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डॉ0 अर्चना शर्मा
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डॉ0 अर्चना शर्मा
एस¨शिएट प्र¨फेसर, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी-221005
Published In:
Volume - 4,
Issue - 4,
Year - 2016
ABSTRACT:
प्राचीन भारतीय सामाजिक इतिहास का अनेक विद्वान¨ं ने अध्ययन किया है। इन विद्वान¨ं ने अपने अध्ययन¨ं में पृथक-पृथक दृष्टिय¨ं का उपय¨ग किया है। प्रारम्भिक अध्ययन वेद¨ं एवं धर्मशास्त्र्ा¨ं क¨ आधार बनाकर सामाजिक संस्थाअ¨ं के अध्ययन की अ¨र प्रवृत्त दिखाई देते हैं। कालान्तर के विद्वान¨ं ने अपनी स्र¨त सामग्री का विस्तार कर ल©किक साहित्य, अभिल्¨ख¨ं, मुद्राअ¨ं एवं कला साक्ष्य¨ं के आधार पर सामाजिक संस्थाअ¨ं का अध्ययन कर एक पृथक् ऐतिहासिक अध्ययन पद्धति का विकास किया। कालान्तर में ऐसे अध्ययन हुए, जिनमें सामाजिक इतिहास ल्¨खन मंे केवल सामाजिक संस्थाअ¨ं के अध्ययन ही नहीं वरन्, समस्त ल¨क के इतिहास क¨ प्रतिबिम्बित किया गया। यद्यपि यह प्रवृत्ति यथार्थ के
प्रस्तुतीकरण में पूर्व की अपेक्षा अधिक सफल हुई, किन्तु अभी भी सैद्धान्तिक पक्ष¨ं का उद्घाटन ही अधिक ह¨ पाया अ©र अनेक सामाजिक विसंगतियां ज¨ प्राचीन समाज में भी म©जूद थी, का विश्ल्¨षण नहीं ह¨ पाया। फलतः मेरा यह श¨धपत्र्ा इसी कमी क¨ पूर्ण करने की दिशा में एक प्रयास है। अध्ययन के मुख्य स्र¨त ल©किक साहित्य ह¨ंगे।
Cite this article:
डॉ0 अर्चना शर्मा. प्राचीन भारत की सामाजिक विसंगतियां: एक विवेचन.
Int. J. Ad. Social Sciences. 2016; 4(4):179-182.
Cite(Electronic):
डॉ0 अर्चना शर्मा. प्राचीन भारत की सामाजिक विसंगतियां: एक विवेचन.
Int. J. Ad. Social Sciences. 2016; 4(4):179-182. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2016-4-4-2