Author(s): Nister Kujur

Email(s): nister.kujur@yahoo.com

DOI: Not Available

Address: Dr. Nister Kujur Senior Assistant Professor, School of Studies in Sociology, Pt. Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G.) – 492010, *Corresponding Author

Published In:   Volume - 3,      Issue - 2,     Year - 2015


ABSTRACT:
भारत देश में कुल आवादी का लगभग 8.2 प्रतिशत जनसंख्या जनजातियों का है और जनजातियों की करीब 500 से भी अधिक जाति एवं उप-जातियां विभक्त है। जनजातियों की इन समूहों में 75 आदिम जनजातियां है जो देश के दुर्गम पहाडी और पठारी भोगों में निवास करती है। यह समुदाय वर्षो से आजीविाका के लिए संघर्ष करती रही है तथा कई समस्याओं से ग्रस्त रही है। देश के दुर्गम क्षेत्रों में निवास करने वाली जनजातियों एवं ग्रामीण जनता के विकास हेतु सरकार प्रथम पंचवर्षीय योजनाओं से निरन्तर प्रयत्नषील रहा है और कई योजनाओं का क्रियान्वयन किये गये। जहां तक जनजातियों के विकास हेतु सरकार द्वारा पिछडी जपजातियों का पहचान कर आदिम जनजाति के रूप में मान्यता प्रदान की गयी तथा 70-80 के दशक में जिला स्तर पर पृथक अभिकरण स्थापित करके इनके विकास के प्रयास निरन्तर की जा रही है । साथ ही ग्रामीण समाज के विकास के लिए कई योजनाये क्रियान्वयन किया गया जिसमें राष्ट््रीय स्वरोजगार योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना इत्यादि ।


Cite this article:
Nister Kujur. ग्रामीण विकास योजनाओं का आदिम जनजाति कमार पर प्रभाव (गरियाबंद जिला के मानपुर विकासखण्ड के संदर्भ में). Int. J. Ad. Social Sciences 3(2): April-June, 2015; Page 53-57.

Cite(Electronic):
Nister Kujur. ग्रामीण विकास योजनाओं का आदिम जनजाति कमार पर प्रभाव (गरियाबंद जिला के मानपुर विकासखण्ड के संदर्भ में). Int. J. Ad. Social Sciences 3(2): April-June, 2015; Page 53-57.   Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2015-3-2-1


Recomonded Articles:

International Journal of Advances in Social Sciences (IJASS) is an international, peer-reviewed journal, correspondence in the fields....... Read more >>>

RNI:                      
DOI:  

Popular Articles


Recent Articles




Tags