ABSTRACT:
समान नागरिक संहिता संविधान में उल्लिखित राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए। जिसके क्रियान्वयन का उद्देश्य महिलाओं, बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से विरासत, बच्चे की अभिरक्षा का अधिकार, भरण-पोषण, द्विविवाह की रोकथाम आदि के बारे में भेदभाव को दूर करना है। ज्वलंत संस्कृतियों, परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं के कारण समान नागरिक संहिता लागू करना आज तक संसद के लिए एक कठिन कार्य बना हुआ है। जिसमें एकरूपता लाने के उद्देश्य से विभिन्न मौजूदा व्यक्तिगत कानूनों में संशोधन करके भी प्राप्त किया जा सकता है।
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जयंत कुमार धुरंधर. अनुच्छेद-44 समान नागरिक संहिता की वर्तमान समय में उपयोगिता. International Journal of Advances in Social Sciences. 2024; 12(2):70-6. doi: 10.52711/2454-2679.2024.00013
Cite(Electronic):
जयंत कुमार धुरंधर. अनुच्छेद-44 समान नागरिक संहिता की वर्तमान समय में उपयोगिता. International Journal of Advances in Social Sciences. 2024; 12(2):70-6. doi: 10.52711/2454-2679.2024.00013 Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-2-5
संदर्भ सूची:-
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