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संजू साहू, रमेश अनुपम
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संजू साहू1 डा- रमेश अनुपम2
1हिंदी एवं भाषा साहित्य अध्ययन विभाग, शासकीय दू-ब- महिला स्नाताकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय रायपुर (छ ग
2सहायक प्राध्यापक, शासकीय दू-ब- महिला स्नाताकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय] रायपुर (छ ग
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 5,
Issue - 1,
Year - 2017
ABSTRACT:
उपन्यास आज वर्तमान समकालीन साहित्य में सबसे प्रिय व सशक्त विधा है] उपन्यास लेखन] कला शिल्प का उत्कृष्ट रूप है उपन्यास हमारी कल्पनाजन्य संस्कृति का सबसे बड़ा उपहार है। यथार्थपरक हिन्दी साहित्य की चर्चा हो और तेजिंदर का नाम ना आए तो हिन्दी साहित्य का उपन्यास अपूर्ण कहलायगा। उन्होनें अपने उपन्यासों में इन सभी यथार्थ परक विषयों का कुशल निर्वहन किया है। आदर्शवादी उपन्यासकार भी यथार्थ की अवहेलना नहीं कर सकता]उसका आदर्श यथार्थ की भूमि पर ही पललवित होता है। ऐसे ही तेजिंदर के दो दलित उपन्यास है जिसकी यथार्थता चीखते हुए हमसे अनगिनत सवाल करनी है। जिसमें तेजिंदर ने अपने उपन्यास के माध्यम से कथ्यों को उद्रधृत किया है।
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संजू साहू, रमेश अनुपम. तेजिंदर के उपन्यासों में दलित विमर्श. Int. J. Ad. Social Sciences. 2017; 5(1): 19-23.
Cite(Electronic):
संजू साहू, रमेश अनुपम. तेजिंदर के उपन्यासों में दलित विमर्श. Int. J. Ad. Social Sciences. 2017; 5(1): 19-23. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2017-5-1-5
संदर्भ ग्रंथ
1 डाॅ. मीणा श्रवण कुमार] दलित साहित्य और समसामयिक संदर्भ] संजय प्रकाशन] नई दिल्ली] संस्करण प्रथम 2009] पृष्ठ 43
2 तेजिंदर] उस शहर तक] ज्ञान भारती] नई दिल्ली] प्रथम संस्करण 1997] पृष्ठ 38
3 तेजिंदर] उस शहर तक] ज्ञान भारती] नई दिल्ली] प्रथम संस्करण 1997] पृष्ठ 108
4 डाॅ. मीणा श्रवण कुमार] दलित साहित्य और समसामयिक संदर्भ] संजय प्रकाशन] नई दिल्ली] संस्करण प्रथम 2009] पृष्ठ 61
5 तेजिंदर हैलो सुजीत] भारतीय ज्ञान पीठ] नयी दिल्ली] प्रथम संस्करण 2003] पृष्ठ 42
6 तेजिंदर हैलो सुजीत] भारतीय ज्ञान पीठ] नयी दिल्ली] प्रथम संस्करण 2003] पृष्ठ 62
7 तेजिंदर हैलो सुजीत] भारतीय ज्ञान पीठ] नयी दिल्ली] प्रथम संस्करण 2003] पृष्ठ 77
8 तेजिंदर हैलो सुजीत] भारतीय ज्ञान पीठ] नयी दिल्ली] प्रथम संस्करण 2003] पृष्ठ 56
9 प्रसाद माता] उत्तरप्रदेश पत्रिका] दलित विशेषंक 2002] पृष्ठ 64