दुर्ग जिले के षिवनाथ नदी में पर्यटन एवं रोजगार की संभावनायें
चेतना गजपाल1, डॉ. कुबेर सिंह गुरुपंच2
1शोधार्थी, भूगोल विभाग,
शासकीय विष्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वषासी महाविद्यालय दुर्ग, छत्तीसगढ़
2प्रोफेसर एवं डीन, भारती विष्वविद्यालय, दुर्ग ;छ.ग.द्ध
*Corresponding Author E-mail: govindsinghthakur1234@gmail.com
ABSTRACT:
छत्तीसगढ़ में पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य में उत्तर से लेकर दक्षिण, पूर्व से लेकर पश्चिम, जिस दिशा में नजर दौड़ाएंगे, वहाँ आकर्षण का केंद्र मिल जाएगा। छत्तीसगढ़ के उत्तर में तमोरपिंगला वन्यजीव अभयारण्य, समरसोत वन्यजीव अभयारण्य, दक्षिण में कांगेर घाटी वन, बस्तर की वादिया, इंद्रावती राष्ट्रीय पार्क, पूर्व में सीतानदी वन्यजीव अभयारण्य, उदंती अभयारण्य, पश्चिम में अचानकमार वन्यजीव अभयारण्य, मध्य में नवापारा वन क्षेत्र आदि के अलावा प्रत्येक जिले में धार्मिक स्थलों, नदियो, जल प्रपात व अन्य दुर्लभ पर्यटन स्थलों से राज्य एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए मनुष्य को प्राकृति के करीब लाती है। मेरे द्वारा शिवनाथ नदी में पिकनिक स्पॉट की पर्यावरणीय दृष्टि से देख रेख व स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करने की आवश्यकता पर विश्लेषण किया गया है मेरे द्वारा शोध अध्ययन के उद्देश्य के रूप में दुर्ग जिले के शिवनाथ नदी में पर्यटन की संभावनाओं का अध्ययन, पर्यटन से रोजगार की संभावनाओं का अध्ययन एवं पर्यटन विकास एवं पर्यटन रोजगार के विकास में समस्या एवं समाधान का अवलोकन किया गया है। अध्ययन क्षेत्र के रूप में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले को लिया गया है, जो कि छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख जिला है। यह जिला औद्योगिक शहर के रूप में प्रचलित है। दुर्ग जिला छत्तीसगढ़ में रायपुर के बाद सबसे बड़ा नगरीय क्षेत्र है। रायपुर से 50 किलोमीटर एवं राजनांदगांव से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। यह जिला शिवनाथ नदी एवं खारून नदी के तट पर बसा हुआ है। दुर्ग जिले के पर्यटन स्थल के रूप में पिकनिक स्पॉट के अंतर्गत भरदा पिकनिक स्पॉट, छातागढ पिकनिक स्पॉट, चिरैया उपवन, महादेव मंदिर चीखली, महमरा एनिकेट घाट, पुष्पवाटिका, पहाड़ीपाट पिकनिक स्पॉट आदि की सौंदर्यता को विकसित करने, पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित रखने एवं उनसे रोजगार के अवसरांें के विकास का अध्ययन किया गया है।
KEYWORDS: षिवनाथ नदी, पर्यटन, रोजगार, संभावनाएं, पिकनिक स्पॉट।
प्रस्तावना
छत्तीसगढ़ राज्य में पर्यटन क्षेत्रों के साथ-साथ पर्यटन से रोजगार की संभावनाएँ भी अधिक है, यहाँ जंगल, पहाड़, नदी, जलाशय, ऐतिहासिक एवं पुरातत्विक महत्त्व के अनेक दर्शनीय स्थल है। राज्य में स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा काम किया जा रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए अनेक योजनाएं बनाई गई है। दुर्ग जिले के शिवनाथ नदी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिये यहाँ पर सैलानी बोटिंग एवं नदी तट की सैर के लिये पाथ-वे एवं खाने पीने की दुकानों के इन्स्टॉल से स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिये सार्थक प्रयास किये जा रहे है।
