ABSTRACT:
योग और ध्यान को, भारत की ही तरह, यूरोप में भी मूल रूप से एक धार्मिक-आध्यात्मिक विषय ही माना जाता था। उनकी उपयोगिता को लेकर गंभीर क़िस्म के वैज्ञानिक शोध नहीं होते थे। किंतु अब वैज्ञानिक जितना ही अधिक शोध कर रहे हैं, उतना ही अधिक मुग्ध हो रहे हैं। लंबे समय तक यूरोप वालों के लिए भी योग का अर्थ शरीर को खींचने-तानने और ऐंठने-मरोड़ने की एक कठिन भारतीय ’हिंदू’ कला से अधिक नहीं था। ’हिंदू’ शब्द उसकी व्यापक स्वीकृति और वैज्ञानिक अनुमति में मनोवैज्ञानिक बाधा डालने के लिए कभी-कभार अब भी उसके साथ जोड़ा जाता है।
Cite this article:
Rajesh Tripathi. निरोग और योग का आंतरिक संबंध. International Journal of Advances in Social Sciences. 2024; 12(3):175-0. doi: 10.52711/2454-2679.2024.00028
Cite(Electronic):
Rajesh Tripathi. निरोग और योग का आंतरिक संबंध. International Journal of Advances in Social Sciences. 2024; 12(3):175-0. doi: 10.52711/2454-2679.2024.00028 Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-3-8
REFERENCES:
1. पतंजलि योग सूत्रः इसमें योग के आठ अंगों का विस्तृत वर्णन है जो निरोगी जीवन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
2. हठयोग प्रदीपिकाः यह ग्रंथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के प्रभाव को विस्तार से समझाता है।
3. गेराण्ड संहिताः इस ग्रंथ में योग के विभिन्न आसनों और उनके स्वास्थ्य लाभों का वर्णन मिलता है।