संदर्भ में जीवनगत मूल्यों को सहेजता दिखायी देता है। कलिकथाः वाया बाइपास में ‘बाइपास’ का अर्थ आज के युगधर्म की विडम्बनाओं की ओर संकेत करना एवं उससे उत्पन्न समस्या की तरफ ध्यान आकर्षित करता है। अतीत, वर्तमान एवं भविष्य के तानें बानों से बुना यह उपन्यास आधुनिकता की चुनौतियों से टकराता, और उसका हल ढूंढता एवं मानवोचित् संवेदना का मंडन करता दिखायी देता है।
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शिप्रा बेग, अलका श्रीवास्तव. कलिकथाः वाया बाइपास’-एक नये संदर्भ में. Int. J. Ad. Social Sciences. 2016; 4(4):175-178.
Cite(Electronic):
शिप्रा बेग, अलका श्रीवास्तव. कलिकथाः वाया बाइपास’-एक नये संदर्भ में. Int. J. Ad. Social Sciences. 2016; 4(4):175-178. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2016-4-4-1