ऐतिहासिक काल से ही मानव का जीवन घूमन्तु प्रवृत्ति का रहा है। मानव का इतिहास नदियों से जुड़ी हुई है, मानव द्वारा सदियों से नदी के जल राशियों का संचयन, जीविका के रूप में, मनोरंजन के रूप में नदियों का उपयोग करता रहा है। इन्हीं नदियों से विभिन्न पर्यटन स्थलों का निर्माण हुआ है, जो आज भी लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता है। पर्यटकों को यात्रा के दौरान स्वच्छ पर्यावरण व अधिक से अधिक सुविधाओं की इच्छा होती है, पर्यटकों द्वारा भ्रमण में आनंद के साथ साथ पर्यटन स्थलों पर किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना चाहता। पर्यटकों को यात्रा के दौरान खाने पीने की समस्या, आसपास रुकने की समस्या, मनोरंजन में कमी की समस्या आदि को दूर करने हेतु एवं पर्यटन के विकास व पर्यटन द्वारा रोजगार के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं व कार्य किए जा रहे हैं। वर्तमान समय में मानव के लिए सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी। पर्यटन क्षेत्रों के विकास से रोजगार की कमी भी दूर की जा सकती है। पर्यटन क्षेत्रों में लोगों को रोजगार की अधिक संभावनाएँ बनती है। पर्यटकों द्वारा पर्यटन स्थलों में भ्रमण के समय सुविधाओं की आवश्यकता होती है, स्थानीय व क्षेत्रीय लोगों द्वारा इन्हीं सुविधाओं की पूर्ति करके आय के साधन का विकास किया जाता है।
उद्देश्य
1. दुर्ग जिले के शिवनाथ नदी में पर्यटन की संभावनाओं का अध्ययन करना।
2. दुर्ग जिले के शिवनाथ नदी में पर्यटन से रोजगार की संभावनाओं का अध्ययन करना।
3. पर्यटन विकास एवं पर्यटन रोजगार के विकास में समस्या एवं समाधान का अवलोकन करना।
अध्ययन क्षेत्र
दुर्ग:-
छत्तीसगढ़ के हृदय में स्थिति दुर्ग जिला जो कि 20ं 51’ उत्तरी अक्षांश से 21ं 32’ उत्तरी अक्षांश तक तथा 81ं 8’ पूर्वी देशांतर से 81ं 37’ पूर्वी देशान्तर तक फैला हुआ है। यह 271862 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जिले के बीच से राजमार्ग क्रमांक-06 (मुंबई-नागपुर-कोलकाता राजमार्ग) से गुजरता है। दुर्ग जिला ऊपरी शिवनाथ नदी पर स्थित है। यहाँ सांस्कृतिक विविधता, सामाजिक सामंजस्य, संसाधनों के अर्थपूर्ण उपयोग एवं विभिन्न प्रकार के जाति-धर्म-भाषा के रहने वालों में आपसी भाईचारा का समावेश है। दुर्ग जिले को छत्तीसगढ़ के गौरव का प्रतीक माना जाता है। दुर्ग जिले की अधिकांश सीमाएं शिवनाथ नदी के किनारे स्थित है। इसके पड़ोसी जिलों के रूप में राजनांदगांव, रायपुर, बेमेतरा, बालोद, धमतरी लगा हुआ है।
शिवनाथ नदी:-
शिवनाथ नदी दुर्ग जिले की प्रमुख नदी है। जो कि महानदी की सहायक नदी भी है। इसका उद्गम स्थान राजनांदगांव के पानाबरस की पहाड़ी से हुआ है। यह दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है व दुर्ग जिले की सामान्य ढलान उत्तर पूर्व की ओर है जिसके कारण यहाँ की नदियाँ इसी दिशा में निरंतर प्रवाहित होती है। षिवनाथ नदी अधिकतर जिले के मध्य से बहने के कारण जिले को दो भागों में विभाजित करती जाती है। यह उत्तर पूर्व की ओर राजनांदगांव, दुर्ग, बेमेतरा होते हुए बिलासपुर में शिवरीनारायण के पास महानदी में मिल जाती है। इसकी अनेक सहायक नदियां हैं। ये कुल 250 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए प्रवाहित होती है।
शोध विधि तंत्र
