भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत ठेका श्रमिकों का सामाजिक - आर्थिक अध्ययन

(इस्पात संयंत्र के समीपस्थ ग्रामों में निवासरत श्रमिकों के विशेष संदर्भ में)

 

नीलम संजीव एक्का, कल्याणी

दाऊ उत्तम साव शासकीय महाविद्यालय मचांदुर, दुर्ग (..)

*Corresponding Author E-mail: nsekka2@gmail.com

 

ABSTRACT:

प्रस्तुत अध्ययन का केंद्र बिन्दु छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में  स्थित भिलाई इस्पात संयंत्र (BHILAI STEEL PLANT) के ठेका श्रमिक हैं। इस अध्ययन के द्वारा संयंत्र के श्रमिकों के जीवनयापन संबंधी विविध पहलुओं को उजागर करने का प्रयास किया गया है। उत्पादन प्रणाली की आधारभूत आवश्यक तथ्य मानव श्रम को उपलब्ध कराने वाले समूह से संबंधित होने के कारण यह अध्ययन विषय अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। इस शोधपत्र में यह जानने का प्रयास किया गया है कि उत्पादन प्रणाली के सबसे महत्वपूर्ण घटक श्रम उपलब्ध कराने वाले ठेका श्रमिक किस प्रकार के सामाजिक और आर्थिक परिवेश में जीवन यापन कर रहे हैं, उनके समक्ष कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं और साथ ही उनके जीवनयापन तथा कार्य संबंधी अनुभवों को भी समझने का प्रयास किया गया है।

 

KEYWORDS: इस्पात संयंत्र, ठेका श्रमिक, मानव श्रम, संयुक्त परिवार, कार्य स्थल, विवाह की आयु, मदिरापान।

 

 


प्रस्तावना:-

भिलाई इस्पात संयंत्र (BHILAI STEEL PLANT) भारत के छत्तीसगढ़ राज्य  के दुर्ग जिले के भिलाई नामक स्थान पर स्थित है जहां से होकर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 53 (धुले - कोलकाता) तथा मुंबई - कोलकाता मुख्य रेल्वे मार्ग गुजरती है। छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर से पश्चिम दिशा में लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर भिलाई इस्पात संयंत्र स्थित है।

   

भिलाई इस्पात संयंत्र भारत का प्रथम इस्पात संयंत्र है। इसकी स्थापना स्वतंत्र भारत के द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1955 -1961) के अंतर्गत सोवियत संघ की सहायता से 1955 में हुई थी एवं 1959 में उत्पादन आरंभ हुआ था। वर्तमान में यह भारत का प्रमुख स्टील उत्पादक संयंत्र है जिसे विभिन्न पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। इसे भारत के सर्वश्रेष्ट एकीकृत इस्पात संयंत्र होने के लिए दस बार प्रधानमंत्री ट्रॉफी मिल चुका है।

 

इस संयंत्र की स्थापना के कारण छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिले का भिलाई नामक क़स्बा वर्तमान में एक बड़े नगर के रूप में विकसित हो चुका है और छत्तीसगढ़ राज्य की पहचान बन चुका है। देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोग इस संयंत्र में कार्यरत हैं इस कारण भिलाई नगर एक सांस्कृतिक भिन्नता अथवा सांस्कृतिक समन्वय का केंद्र के रूप  में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है।  इस संयंत्र की स्थापना के कारण न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है वरन देश के विभिन्न राज्यों के लोगों को रोजगार मिल रहा है। संयंत्र के समीपस्थ  लगभग 25 किलोमीटर के दायरे के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को प्रतिदिन सुबह अपनी साइकिल एवं दो पहिया वाहनों से भिलाई इस्पात संयंत्र की ओर जाते हुए देखा जा सकता है जिनमें से अधिकांश लोग संयंत्र में कार्यरत ठेका श्रमिक हैं। प्रस्तुत अध्ययन इन्हीं ठेका श्रमिकों पर आधारित है जो अपने पैतृक निवास स्थान के गाँव में रहते हुए संयंत्र में ठेका श्रमिक के रूप में कार्य करते हुए जीवनयापन कर रहे हैं। इन श्रमिकों में कुशल और अकुशल दोनों प्रकार के श्रमिक शामिल हैं, कुशल श्रमिकों की पारिश्रमिक अकुशल श्रमिकों की तुलना में कुछ ज्यादा होता है तथा कार्यानुभव बढ़ने पर अकुशल श्रमिकों की पारिश्रमिक में भी बढ़ोतरी होती है। वस्तुतः क्षेत्र के ग्रामीण समुदाय के लोगों के लिए स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध हो रहा है और इस कारण ये श्रमिक अपनी पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने के साथ-साथ अपने  पैतृक कृषि भूखंड पर मौसमी कृषि भी आंशिक तौर पर कर रहे हैं।       

                

