कोरोना काल में मद्यपानी अभिभावकों की समस्या एवं समाधान
बीना
कनिष्ठ शोध अध्येता, गृह विज्ञान विभाग, छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर.
*Corresponding Author E-mail: beenagupta0614@gmail.com
ABSTRACT:
किसी भी समस्या के अग्रिम जाँच पर पहुँचने से पहले यह अति आवश्यक है कि मद्यपानी अभिभावक की आर्थिक और सामाजिक विशिष्टताओं के सम्बन्ध में एक सामान्य टिप्पणी प्रस्तुत की जाए जिससे आगे के अध्याय में निष्कर्ष प्राप्त हो सके, फिर भी इन मद्यपानियों की समस्या सामान्य लोगों की सामाजिक समस्याओं से भिन्न होती है, जिन मद्यपानी अभिभावक उत्तरदाताओं को इस अध्ययन में सम्मिलित किया गया है वे शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के हैं। इन मद्यपानी अभिभावकों की सामाजिक पृष्ठभूमि अलग है। ये उत्तम व्यवहार के प्रति खतरनाक है। ऐसे लोगों का व्यवहार समाज को विचलित करता है तथा इनका वातावरण अलग किस्म का होता है। कोरोना काल में मद्यपानी अभिभावकों का व्यवहार सामान्य समय की तुलना में और भी अधिक विचलित करने वाला है।
KEYWORDS: मद्यपानी अभिभावकों, आर्थिक और सामाजिक समस्या.
प्रस्तावना
मद्यपान करना एक शारीरिक एवं मनोसामाजिक व्याधिकीय स्थिति होती है, जो समस्त समाज में किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। कोरोना काल में यह समस्या एक अलग ही रूप में प्रकट हुई। कोरोना काल में शराब की दुकानें अचानक बन्द होने से मद्यपानी अभिभावक विचलित हो गए। वे मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो गए। शराब के कई गुने ज्यादा दाम देने पर भी उन्हें शराब नहीं मिल पा रही थी और जब शराब की दुकानें खुली तो ये लोग लम्बी-लम्बी लाईनों में लग गए। लॉकडाउन की वजह से मद्यपानियों को आर्थिक तंगी से भी गुजरना पड़ा। अपनी शराब पीने की आदत की वजह से वे अपनी कमाई का एक भी हिस्सा नहीं बचा पाते। उनकी इस आदत की वजह से मद्यपानी तो प्रभावित हुए ही, साथ ही साथ उनके परिवार वाले भी प्रभावित हुए। कोरोना काल में मद्यपानियों को हिंसक रूप में देखा गया, जिसका शिकार सबसे ज्यादा उनके घर वाले हुए। कोरोना काल में आर्थिक तंगी के कारण मद्यपानियों के अन्दर बहुत से दुष्परिणाम दृष्टिगोचर हुये। आर्थिक तंगी के कारण उनके अन्दर चोरी, लूट करने जैसी बहुत सी दुष्प्रवृत्ति दिखी। कई लोगों में यह समस्या गम्भीर बीमारी के रूप में प्रकट हुई। बहुत से लोग बहुत सी मानसिक बिमारी का भी शिकार हुए।
कोरोना काल में कहीं मद्यपान का विकृत रूप दिखा तो कहीं यह बहुत अच्छे रूप में भी प्रकट हुई। जब अचानक से लॉकडाउन लगा तब शराब की सारी दुकानें बन्द हो गई। इससे बहुत से लोगों ने धैर्य का परिचय दिया और अपनी इस समस्या से निजात भी पा लिया और जब दुकानें खुली तब तक उन्हें अपनी इस लत से छुटकारा मिल चुका था। परिवार के अन्य सदस्यों ने भी उनकी इस लत को छुड़ाने में उनका सहयोग किया। सरकार ने भी ऑनलाइन बहुत से कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिसमें शराब की लत से कैसे छुटकारा पाए दर्शाया गया। इंटरनेट ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई, जिस कारण अधिकांश लोग इस लत से मुक्त हुए।
