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हेमन्त शर्मा
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डाॅ. हेमन्त शर्मा
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़
’ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू
Published In:
Volume - 3,
Issue - 1,
Year - 2015
ABSTRACT:
मानव अपनी कल्पनाओं एवं क्षमताओं की सीमा मे ही संस्थाओ का निर्माण करता है जो मानवीय व्यवहार से प्रभावित होता है इसलिए वह मानव जीवन की तरह ही व्यवहार भी करता है, और इसका व्यवहार एवं आवश्यकतायें एक सामान्य मनुष्य के व्यवहार और आवश्यकताओं से कदापि भिन्न नही होते यद्यपि आवश्यकता के स्वरूप और उपयोग की जाने वाली वस्तु मंे किंचित भिन्नता हो सकती है, जैसे वित्त और भूमी मनुष्य और संस्थाओं की समान आवश्यकताएं होती है। मनुष्य की तरह ही संस्थायें भी अपने विकास के क्रम के विभिन्न चरणों पर अपने व्यवहार और आवश्यकताओं मे परिवर्तन को प्रदर्शित करती है। यदि आवश्यकताओं के संदर्भ में संस्थाओं के आयु का सही -सही आकलन किया जा सके, (जो मनुष्य के आयू गणना से सर्वथा भिन्न होती है,) तो इनकेे विकास के विभिन्न चरणों मे, वास्तविक आवश्यकताओं का ज्यादा सटिक आकलन किया जा सकता है जिसका विकास और विस्तार के लिये योजना बनाने में महत्वपूर्ण तत्व के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
Cite this article:
हेमन्त शर्मा. संस्थाओं की विकास आयु, प्रभाव एवं प्रबंधन.
Int. J. Ad. Social Sciences 3(1): Jan. –Mar., 2015; Page 35-42
Cite(Electronic):
हेमन्त शर्मा. संस्थाओं की विकास आयु, प्रभाव एवं प्रबंधन.
Int. J. Ad. Social Sciences 3(1): Jan. –Mar., 2015; Page 35-42 Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2015-3-1-9