Author(s): Vrinda Sengupta

Email(s): Email ID Not Available

DOI: Not Available

Address: Dr. Mrs. Vrinda Sengupta Assistant Prof. Sociology, Govt. T.C.L.P.G. College, Janjgir (C.G.) *Corresponding Author

Published In:   Volume - 3,      Issue - 1,     Year - 2015


ABSTRACT:
बचपन एक ऐसी अवस्था होती है जहा जाति, धर्म क्षेत्र कोई मायने नही रखते। बच्चे ही राष्ट्र की आत्मा है और इन्हीं पर अतीत को सहेज कर रखने की जिम्मेदारी भी है । बच्चों में ही राष्ट्र का वर्तमान रूख करवटें लेता है, तो इन्हीं में भविष्य के अदृश्य बीच बोकर राष्ट्र को पल्लवित - पुष्पित किया जा सकता है। दृर्भाग्यवश अपने देश में इन्हीं बच्चों के शोषण की घटनाए नित्य-प्रतिदिन की बात हो गई है। और इसे वह नंगी आंखों से देखते हुए भी झूठलाना चाहते है। - फिर चाहे वह निठारी कांड हो, स्कूलों में अध्यापकों द्वारा बच्चों को मारना पीटना हो , बच्चियों का यौन शोषण हो या अनुसूचित जाति व जनजाति से जुड़े बच्चों का स्कूल में जातिगत शोषण हो।


Cite this article:
Vrinda Sengupta. बालश्रम एवं बालडत्पीड़न से राष्ट्र कैसे उबारा जाय? (खो रहा बचपन) जिला जाॅजगीर-चाम्पा के बाल श्रमिको का सामाजिक आर्थिक विश्लेषण ). Int. J. Ad. Social Sciences 3(1): Jan. –Mar., 2015; Page 43-46

Cite(Electronic):
Vrinda Sengupta. बालश्रम एवं बालडत्पीड़न से राष्ट्र कैसे उबारा जाय? (खो रहा बचपन) जिला जाॅजगीर-चाम्पा के बाल श्रमिको का सामाजिक आर्थिक विश्लेषण ). Int. J. Ad. Social Sciences 3(1): Jan. –Mar., 2015; Page 43-46   Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2015-3-1-10


Recomonded Articles:

International Journal of Advances in Social Sciences (IJASS) is an international, peer-reviewed journal, correspondence in the fields....... Read more >>>

RNI:                      
DOI:  

Popular Articles


Recent Articles




Tags