Author(s): प्रीता लाल] विनोद जोशी

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Address: प्रीता लाल] विनोद जोशी अर्थशास्त्र विभाग, डाॅ. राधाबाई शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय, रायपुर ’ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू

Published In:   Volume - 3,      Issue - 4,     Year - 2015


ABSTRACT:
जनांकिकी संक्रमण के द्वितीय चरण की स्थिति जनांकिकी लाभांश की श्रेणी में आती है तथा पहले चरण की अवस्था जिसमें जन्म दर एवं मृत्यृ दर अधिक होती है, इसके कारण दूसरे चरण में कार्य करने वाली आयु समूह की जनसंख्या अधिक रहती है।उक्त स्थितियों के रहते हुए गुणवत्ता युक्त 15-64 आयु वर्ग की जनसंख्या के स्वास्थ्य के स्थितियों के भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रमुख शब्द- बौद्धिक पूंजी, जनंाकिकी लाभांश, श्रमशक्ति नियोजन ‘आयु संक्रमण लाभाश’ ,‘जनंाकिकी बोनस’, ‘अवसर के पल’, युवाओं का ठहराव एंव ‘पराश्रित अनुपात’ जैसे पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग जनंाकिकी लाभांश के लिए अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों, अकादमिक एवं पत्रकारों द्वारा किया जाता है।कालान्तर में जनसंख्या वृद्धि एवं आर्थिक विकास में सम्बधों पर कई मत सामने आये। जहाॅं निराशावादियों ने कहा कि जनसंख्या के बढ़ने से विकास प्रभावित होता है, जिससे प्रतिश्रमिक पूॅंजी में कमी एंव उनकी उत्पादकता घटती है। वहीं आशावादियों ने इस बात पर बल दिया कि जनसंख्या वृद्धि से मानवीय एवं बौद्धिक पूॅंजी में वृद्धि होती है, जिससे बाजार विस्तारित होता है, परिणामस्वरुप आर्थिक विकास होता है। एडम स्मिथ ने कहा कि आर्थिक सपन्नता हेतु श्रम विभाजन द्वारा श्रमिक विशेष लक्ष्यों को अपनी कुशलता से प्राप्त करता है, जिससे उनकी ( श्रमिक ) उत्पादकता बढ़ती है। जनांकिकीविदों द्वारा हमेशा से जनसंख्या की अधिकता एंव कमी विषय पर विभिन्न तरह के विचार सामने आते रहे।


Cite this article:
प्रीता लाल] विनोद जोशी. भारत का आर्थिक विकास एंव जनंाकिकी घटकों का विश्लेषणात्मक अघ्ययन. Int. J. Ad. Social Sciences 3(4): Oct. - Dec., 2015; Page 148-151.

Cite(Electronic):
प्रीता लाल] विनोद जोशी. भारत का आर्थिक विकास एंव जनंाकिकी घटकों का विश्लेषणात्मक अघ्ययन. Int. J. Ad. Social Sciences 3(4): Oct. - Dec., 2015; Page 148-151.   Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2015-3-4-2


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