प्रस्तुत शोध पत्र में उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्राथमिक व द्वितीय स्रोतों का उपयोग किया गया है। पर्यटन क्षेत्रों की जानकारी हेतु द्वितीयक स्त्रोतों का उपयोग किया गया है, जैसे पत्र-पत्रिका, समाचार-पत्रों, इंटरनेट से अवलोकनात्मक अध्ययन किया गया है। एवं पर्यटन क्षेत्रों को मानचित्र तथा चित्रों द्वारा स्पष्ट किया गया है।
दुर्ग जिले के शिवनाथ नदी में पर्यटन
वैसे तो दुर्ग जिला छत्तीसगढ़ के समतली मैदानी क्षेत्र में स्थित है, जिसके कारण यहाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन स्थलों का कमी पाई जाती है। यहाँ अधिकांशतः स्थानीय एवं आसपास के क्षेत्रीय नागरिको का ही पर्यटन हेतु आगमन होता है। दुर्ग जिले में गणेश पूजा एवं नवरात्रि को धूमधाम से मनाया जाता है, जिसे देखने हजारों की संख्या में दूर-दूर से नागरिको का आगमन होता है। दुर्ग जिले के शिवनाथन नदी के तटीय क्षेत्रों में पार्को, चौपाटी, नौका विहार क्षेत्र, पिकनिक स्पॉट, धार्मिक स्थल जहाँ समय समय पर मेला का आयोजन भी होता हैं, आदि पर्यटन क्षेत्रों के रूप में मनोरंजन पूर्ण क्षेत्र है। जिनमें से निम्न उल्लेखित है-
1) सगनीघाट- सगनी घाट दुर्ग जिले के शिवनाथ नदी के तट पर स्थित एक आकर्षक पिकनिक स्पॉट है। यह सगनी नाम के गांव से 1 किलोमीटर अंदर बना है जो कि यह गांव दुर्ग जिले से 24 किलोमीटर की दूरी पर दुर्ग-धमधा मार्ग पर स्थित है इस गांव को आनंदधाम के नाम से भी जाना जाता है। सगनी घाट शिवनाथ नदी के तट पर जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है पर स्थित है। जिसके दोनों तरफ तटों पर आश्रम व मंदिर बना हुआ है। जहाँ प्रत्येक वर्ष माघ माह के पूर्णिमा के दिन मेला लगता है। जिसे देखने पर्यटक दूर-दूर से आते हैं। यहाँ का मेला व मनोरम दृश्य पर्यटकों के मन को मोह लेता है।
2)श्री उवसाग्घहरम पार्श्व तीर्थ- दुर्ग जिले के नगपुरा में एक जैन मंदिर जो शिवनाथ नदी के तट पर मनोरम प्राकृतिक दृश्यों के बीच परिसरों, अतिथि गृहों, मंदिरों, बगीचा, प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग केंद्र के साथ निर्मित किया गया है। यहाँ जैन तीर्थों में से 23वें तीर्थकर भगवान श्री पार्श्वनाथ का मंदिर है जो की 3000 वर्ष पहले इस क्षेत्र में उनके पवित्र आगमन को श्रमण के रूप में याद करके बनाया गया है। इसका निर्माण 1995 में किया गया था। इस मंदिर के देदीप्यमान संगमरमर की प्रवेश द्वार जिसकी उंचाई 30 फीट है, जिसमें आध्यात्मिक प्रायश्चित के चार तत्वों ज्ञान, आत्मनिरीक्षण, अच्छे आचरण व तपस्या के प्रतीक के रूप् में समर्थन को प्रकट करता है पूर्णिमा के दिन सैकड़ों तीर्थ यात्री यहाँ आते हैं। यहाँ जैन तीर्थ के रूप में भक्तों की भीड़ लगी रहती है, यहाँ के मनोरम दृश्यों का आनंद उठाने दूर-दूर से लोगों का आगमन होते रहता है यह स्थान जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
3)छातागढ़ मंदिर- मान्यता है कि छत्तीसगढ़ का नाम 36 गढ़ों के नाम से पड़ा है। उन्हीं गढ़ों में से एक गढ़ है छातागढ़। जो दुर्ग जिले के शिवनाथ नदी के तट पर स्थित है। यहाँ ढाई हजार साल पुरानी हनुमान जी की मूर्ति के रुप में मनोकामना सिद्धपीठ हनुमान मंदिर स्थापित है। मान्यतानुसार कहा जाता है कि यहाँ आने वाले कि हर मनोकामना पूरी होती है इसीलिए इसके दर्शन हेतु दूर-दूर से सैलानी आते हैं इस स्थान पर बना पिकनिक स्पॉट लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। यहाँ आने पर लोगों को यहाँ की रोचक दंतकथाओं के बारे में जानने का अवसर मिलता है। यह स्थान जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