अनुसन्धान प्रविधि:-

प्रस्तुत अध्ययन के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत ऐसे ठेका श्रमिक जो संयंत्र के समीपस्थ लगभग 25 किलोमीटर के दायरे के ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत हैं उन ठेका श्रमिकों का उद्देश्यपूर्ण निर्देषन पद्धति द्वारा चयन कर साक्षात्कार अनुसूची का प्रयोग करके प्राथमिक तथ्यों का संकलन किया गया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न लेखों, अभिलेखों तथा अनुभव जन्य तथ्य इत्यादि पर यह अध्ययन आधारित है।

 

ठेका श्रमिकों का सामाजिक-आर्थिक स्थितिः-  

भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत ठेका श्रमिकों के सामाजिक - आर्थिक स्थिति का जिन बिन्दुओं के आधार पर अध्ययन किया गया हैं उनका सारणीनुमा प्रारूप निम्न्वत है:-

 

तालिका क्रमांक 01: परिवार का स्वरूप

परिवार का स्वरूप

संख्या

प्रतिशत

एकांकी

22

44 %

संयुक्त

28

56 %

विस्तृत

00

00

 

चार्ट क्रमांक 01: परिवार का स्वरूप

 

तालिका क्रमांक 02: विवाह की आयु

विवाह की आयु

लड़के

प्रतिशत

लडकियां

प्रतिशत

15-20

25

50 %

30

60 %

20-25

18

36 %

16

32 %

25-30

05

10 %

04

8 %

30-35

02

4 %

00

00

 

चार्ट क्रमांक 02: विवाह की आयु

 

तालिका क्रमांक 03: परिवार में महिलाओं की स्थिति

परिवार में महिलाओं की स्थिति

संख्या

प्रतिशत

पुरूषों के अधीन

20

40 %

पुरूषों के समान

28

56 %

पुरूषों से अधिक स्वतंत्र

2

4 %

 

चार्ट क्रमांक 03: परिवार में महिलाओं की स्थिति

 

तालिका क्रमांक 04: कार्य स्थल पर परिस्थितियां

कार्य स्थल पर परिस्थितियां

संख्या

प्रतिशत

बहुत अच्छा

12

24 %

अच्छा

16

32 %

सामान्य

18

36 %

असामान्य

04

8 %

 

चार्ट  क्रमांक 04: कार्य स्थल पर परिस्थितियां

 

तालिका क्रमांक 05: औसत मासिक आय

औसत मासिक आय

संख्या

प्रतिशत

0-5000

0

0

5000-10000

22

44 %

10000-15000

11

22 %

15000-20000

11

22 %

20000-25000

6

12 %

 

चार्ट क्रमांक 05: औसत मासिक आय

 

तालिका क्रमांक 06: मदिरापान की स्थिति

शराब सेवन की स्थिति

संख्या

प्रतिशत

हां

35

70 %

नहीं

15

30 %

 

चार्ट क्रमांक 06: मदिरापान की स्थिति

 

तालिका क्रमांक 07: वर्तमान आय से संतुष्टि

वर्तमान आय से संतुष्टि

संख्या

प्रतिशत

पूर्णतया

18

36 %

सामान्य

30

60 %

असंतुष्ट

02

4 %

 

चार्ट क्रमांक 07: वर्तमान आय से संतुष्टि

 

विश्लेषण:-

परिवार का स्वरूप:-

प्रदर्शित तालिका क्रमांक 01 एवं चार्ट क्रमांक 01 के अवलोकन से स्पष्ट होता है की अध्ययन की इकाई ठेका श्रमिकों के परिवारों में से 44% परिवारों का स्वरूप एकाकी/केन्द्रीय (Nuclear Family) तथा 56% संयुक्त परिवार (Joint Family) पाया गया। परिवार के आकार की यह प्रवृत्ति ग्रामीण भारतीय समाज की  महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है।

 

विवाह की आयु:-

तालिका एवं चार्ट क्रमांक 02 से ज्ञात होता है कि 50% लड़कों का विवाह 15 से 20 वर्ष की आयु में तथा 36% लड़कों का विवाह 20 से 25 वर्ष की आयु में जबकि 10% लड़कों का विवाह 25 से 30 वर्ष की आयु में और केवल 2% लड़कों का विवाह 30 से 35 वर्ष की आयु में होना पाया गया। वहीं 60% लड़कियों  का विवाह 15 से 20 वर्ष की आयु में, 32% लड़कियों का विवाह 20 से 25 वर्ष की आयु में, 8% लड़कियों  का विवाह 25 से 30 वर्ष में होना पाया गया। विवाह की आयु संबंधी आँकड़े यह दर्शाते हैं की नगरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह कम आयु में होते हैं।

 

