Author(s): सुधीर कुमार राय

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Address: सुधीर कुमार राय असिस्टेण्ट प्रोफेसर, समाजशास्त्र विभाग, उदयप्रताप स्वायत्तशासी काॅलेज, वाराणसी।

Published In:   Volume - 2,      Issue - 4,     Year - 2014


ABSTRACT:
काशी बहुसंस्कृति-समन्वय केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ विविध धर्मावलम्बी सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहते हैं। इसकी गंगा-जमुनी संस्कृति का अलग रंग है। प्राचीन काल से ही काशी ब्राह्मण, बौद्ध एवं जैन धर्मावलम्बियों के तीर्थ के रूप में विख्यात है। इसे समाजशास्त्रीय शब्दावली में पवित्र-सम्मिश्र ;ैंबतमक ब्वउचसमगद्ध के रूप में जाना जाता है। इसकी प्राचीनता, निरंतरता एवं मोहकता विश्वजनिन है। लगभग तीन सहस्राब्दियों से यह अपनी पवित्रता बनाये हुए है। धर्मशास्त्रों में इसे कई नामों से जाना जाता है-वाराणसी, काशी, आनन्दकानन, अविमुक्त एवं महाश्मशान1। हिन्दुओं के लिए यह नगर अटूट धार्मिक पवित्रता,पुण्य तथा विद्या का प्रतीक रहा है। अपनी महान जटिलताओं तथा विरोधों के कारण यह सभी युगों में भारतीय जीवन का एक सूक्ष्म स्वरूप रहता आया है। काशी के विषय में बौद्ध-जैन ग्रन्थों, महाकाव्यों, पुराणों एवं लौकिक साहित्य में अनेक बाते लिखी गयी हैं। किन्तु इसके सम्बन्ध में मौखिक परम्परा भी काफी समृद्ध है।


Cite this article:
सुधीर कुमार राय. काशी के लोकोत्सव: सोरहिया मेले के विशेष सन्दर्भ में. Int. J. Ad. Social Sciences 2(4): Oct. - Dec., 2014; Page 217-223.

Cite(Electronic):
सुधीर कुमार राय. काशी के लोकोत्सव: सोरहिया मेले के विशेष सन्दर्भ में. Int. J. Ad. Social Sciences 2(4): Oct. - Dec., 2014; Page 217-223.   Available on: https://ijassonline.in/AbstractView.aspx?PID=2014-2-4-6


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