NRrhlx<+ ds vuqlwfPkr tkfr ,oa vuqlwfPkr tutkfr ds ljiapksa dk xzkeh.k fodkl es ;ksxnku&,d lkaf[;dh; fo’ys"k.k

 

Dr. B. L. Sonekar1*, Dr Sunil Kumeti2

1Assistant Professor, School of Studies in Economics, Pt. Ravishankar Shukla University, Raipur CG India.

2Associate Professor, School of Studies in Economics, Pt. Ravishankar Shukla University, Raipur CG India.

*Corresponding Author E-mail:  sonekarptrsu@gmail.com

 

ABSTRACT:

छत्तीसगढ़ मूलतः गांवों का प्रदेश है और भारत के उन राज्यों में से एक जहां अनुसूचित जाती और जनजाति की बहुलता है। राज्य सरकार ने राज्य के विकास के लिए कई योजनाएँ शुरू की है। इन योजनाओं के संचालन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस राज्य में 10971 ग्राम पंचायते, 146 जनपद पंचायते और 27 जिले है। तीन स्तरीय पंचयती राज के जरिये दो लाख से ज्यादा निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि गांवों के विकास के लिए समर्पित होकर काम कर रही है। भारत सरकार द्वारा संचालित पंचवर्षीय योजना और वार्षिक योजनाओं का उद्देश्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सामाजिक, आर्थिक, सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय की त्रिस्तरीय व्यवस्था द्वारा इन्हे मजबूत बनाना है। ग्रामीण विकास में ग्राम पंचायतों में सरपंच महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही प्रायः यह भी देखा गया है कि प्रतिनिधि कितना जागरूक कार्य के लिए अग्रसर है, उस पर भी विकास निर्भर करता है। चुकि सभी व्यवस्था को ग्रामीण स्तर पर सरपंच द्वारा ही क्रियान्वित की जाती है। अतः इसको ध्यान मे रखकर शोध द्वारा छतीसगढ़ के चार जिलों कांकेर, कोरिया, मुंगेली जांजगीर चांपा में 160 न्यायदर्श ग्राम पंचयतों मे सरपंचों के ग्रामीण विकास में योगदान का अध्ययन निदर्ष सरपंचों द्वारा किये गए कार्यो का ग्रामीण विकास में योगदानए निदर्ष अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सरपंचों द्वारा षासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में होने वाली समस्याओं और न्यादर्श ग्राम पंचायतों में ग्रामीण विकास मे सरपंचों के योगदान का सांख्यिकी विष्लेषण का अध्ययन करना उद्देष्यों के साथ किया है न्यायदर्श ग्राम पंचायतों के सर्वेक्षण शोध तथा आंकड़ों, तथ्यों संख्यकीय विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है और हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते है कि अनुसूचित जाति जनजाति के सरपंचों का ग्रामीण विकास में योगदान पाया गया है।

 

KEYWORDS: अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति ग्रामीण विकास मे योगदान

Hkwfedk (Introduction)

भारत गांवों का देश है और उसमें से लगभग आधे गांवों की सामाजिक - आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। आजादी के बाद से ग्रामीण जनता का जीवन स्तर सुधारने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं, इसलिए ग्रामीण विकास विकास की एकीकृत अवधारणा रही है और सभी पंचवर्षीय योजनाओं में गरीबी उन्मूलन की सर्वोपरी चिंता रही है। ग्रामीण विकास का तात्पर्य आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन दोनों से है। ग्रामीण लोगों को आर्थिक विकास के लिए बेहतर संभावनाए प्रदान करने के लिए, ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में लोगों की भागीदारी, नियोजनों का विकेन्द्रीकरण, भूमि सुधार के बेहतर प्रवर्तन और ऋण के लिए अधिक से अधिक उपयोग की परिकल्पना की गई है।

 

मध्यप्रदेश राज्य के विभाजन के बाद 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया। छत्तीसगढ़ राज्य बनाने के संबंध में संस्थागत और वैधानिक कदम सबसे पहले 1994 में उठाए गए। वर्ष 2000 में केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार द्वारा मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 पारित किया गया, जिससे वर्तमान मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ। 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ की जनसंख्या 255,45,198 है। राज्य में लगभग 20,126 गाँव, 96 तहसील, 149 विकास खंड तथा 27 जिले हैं।

 

मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की धारा 78 एवं 79 के अनुसार, मध्य प्रदेश में लागू सभी कानून छत्तीसगढ़ राज्य में लागू होंगे, जब तक कि नए कानून बन जाए या पूर्व के कानूनों को समाप्त ना कर दिया जाए। इसी आधार पर, मध्य प्रदेश में लागू पंचायत राज कानून भी छत्तीसगढ़ में लागू किया गया, जिसे छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 नाम दिया गया जो कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान पंचायत व्यवस्था का आधार बना। छत्तीसगढ़ मंे जनता और शासन को ज्यादा से ज्यादा नजदीक लाने के उद्देश्य से त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था संचालित की जा रही हैं। छत्तीसगढ़ में ग्राम स्तर पर लगभग 9,820 ग्राम पंचायतें, विकासखंड स्तर पर 146 जनपद पंचायते तथा जिला स्तर पर 16 जिला पंचायते हैं। 3 जनवरी, 2005 में छत्तीसगढ़ में पहला पंचायत चुनाव संपन्न हुआ।

