ABSTRACT:
प्रागैतिहासिक अध्ययनों में शैलचित्रों का विशेष स्थान है। पुरा-पाषाण काल के अंतिम चरण अर्थात उच्च पुरा पाषाण काल तक आते-आते मानव के जीवन में स्थिरता का समावेश हो गया साथ ही इसी काल में पूर्ण विकसित मान का भी आगमन हो जाता है। प्रागैतिहासिक मानवों ने अपने दैनिक जीवन में घटित होने वाली घटनाओं की अभिव्यक्ति शैलाश्रयों की दीवारों को कागज के रूप में उपयोग कर उन पर चित्रण कर की थी। प्रागैतिहासिक मानव लिखना पढ़ना नहीं जानते थे ऐसी स्थिति में ये चित्र प्रागैतिहासिक मानव जीवन की झांकी हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
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नितेश कुमार मिश्रा. भीमबैठका के कुछ विशिष्ट शैलचित्र.
Int. J. Ad. Social Sciences 2(1): Jan. –Mar., 2014; Page 31-32.