ABSTRACT:
यह निर्विवाद सत्य है कि विश्व के स्तर पर जनाधिक्य है, जो कि समस्या के रूप में निरन्तर बढ़ता चला जा रहा है। यह स्वयं में तो एक समस्या है ही, साथ ही समस्याओं की श्रृंख्ला का उद्गम भी है, जो हमारी सभी सुविधाओं का मार्ग न केवल संकुचित करती है, बल्कि व्यक्ति के व्यक्तित्व को भीड़ का हिस्सा बना शून्य कर देती है। उसी व्यक्तित्व के मूल में है ‘महिला’। वह इस पूरे भीड़तन्त्र की जननी है, अतः जनसंख्या वृद्धि के मूल में महिलाओं की स्थिति को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अब तक जनाधिक्य को आर्थिक समस्या के रूप में ही देखा गया है। इसके मूल में निहित है महिलाओं की समस्या।
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सुचित्रा शर्मा, अमरनाथ शर्मा. जनाधिक्य एवं महिलाएं: एक विश्लेषण.
Int. J. Ad. Social Sciences 2(1): Jan. –Mar., 2014; Page 27-30
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सुचित्रा शर्मा, अमरनाथ शर्मा. जनाधिक्य एवं महिलाएं: एक विश्लेषण.
Int. J. Ad. Social Sciences 2(1): Jan. –Mar., 2014; Page 27-30 Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2014-2-1-8