ABSTRACT:
वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व के अधिकांश देशो के सामने मांग की तुलना में खाद्यानों की पूर्ति पर्याप्त नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप न केवल खाद्यान्न की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, अपितु जनमानस को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की समस्या आ रही है। आज विश्व के अधिकांश देशों में लोक कल्याणकारी सरकारें हैं, जिसकी वजह से उन्हें जनता के हितों को ध्यान में रखकर योजनाएं बनानी पड़ती हैं। इन योजनाओं में खाद्यान्न से जुड़ी योजनाओं का बड़ा महत्व है, क्योंकि मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताओं में रोटी का महत्वपूर्ण स्थान है। रोटी से ही व्यक्ति जीवित रहता है, तब वह कपड़ा और मकान की सोचता है। भारत विश्व में क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवें स्थान पर आता है, तथा जनसंख्या के आधार पर दूसरे स्थान पर है। यहां विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.42 प्रतिशत एवं जनसंख्या का 17.7 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है, इसकेे साथ ही यहां अनेक भाषाएं, रीति रिवाज, वेशभूषाएं, संस्कृतियों को मानने वाले लोग निवास करते हैं।1
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वीरेन्द्र सिंह मटसेनिया बी एल सोनेकर. भारत में गरीबी उन्मूलन एवं खाद्य सुरक्षा. Int. J. Ad. Social Sciences. 2018; 6(2):125-130.
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वीरेन्द्र सिंह मटसेनिया बी एल सोनेकर. भारत में गरीबी उन्मूलन एवं खाद्य सुरक्षा. Int. J. Ad. Social Sciences. 2018; 6(2):125-130. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-2-9