परिवार में महिलाओं की स्थिति:-

तालिका क्रमांक 03 एवं चार्ट क्रमांक 03 के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि ठेका श्रमिकों के परिवार में महिलाओं की स्थिति 40% पुरुषों के अधीन, 56% पुरुषों के समान तथा केवल 4% पुरुषों से अधिक स्वतंत्र पाया गया।

 

कार्य स्थल पर परिस्थितियां:-

तालिका एवं चार्ट क्रमांक 04 से स्पष्ट होता है कि 24% श्रमिकों का मानना है की कार्यस्थल की परिस्थितियाँ बहुत अच्छी हैं, 32% का मानना ही केवल अच्छी हैं, 36% श्रमिकों का ने बताया सामान्य है एवं केवल 8% श्रमिकों का मानना है कि कार्य स्थल पर परिस्थितियां असामान्य हैं।

 

औसत मासिक आय:-

तालिका एवं चार्ट क्रमांक 05 के अवलोकन से ज्ञात होता  है कि 44% श्रमिकों की औसत मासिक आय 5000-10000 के बीच होना पाया गया, 22% श्रमिकों की औसत मासिक आय 10000-15000 के बीच होना पाया गया, 22% श्रमिकों की औसत मासिक आय 15000-20000 के बीच होना पाया गया, 12% श्रमिकों की औसत मासिक आय 20000-25000 के बीच होना पाया गया।

 

मदिरापान की स्थिति:-

तालिका क्रमांक 06 एवं चार्ट क्रमांक 06 से स्पष्ट होता है कि अधिकांश अर्थात 70% श्रमिकों द्वारा मदिरापान किया जाता है जबकि 30% श्रमिकों द्वारा मदिरापान अर्थात शराब सेवन नहीं किया जाता है।

 

वर्तमान आय से संतुष्टि:-

चार्ट एवं तालिका क्रमांक 07 के विवेचन से स्पष्ट होता है कि अधिकांश 60% श्रमिक अपनी आय से सामान्य रूप से संतुष्ट हैं जबकि 41% श्रमिक असन्तुष्ट हैं तथा केवल 36% श्रमिक पूर्णतया अपनी वर्तमान आय से संतुष्ट हैं। 

 

निष्कर्ष:-

द्वितीय पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत देश में रोजगार सृजन, गरीबी उन्मूलन तथा औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित भिलाई इस्पात संयंत्र ने देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस क्षेत्र में भिलाई इस्पात संयंत्र आरम्भ होने पर यहां के श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार प्राप्त हुए जिससे उनके परिवार के आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति दोनों में सुधार हुआ। भिलाई इस्पात संयंत्र में रोजगार उपलब्ध होने के कारण स्थानीय श्रमिकों के परिवारों के  जीवन स्तर पर सकारात्मक  प्रभाव पड़ा है जिससे  इनका सामजिक,आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्र में पर्याप्त विकास हुआ है।

 

अध्ययन में यह भी पाया गया की अधिकांश परिवारों में महिला और पुरुष की स्थिति सामान है परन्तु अधिकांश लड़कियों का विवाह कम आयु (15-20) वर्ष में होना पाया गया, जो कि वर्तमान समय की एक बड़ी सामजिक समस्या है जिसके समाधान के लिए लिए समाज में जागरूकता का प्रसार करने की आवश्यकता है। कार्य स्थल (भिलाई इस्पात संयंत्र) पर परिस्थिति सामान्यतः अच्छा एवं सामान्य पाया गया है। अधिकांश श्रमिकों (44%)  की मासिक आय 5000-10000 रूपए के बीच है जो सामान्यतः एक परिवार की मासिक व्यय के लिए यह आय औसतन कम है। वर्तमान आय से अधिकांश परिवार केवल सामान्य रूप से संतुष्ट पाए गए। अतः इनके पारिश्रमिक में बढ़ोतरी की जाने की आवश्यकता है। अध्ययन में अधिकांश ठेका श्रमिकों द्वारा मदिरापान किया जाना पाया गया। मदिरापान व्यक्ति के आर्थिक, शारीरिक,मानसिक,पारिवारिक और सामाजिक विघटन के प्रमुख कारणों की सूची में सबसे ऊपर आता है इसलिए श्रमिकों के बीच मदिरापान के दुष्परिणाम सम्बन्धी प्रचार-प्रसार नितांत आवश्यकता है।

 

इस प्रकार देखा जा सकता है कि भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना होने के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र के ग्रामीण परिवारों का सामाजिक-आर्थिक विकास हुआ है। अधिकांश श्रमिक परिवार संतुष्ट पाए गए परन्तु कुछ बिन्दुओं पर सुधार अपेक्षित है।

 

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Received on 13.02.2025      Revised on 28.02.2025

Accepted on 28.03.2025      Published on 25.03.2025

Available online from March 27, 2025

Int. J. Ad. Social Sciences. 2025; 13(1):25-31.

DOI: 10.52711/2454-2679.2025.00005

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