ABSTRACT:
किसी भी उत्पादित फसलों में निवेश का मूल्य एवं उत्पादित फसलों के मूल्य का अंतर ही कृषकों का लाभ होता है। लाभांश में वृद्धि, कृषि में निवेश के वृद्धि से धनात्मक संबंध होता है। निवेश में वृद्धि से उपज में वृद्धि होगा। क्षेत्र में मूल्य निवेश के अन्तर्गत मानव श्रम, पशु शक्ति, उर्वरक, खाद एवं बीज प्रमुख अवयव है। अध्ययन क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति कृषिकों के द्वारा कृषिकों परंपरागत कृषि में मानव श्रम एवं पशु शक्ति, उर्वरक तथा बीजों के लिए पूँजी नियोजन, कृषि व्यवस्था में प्रमुख अवयव होता है, इसके अलावा कृषि उपकरण एवं सिंचाई के साधनों का उपयोग, पूँजी एवं अन्य साधनों पर निर्भर करता है। कृषि भूमि की उर्वरता, वर्षा की नियमितता एवं निश्चितता, तापमान, भू-स्वामित्व, जोत का आकार, आदि भी कृषि निवेश-निर्गत को प्रभावित करता है।
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रामेश्वर प्रसाद ठाकुर’ सरला शर्मा. दुर्ग-राजनांदगाँव उच्च भूमि में अनुसूचित जनजाति कृषकों में कृषि निवेश-निर्गत एवं भूमि निर्वहन क्षमता.
Int. J. Ad. Social Sciences 2(2): April-June, 2014; Page 114-121.