4)भरदा बगीचा पिकनिक स्पॉट- भरदा दुर्ग जिले का एक गांव है, जो दुर्ग से दक्षिण की और 6 किलोमीटर की दूरी पर दुर्ग-बालोद मार्ग पर स्थित है। यह शिवनाथ नदी और तांदुला नदी के संगम पर बसा हुआ है, जिसके कारण एक पिकनिक स्पॉट के रूप में यह लोगों का ध्यानाकर्षित करता है। यहाँ अधिकतर लोगों द्वारा पिकनिक के रूप में मनोरंजन के लिये ही आगमन होता है। यहाँ कृष्ण-राधाजी, हनुमान जी व शिव जी का मंदिर है यहाँ आने का सबसे अच्छा समय नवंबर से मई तक का होता है क्योंकि बारिश के मौसम में यह मार्ग दुर्गम हो जाता है।
5)महमरा एनीकेट दुर्ग- दुर्ग जिले के जीवन दायनी कहे जाने वाली शिवनाथ नदी पर बना एनिकेट जो कि दुर्ग जिले के महमरा में है। यहाँ सैलानियों का सालभर आगमन रहता है। यहाँ पर शिवजी का विलक्षण मंदिर एवं अन्य मंदिर स्थापित है। शिवरात्रि में यहाँ भव्य मेला का आयोजन होता है। इसके अलावा दुर्ग में पेयजलापूर्ति हेतु विशाल फिल्टर प्लांट लगा हुआ है। यहाँ मुख्य आकर्षण का केंद्र तब बनता है जब बारिश के मौसम में नदी का पानी एनिकट से ऊपर बहने लगता है। भविष्य में यहां लक्ष्मण झूला निर्माण के साथ-साथ पर्यटन क्षेत्र को बढ़ाने के उद्देश्य से नदी के दोनो किनारों में पौधरोपण, गार्डन का निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिससे महमरा घाट परिक्षेत्र का विकास किये जाने की योजनाएं चल रही है।
6)चतुर्भुजी मंदिर तितुरघाट- यह दुर्ग जिले के तितुरघाट गांव में स्थित एक धार्मिक स्थल है, जो कि विष्णु भगवान जी का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर शिवनाथ नदी के किनारे बना हुआ है, जो की बहुत ही आकर्षक एवं पर्यटन के लिए एक अच्छा स्थान है। यहाँ पर बना घाट जिसमें प्रतिवर्ष दो बार कार्तिक पूर्णिमा एवं माघ पूर्णिमा के समय मेला लगता है। यहाँ पिकनिक स्पॉट भी है। जो लोगों को अपनी ओर खींचता है।
7)इनके अतिरिक्त दुर्ग जिले के अन्य पर्यटन स्थल जो कि निम्नलिखित है-
ऽ चिरैया उपवन, कुथरेल, दुर्ग, थनौद पिकनिक स्पॉट दुर्ग- दोनो ही षिवनाथ नदी के किनारे बना हुआ है।
ऽ महादेव मंदिर चीखली, दुर्ग
ऽ मैत्री बाग भिलाई नगर दुर्ग- यहॉ विभिन्न प्रजाती के पशु पक्षी देखने का मिलता है, व्हाइट टाइगर यहॉ का मुख्य आकर्षण है।
ऽ देवबलोदा- यह दुर्ग जिले से 3 कि.मी. की दूरी पर चरोदा में स्थित एक छोटा सा कस्बा है। जहाँ शिव जी का प्राचीन मंदिर है।
ऽ शहीद उद्यान दुर्ग- यह उद्यान देष के लिए बलिदान देने वाले वीर षहिदों की याद में बनाया गया हैं।ऽ
ऽ सी सी मॉन्यूमेंट गार्डन भिलाई सेक्टर 6- यहॉ विभिन्न कलाकृतियॉ देखने लायक है साथ ही परिवार के साथ चौपाटी का लुत्फ उठा सकते हैं।
ऽ बालाजी मंदिर भिलाई- यहॉ भगवान बालाजी व वेंकटेषजी का सुन्दर मंदिर स्थापित है।
ऽ श्री जगन्नाथ मंदिर भिलाई सेक्टर 4- उड़ीसा के जगन्नाथ पूरी के मंदिर के तर्ज पर बना बहुत सुन्दर मंदिर है।
ऽ जुबली पार्क भिलाई
ऽ सुनीति उद्यान भिलाई सेक्टर 8
ऽ तरीघाट ऐतिहासिक धरोहर दुर्ग, खारून नदी के किनारे महामाया जी का मंदिर।
ऽ श्री शिव मंदिर दुर्ग खारून नदी के बीच में स्थित दो मंजिला शिव जी का मंदिर एवं राम दरबार।
ऽ पहाड़ी पाठ मंदिर व वन चेतना केंद्र मनगटा दुर्ग
ऽ बंधा तालाब दुर्ग
ऽ छत्तीसगढ़ ग्रंथालय
