ABSTRACT:
सेवा केंद्रों का अभिप्राय उन अधिवासों से है, जो अपनें चतुर्दिक क्षेत्रों में कुछ निष्चित सेवाओं की पूर्ति करते हैं तथा जो अपेक्षाकृत दूसरे केंद्रों से अपने क्रियाओं की प्रगाढ़ता एवं विस्तार में भिन्न होते हैं। भूगोलवेताओं ने विभिन्न स्तर के सेवा केन्द्रों को अनेक नामों से अभिव्यक्त किया है, जैसे-विकास ध्रुव, विकास केन्द्र, केंद्र स्थल तथा सेवा केंद्र। किसी भी क्षेत्र में सेवा केंद्र ग्रामीण विकास और विकास की नीतियों एवं कार्यक्रमों को क्रियान्वित करनें में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। अध्ययन क्षेत्र जनपद जौनपुर एक प्राचीन एवं एतिहासिक नगर रहा है। इस क्षेत्र में सेवा केंद्रों का विकास मनुष्य की आवश्यकता के अनुसार क्रमागत एतिहासिक युगों में हुआ है। प्रस्तुत शोध पत्र में जौनपुर जनपद के सेवा कंेद्रों को स्थिति और वितरण तथा उनके नियोजन का अध्ययन किया गया है। जिसके माध्यम से ग्रामीण विकास में इनकी भूमिका तथा विकास की संभावना को ज्ञात किया गया है। जिसके लिए द्वितीय तथा तृतीय स्रोत से प्राप्त आँकड़ो तथा सेवा केंद्रों के वितरण को ज्ञात करनें के लिए वायसन के समभाव्यता नियम का प्रयोग किया गया है। सामाजिक, आर्थिक और संास्कृतिक तथ्यों को स्पष्ट करनें के लिए क्षेत्र के भौतिक तथा सांस्कृतिक मानचित्रों व तालिकाओं का प्रयोग यथा स्थान पर हुआ है।
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महीप चैरसिया, प्रमोद कुमार तिवारी. जौनपुर जनपद (उ0प्र0) में सेवा केन्द्रों की स्थिति, वितरण और उनके नियोजन का एक भौगोलिक अध्ययन. Int. J. Ad. Social Sciences. 2020; 8(3):113-118.
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महीप चैरसिया, प्रमोद कुमार तिवारी. जौनपुर जनपद (उ0प्र0) में सेवा केन्द्रों की स्थिति, वितरण और उनके नियोजन का एक भौगोलिक अध्ययन. Int. J. Ad. Social Sciences. 2020; 8(3):113-118. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2020-8-3-9
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