Author(s):
रघु यादव
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रघु यादव
शोध छात्र (इतिहास) वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर, (उ०प्र०)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 8,
Issue - 4,
Year - 2020
ABSTRACT:
मानव वनों में रहते हुये फल मांस खाता था और वहीँ पशुओं के रहने के कारण उनके क्रियाकलापों को देखते हुये उनके समान ही आचरण भी करता था। मानव का पशु पक्षियों से मेल व बैर भाव होने के कारण शांतए करुणए रौद्रए वीभत्स रसों के दृश्य भी देखे जाते थे। मानव इन दृश्यों को लाल पत्थर से चट्टानोंए गुफाओं में बनाया करता था। ऐसे हजारों वर्ष पूर्व के शैलचित्र आज भी पाए जाते हैं जिनसे तत्कालीन वातावरण और क्रियाकलापों का ज्ञान होता है। धीरे&धीरे मानव में बुद्धि का विकास हुआ और उसने चित्रों को आकर्षक और लम्बे समय तक बनाये रखने के उद्देश्य से रंगों का निर्माण किया। पृथक&पृथक कालखण्डों में चित्रों के वर्ण्य विषय भी परिवर्तित होते गये। इतिहास के काल विभाजन के अनुसार बुंदेला राजा रूद्र प्रताप द्वारा सन् 1531 में ओरछा राज्य स्थापना के बाद मध्यकालीन इतिहास कहा जाता है।
Cite this article:
रघु यादव. मध्यकालीन बुन्देली चित्रकला. Int. J. Ad. Social Sciences. 2020; 8(4):215-218.
सन्दर्भ संकेत
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