ऽ विष्णु मंदिर बानबरद दुर्ग
ऽ श्री त्रिमूर्ति महामाया बुढ़ादेव मंदिर
ऽ धमधा का किला दुर्ग
ऽ बूढ़ेश्वर शिव मंदिर एवं चतुर्मुखी मंदिर धमधा दुर्ग।
ऽ फुडपार्क बोरई, दुर्ग।
ऽ नंदिनी माइंस दुर्ग, एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल में फॉरेस्ट वंडरलैंड- नंदिनी क्षेत्र राजनांदगांव से 50 किमी, दुर्ग शहर से 15 किमी, रायपुर से 40 किमी, और बेमेतरा से 72 किमी की दूरी पर स्थित होने से यहां आने वाले पर्यटक विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।
दुर्ग जिले के शिवनाथ नदी में पर्यटन से रोजगार की संभावनाएं
वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ या भारत ही नहीं विश्व के कई देशों की अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु पर्यटन क्षेत्र होता है। पर्यटन एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें सेवा प्रदाता व सेवा प्राप्तकर्ता सम्मिलित रूप से शामिल होता हैं। इसमें प्रमुख रूप से होटल व्यवसाय, टूर ट्रैवल एजेंसी, रेस्टोरेंट, परिवहन आदि की सेवाएं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराती है। पर्यटन विकास से लोगों के आर्थिक क्षेत्र में विकास व सामाजिक रूप से विकास में बढ़ोतरी होती है। पर्यटन विकास से पर्यावरण की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है।
जिस प्रकार से नदियों का प्रयोग कृषि क्षेत्र के विकास के लिए किया जाता है इसी प्रकार से आय के अन्य स्रोत का निर्माण कर बेरोजगारी दूर किया जा सकता है। नदी जो कि अपने आप में मनोरम दृश्यों को समेटे हुए होता है। उसी नदी के तटीय क्षेत्रों में पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने से स्थानीय व क्षेत्रीय लोगों की बेरोजगारी दूरकर रोजगार उपलब्ध कराने की पहल की जा सकती हैं।
ऽ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय पैदा करने में पर्यटन अन्य उद्योगों की तुलना में अधिक प्रभावी होता है। रोजगार के अवसरों का विस्तार पर्यटन विकास पर टिका होता है।
ऽ पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के लिए कुशल, अर्धकुशल, अकुशल सभी प्रकार के व्यक्तियों को शामिल किया जा सकता है।
ऽ पर्यटन क्षेत्र में रोजगार के लिए अन्य उद्योगों की तुलना में लिंग तटस्थता होती है। इसमें महिलाओं को भी रोजगार की अधिक संभावनाएँ होती है।
ऽ पर्यटन क्षेत्रों के विकास, गुणवत्ता को बरकरार रखना, पर्यटन सुविधाओं व सेवाओं को विस्तार करना इन सब कार्यों से रोजगार के अवसर बनते हैं।
ऽ पर्यटन स्थलों के विकास से क्षेत्रीय व स्थानीय लोगो को रोजगार प्राप्त होता है, और उनकी प्रतिव्यक्ति आय भी बढ़ती है।
पर्यटन विकास एवं पर्यटन रोजगार के विकास में समस्या एवं समाधान
समस्याएँ -
ऽ पर्यटन क्षेत्रों के विकास व रोजगार में सबसे बड़ी बाधक होती है मुख्य पर्यटन स्थलों के समीप विकासशील पर्यटन स्थलों की अनदेखी।
ऽ शासन द्वारा दुर्ग के नदी तटीय क्षेत्रों में पर्यटन स्थलों पर पर्याप्त सुविधाओं का अभाव देखने को मिलती है।
ऽ इन स्थानों तक जाने का पहुॅच मार्ग दुर्गम होता है कि वहाँ पर्यटकों को पहुंचने में असुविधा होती है, इसलिए वहाँ का एक बड़ा हिस्सा आर्थिक लाभ और रोजगार से वंचित रह जाता है।
