ABSTRACT:
आदिवासी जीवन प्रकृति के साथ अभिन्न रुप से जुड़ा है। वनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों पर आघात के बाद ही वनों का क्षरण शुरु हुआ है। पुस्तक में प्रकृति और आदिवासियों के परस्पर संबंधों पर एक आलेख ‘ पर्यावरण और आदिवासी लोक जीवन ’ में इस पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसमें बतलाया गया है कि आदिवासियों का संपूर्ण जीवन ही प्रकृति पर आधारित है। वे प्राकृतिक शक्तियों को ही देवता मानकर उनकी अराधना करते आ रहे है। प्रदूषण की समस्या दरअसल अनियोजित औद्योगिकीकरण के कारण उत्पन्न हुई। अभी दूरस्थ इलाकों में जहां आदिवासी रहते हैं पर्यावरण काफी हद तक सुरक्षित है।
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Vrinda Sengupta, K.P. Kurrey. आदिवासी साहित्य एवं संस्कृति जिला-जांजगीर चाम्पा के संबंध में. Int. J. Ad. Social Sciences. 2017; 5(4):197-198.
Cite(Electronic):
Vrinda Sengupta, K.P. Kurrey. आदिवासी साहित्य एवं संस्कृति जिला-जांजगीर चाम्पा के संबंध में. Int. J. Ad. Social Sciences. 2017; 5(4):197-198. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2017-5-4-2