Author(s): डिलेष्वरी, राघिका चंद्राकर

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Address: डिलेष्वरी1, डॉ. राघिका चंद्राकर2
1पी.एच.डी. शोधाथी, श्री रावतपुरा सरकार युनिवर्सिटी, रायपुर.
2सहायक प्राघ्यापक, श्री रावतपुरा सरकार युनिवर्सिटी, रायपुर.
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 10,      Issue - 3,     Year - 2022


ABSTRACT:
जीवन में संतुष्टि का होना अत्यंत आवश्यक है। संतुष्टि के बिना अच्छे जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। इससे जीवन में तरह तरह की समस्याएँ उत्पन्न होती है। जीवन संतुष्टि का अर्थ है- आत्म संतोष याजीवन में खुशहाली से लगाया जाता है। हर व्यक्ति सोचता है कि वह जो जीवन शैली अपनाए हुए है। उसमें उसे संतोष मिले या खुसी मिले। और यह तभी संभव है जब हमारा दिनचर्या अच्छा हो। अच्छे दिनचर्या का आरंभ योगाभ्यास के द्वारा होता है। योगाभ्यास में प्रज्ञायोग व्यायाम एक महत्वपूर्ण व्यायाम है। जिसका अभ्यास सभी आयु-वर्ग चाहे बच्चे हो,युवा हो महिला-पुरुष या वृद्धजन-सभी आसानी से कर सकते है। इसका अभ्यास गृहिणियाँ भी आसानी से कर सकते है। प्रज्ञायोग व्यायाम के अभ्यास से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक आध्यात्मिक एवं बौद्धिक स्वास्थ्य भी उन्नत बनता है, जिससे सदैव शरीर स्वस्थ रहता है एवं मन में शांति, संतोष, उत्साह व उमंगे रहती हैं जिससे जीवन में संतुष्टि बनी रहती है।


Cite this article:
डिलेष्वरी, राघिका चंद्राकर. प्रज्ञायोग व्यायाम का गृहिणियों के जीवन संतुष्टि स्तर पर प्रभाव. International Journal of Advances in Social Sciences. 2022; 10(3):111-7.

Cite(Electronic):
डिलेष्वरी, राघिका चंद्राकर. प्रज्ञायोग व्यायाम का गृहिणियों के जीवन संतुष्टि स्तर पर प्रभाव. International Journal of Advances in Social Sciences. 2022; 10(3):111-7.   Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2022-10-3-2


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