ऽ इसके अलावा यहाँ के लोगों के सामान्य स्वभाव के कारण उन्हें पर्यटकों द्वारा किए गये गंदगी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि जागरूकता की कमी के कारण लोग खाली बोतल, प्लास्टिक पेपर, व अन्य सामग्री को उसी स्थान पर ही फैला के चले जाते हैं, जो वहाँ की स्वच्छता को भी प्रभावित करता है।
ऽ सार्वजनिक सुविधाओं के अभाव में भी पर्यटन क्षेत्र का विकास अवरुद्ध है।
ऽ नदी के तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं के रूप में बाढ़ व सूखे की समस्या का सामना करना पड़ता है।
ऽ क्षेत्रीय लोगों में षिक्षा एवं कौषल की कमी होती है।
समाधान
ऽ सरकार एवं स्थानीय विभागों द्वारा मुख्य पर्यटन क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ शिवनाथ नदी के तटीय क्षेत्रों में विकासशील पर्यटन क्षेत्रों पर भी ध्यान देने से पर्यटन व रोजगार की सम्भावनाएं बढ़ जाएंगी।
ऽ पर्यटन क्षेत्रों में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देकर पर्यावरणीय दृष्टि से पर्यटन क्षेत्रों का विकास किया जा सकता है।
ऽ नदी तटीय पिकनिक स्पॉट को पर्यावरणीय दृष्टि से संरक्षित करने के लिए उचित प्रबंधन व जन जागरूकता को बढ़ावा देना आवश्यक है।
ऽ इन पर्यटन क्षेत्रों के दुर्गम मार्गो को सुगम बनाकर एवं पर्यटकों के लिए सार्वजनिक सुविधाओं जैसे सुलभ-शौचालय, कचरे की पेटी, पार्क, झूलें, खाने-पीने की व्यवस्था, ठहरनें की व्यवस्था से पर्यटन क्षेत्र में विकास की सम्भावनाएं बढ़ जायेगी।
ऽ इन पर्यटन क्षेत्रों पर कृत्रिम झील, जलप्रपात, स्वीमिंग पुल जैसे मनोरंजन के साधनों के निर्माण से पर्यटकों का ध्यानाकार्षित किया जा सकता है।
ऽ इन क्षेत्रों का प्रचार-प्रसार तकनीकी संचार के माध्यम से किया जा सकता है।
ऽ पर्यटन क्षेत्रों के विकास के लिए व प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन के लिए उचित नियोजन की आवश्यकता है।
ऽ इन पर्यटन क्षेत्रों के विकास के लिये राज्य षासन के अलावा निजी कार्पोरेट सेक्टर का भी सहयोग लिया जा सकता है।
ऽ क्षेत्रीय लोगों के शैक्षणिक स्तर, कौषल स्तर एवं नैतिकता के गुणों का विकास करने से पर्यटकों को अच्छा माहौल प्राप्त होता है एवं आवागमन में किसी भी प्रकार की परेषानी नही होती।
निष्कर्ष
शोध अध्ययन क्षेत्र में दुर्ग जिले के शिवनाथ नदी के तटीय क्षेत्रों से विकासशील पर्यटन स्थलों का गहन अध्ययन किया गया है। जिनमे विकास की गति धीमी चल रही है। क्षेत्रीय स्तर पर इन क्षेत्रों में पर्यटन के रूप में विकसित करने के कुछ योजनाएं बनायी जा रही है, जैसे कि दुर्ग जिले के विधायक द्वारा शिवनाथ नदी के महमरा एनीकेट पर लक्ष्मण झूला निर्माण योजना के लिए प्रस्तावित कार्य का निरिक्षण किया जा रहा हैं। इसी प्रकार से अन्य तटीय क्षेत्रों, पिकनिक स्पॉट व पर्यटन स्थलों में यदि विकास होगा तो वहाँ के स्थानीय व क्षेत्रीय लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध होने की संभावना बढ़ जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार एवं सेवा कार्य में लगे संस्थाओं द्वारा पर्यटकों के लिए समुचित व्यवस्था व प्रबंधन से पर्यटन क्षेत्र में विकास एवं रोजगार की गति में वृद्धि होगी।
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5. Wikipedia.org/wiki/दुर्ग_जिला/
Received on 28.02.2023 Modified on 11.03.2023 Accepted on 20.03.2023 © A&V Publication all right reserved Int. J. Ad. Social Sciences. 2023; 11(2):80-89. DOI: 10.52711/2454-2679.2023.00013 |