लॉकडाउन की वजह से जब दुकानें बन्द हो गई तो मद्यपानियों ने एक पृथक ही रास्ता बना लिया। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में जहाँ कोरोना वायरस का मामला बढ़ा, वहीं एक नया ट्रेंड देखने को मिला, जहाँ सेनिटाइजर को कोरोना से बचाव के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था, वहीं शराबियों का शौक पूरा करने के काम में आने लगा। कोरोना कर्फ्यू की वजह से शराब की दुकानें बन्द थी, वहीं मद्यपानी अपने नशे की खुराक सेनिटाइजर से पूरी करने लगे। शराब की की दुकानें बंद होने की वजह से स्थानीय लोगों में देशी और विदेशी शराब की कालाबाजारी होने लगी। इस समस्या से छुटकारा सेनिटाइजर का इस्तेमाल शराब के रूप में करने लगे। इस समस्या ने बहुत खतरनाक रूप ले लिया, क्योंकि जगह-जगह पर सेनिटाइजर पीने की वजह से लोगों की मौतें भी हुई।
समस्या का चयनः-
भारत में वर्तमान समय में मद्यपान करने की समस्या एक अत्यन्त गम्भीर समस्या के रूप में दिन दूनी रात चौगुनी हो रही है, फिर भी हमारे संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में मद्यपान निषेध के निर्देश हैं, लेकिन आर्थिक चिंता के कारण बहुत ही कम राज्य ऐसे हैं जिसने मद्य निषेध नीति को लागू किया है। शराब पर सरकार को टैक्स का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है, लेकिन शराब पीने से समाज और स्वास्थ्य पर जो बुरा प्रभाव पड़ता है, यह कीमत इस टैक्स से बहुत अधिक है। वर्तमान समय में हमारे पड़ोसी देश शराब की तस्करी कर शराब को भारत में पहुँचा रहे हैं और देश की जनता को आदतन शराबी बनाया जा रहा है। पड़ोसी देशों के द्वारा अत्यधिक मात्रा में शराब की तस्करी से राष्ट्रीय कोष में बहुत हानि हो रही है।
साहित्यावलोकनः-
प्रस्तुत अध्ययन उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के विशेष संदर्भ में कोरोना काल में मद्यपानी अभिभावकों की समस्या एवं समाधान का एक गृह-विज्ञान का अध्ययन है। यद्यपि इस अध्ययन से संबंधित मदिरापान विषय पर पर्याप्त साहित्य उपलब्ध है, परन्तु उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के संदर्भ में अत्यन्त ही कम साहित्य उपलब्ध है।
कुमार तिवारी, अ. एवं सिंह राठौर रा. (2019) के अनुसार, ’’अभिभावक और उनके बच्चों में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है, इन्होंने बच्चों के पालन-पोषण में अनौपचारिक शिक्षा प्रक्रिया पर अत्यधिक बल दिया है। इनके अध्ययन के अनुसार बच्चे अपने माता-पिता का अनुसरण करते हैं।’’
विश्व स्वास्थ्य संगठन-2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार पुरुष महिलाओं से ज्यादा शराब का सेवन करते हैं।
भगवती प्रसाद वाजपेयी (2015) ने शराबियों की विवेचना कर यह बताया है कि युवकों का सेना में भर्ती न होने का कारण युवकों को अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन करना है, जिसके दुष्प्रभाव के कारण उनमें शारीरिक दुर्बलता आती है।
कुमार तिवारी, अ. एवं सिंह राठौर रा. (2019) के अनुसार, ’’अभिभावक और उनके बच्चों में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है, इन्होंने बच्चों के पालन-पोषण में अनौपचारिक शिक्षा प्रक्रिया पर अत्यधिक बल दिया है। इनके अध्ययन के अनुसार बच्चे अपने माता-पिता का अनुसरण करते हैं।’’
