ABSTRACT:
ईक्कीसवीं सदी के इस युग में लोगों की जीवन स्तर एवं रहन-सहन के तरीके में बहुत बदलाव आए हैं जिससे लोगों में आरामदायक एवं विलासिता के वस्तु के उपभोग के साथ ऊर्जा के साधनों के उपयोग में भी वृद्धि हुई है। अध्ययन का उद्देष्य - ग्रामीण क्षेत्रों की उपभोग प्रवृत्ति में तीव्र परिवर्तन हो रहा है। उच्च आय प्राप्त करने वाले ग्रामीण उपभोक्ता तकनीक साधनों एवं विलासिता की वस्तुओं का अधिक उपभोग करते हैं। परन्तु आय में वृद्धि की तुलना में उपभोग में वृद्धि दर कम होती है। शोध परिकल्पनाएं - प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग व्यय के आधार पर निदर्ष परिवारों के मध्य खाद्य पदार्थ पर व्यय एवं गैर-खाद्य पदार्थ के व्यय में सार्थक अंतर है। शोध प्रविधियाँ - निदर्ष का चयन कोहरण समीकरण के आधार पर किया गया है। समंकों के विष्लेषण - एंजिल अनुापत, प्रसरण अनुपात, प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग व्यय, प्रतिषत विधि एवं औसत विधि के आधार पर किया गया है। अध्ययन का महत्व -बदलते उपभोग प्रवृत्ति के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास होने के साथ ग्रामीण पारिवारिक बजट में वृद्धि हुई जिससे एक परिवार की पारिवारिक आय उनके आर्थिक स्थिति, जीवन स्तर एवं बचत प्रवृत्ति में भी वृद्धि हुई है। अध्ययन की समस्या -बढ़ती उपभोग प्रवृत्ति एक गंभीर समस्या है क्योकि उपभोग में वृद्धि होने से वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि कृषि खाद्यान्न पर बढ़ता दबाव प्राकृतिक संसाधनों अविवेकपूर्ण उपयोग होता है। सुझाव - इन समस्याओं के निदान के लिए खाद्य एवं अखाद्य पदार्थों का संतुलित उपभोग एवं जनसंख्या नियंत्रण किया जाये। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों विवेकपूर्ण उपयोग, उचित षिक्षा, स्वास्थ्य सड़क यातायात के साधन मनोरंजन के साधनों का विकास करना चाहिए जिससे उनकी आय में वृद्धि एवं जीवन स्तर में वृद्धि और समाज का विकास हो।
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ओमप्रकाश बघेल, बी. एल. सोनेकर. छत्तीसगढ़ में ग्रामीण उपभोग प्रवृत्ति का बदलता स्वरूप : एक विष्लेषणात्मक अध्ययन. International Journal of Advances in Social Sciences. 2018; 6(4):195-0.
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ओमप्रकाश बघेल, बी. एल. सोनेकर. छत्तीसगढ़ में ग्रामीण उपभोग प्रवृत्ति का बदलता स्वरूप : एक विष्लेषणात्मक अध्ययन. International Journal of Advances in Social Sciences. 2018; 6(4):195-0. Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-4-2
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