अध्ययन के उद्देश्यः-
1. कोरोना काल में मद्यपानियों के वैयक्तिक प्रभाव का अध्ययन करना।
2. कोरोना काल में मद्यपानियों के वैयक्तिक कारकों का अध्ययन करना।
अध्ययन की परिकल्पनाः-
1. अधिकांश मदिरापान विघटित व्यक्तित्व वाले लोग करते हैं।
2. मदिरापान का व्यक्ति पर मानसिक एवं शारीरिक प्रभाव घातक सिद्ध होता है।
विधि तन्त्रः-
प्रस्तुत परियोजना को कई चरणों में पूरा किया गया। क्षेत्रों के सर्वेक्षण से पूर्व संबंधित विषय पर उपयुक्त प्रकाशित लेखों, विचारों, पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों का अध्ययन किया गया है। क्षेत्र सर्वेक्षण के लिए प्रश्नावली को तैयार किया गया। 100 मद्यपान उपभोगियों से साक्षात्कार करने के आधार पर आँकड़ों को तैयार किया गया है।
आँकड़ा कोषः-
प्रस्तुत अध्ययन 100 मद्यपान उपभोगी, जो ग्रामीण क्षेत्र में निवास कर रहे हैं, का यादृच्छिक चयन प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है।
यह कार्य सुल्तानपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र ढेसरुआ, गुप्तारगंज, कूरेभार में किया गया है।
अध्ययन क्षेत्रः-
प्रस्तुत अध्ययन क्षेत्र उत्तर प्रदेश में अवस्थित है, जिसकी कुल जनसंख्या 3,797,117 में इतनी थी, जिसका 2011 में जन घनत्व 725 प्रति किमी2 इतना है। सुल्तानपुर जिला (1880मील2) गोमती नदी के तट पर अवस्थित है। सुल्तानपुर जिले का कुल क्षेत्रफल 4,436 कि.मी.2 (1715 वर्ग मीटर) है।
समस्या का समाधानः-
कोरोना काल में मद्यपान करने वाले व्यक्ति के सामने शराब एक विकट समस्या के रूप में प्रकट हुई। इस समस्या के समाधान में इंटरनेट ने एक अहम भूमिका निभाई। मद्यपानियों ने कोरोना काल में शराब से छुटकारा कैसे पाऐं, समस्या का समाधान, इंटरनेट ने एक मनोरंजन के रूप में भी एक अहम भूमिका निभई, जिसके फलस्वरूप मद्यपानियों का ध्यान शराब से हटाने में मदद मिली। इस समस्या को सुलझाने में परिवार के सदस्यों की भी अहम भूमिका है। परिवार के सदस्य एकजुट होकर इस समस्या से समाधान दिला सकते हैं और उन्होंने दिलाया भी।
निष्कर्षः-
कोरोना काल में शराबबंदी के बाद लोगों को आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी दशाओं में परिवर्तन के चिन्ह् स्पष्ट दिखाई देने लगे और जिन्होंने पूरी तरह से शराब को त्याग दिया उनकी आय में वृद्धि हुई। इस सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया कि कोरोना काल में शराबबंदी के कारण लोगों की दिनचर्या में काफी सुधार आया है। वहीं इन लोगों ने अपने परिवार के साथ अधिक से अधिक समय बिताया। वहीं आर्थिक बचत के कारण उनके खान-पान की दशा में परिवर्तन की स्पष्ट झलक दिखाई पड़ती है। परिणामतः लोगों के खाने में कैलोरी वृद्धि देखी गई। सामाजिक हिंसा और घरेलू हिंसा में सकारात्मक बदलाव दिखाई दिए।
संदर्भ ग्रन्थ सूची
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Received on 19.02.2022 Modified on 21.03.2022 Accepted on 16.04.2022 © A&V Publication all right reserved Int. J. Ad. Social Sciences. 2022; 10(1):35-38.
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