 

छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकासः

छत्तीसगढ़ राज्य, दिनांक 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेष से अलग होकर अस्तित्व में आया। छत्तीसगढ़ राज्य भारत के प्रायद्वीप पठार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यह मध्य प्रदेष के दक्षिण-पूर्व में 17460 उत्तरी अक्षांष से 2450 उत्तरी अक्षांष तथा 80150 पूर्वी देषांतर से 84200 पूर्वी देषांतर रेखाओं के मध्य स्थित है। इसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 1,35,191 वर्ग किलोमीटर है। भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 4.11 प्रतिषत् है। कुल भौगोलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से यह देष का 10वाँ बड़ा राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य की उत्तर से दक्षिण लम्बाई 650 कि.मी. तथा पूर्व-पष्चिम चैड़ाई 385 कि.मी. है। छत्तीसगढ़ राज्य की भौगोलिक सीमाएं देष के 7 राज्यों की सीमाओं को स्पर्ष करती है। इस राज्य के उत्तर में उत्तर प्रदेष, उत्तर पष्चिम में मध्य प्रदेष, दक्षिण पष्चिम में महाराष्ट्र, दक्षिण में आन्ध्र प्रदेष एवं तेलंगाना, पूर्व में उड़िसा एवं उत्तर-पूर्व में झारखण्ड स्थित है। छत्तीसगढ़ राज्य के 27 जिले निम्नानुसार हैं-कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, जशपुर, सरगुजा, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, मुंगेली, जांजगीर-चांपा, रायपुर, धमतरी, बलौदाबाजार, गरियाबंद, महासमुंद, दुर्ग, बेमेतरा, बालोद, राजनांदगांव, कबीरधाम, कांकेर, बस्तर, नारायणपुर सुकमा, कोंडागांव, दंतेवाड़ा तथा बीजापुर। इसमें बस्तर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, सूरजपुर, बलरामपुर, कोंडागांव, कांकेर, सरगुजा, कोरिया, कोरबा एवं जशपुर पूर्ण रूप से आदिवासी उपयोजना क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।

 

जनजातीय क्षेत्र और पंचायतेंः

छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या का एक बड़ा भाग 33 प्रतिषत आदिवासी जनसंख्या है। जिसके कारण राज्य का अधिकतर भाग संविधान के अंतर्गत (विशेष अधिकार संपन्न) अनुसूची 5 का क्षेत्र घोषित किया गया है। छत्तीसगढ़ के 7 जिले - सरगुजा, कोरिया, जशपुर, कांकेर, बस्तर, दंतेवाड़ा और कोरबा पूर्णतया पाँचवी अनुसूची के अंतर्गत आते है और 6 अन्य जिले - रायगढ़, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, रायपुर और धमतरी आंशिक रूप से पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं। भारतीय संविधान में पंचायती राज व्यवस्था के संदर्भ मे किया गया संशोधन अपने आप ही अनुसूची 5 के क्षेत्रों मे लागू नहीं हुआ। चार साल बाद जब केन्द्रीय सरकार द्वारा पंचायत प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम 1996 लाया गया, तब पंचायत व्यवस्था के प्रावधान अनुसूची पाँच के क्षेत्रों में लागू हुए। इसके अनुसार ही, 1997 में राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों के लिए विशेष प्रावधान बनाकर, पंचायत राज अधिनियम में एक नया अध्याय जोड़ा गया।

 

छत्तीसगढ़ मूलतः गांवों का प्रदेश है। इसको ध्यान में रखते हुये प्रदेश सरकार ने गांवों के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की है। इन योजनाओं के संचालन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस राज्य में 10971 ग्राम पंचायते, 146 जनपद पंचायते और 27 जिला पंचयाते है। तीन स्तरीय पंचायती राज के इन संस्थाओं के जरिये पौने दो लाख से ज्यादा निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि गांवों के विकास के लिए समर्पित होकर काम कर रही है।

 

शोध अध्ययन का अंतराल (Gap in earlier studies)

ग्राीमण विकास में पंचायतीराज की भूमिका द्वारा किये गये शोध साहित्य के पूनरावलोकल से ज्ञात होता है कि वर्ष 2013 तक अधिकांश अध्ययन गरीबी, मजदूरी एवं रोजगार से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, पानी में आने वाली समस्याओं का अध्ययन किया गया है। इस प्रकार अब तक केवल ग्रामीण विकास में पंचायतीराज द्वारा अध्ययन समस्या तक सिमित रहा है। चुकि इन सभी व्यवस्था को ग्रामीण स्तर पर सरपंच द्वारा ही क्रियान्वित की जाती है अतः यह अध्ययन आवश्यक है।

 

शोध उद्देष्य (Research Objective):

1   निदर्ष सरपंचों द्वारा किये गए कार्यो का ग्रामीण विकास में योगदान का अध्ययन करना।

2   निदर्ष अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सरपंचों द्वारा षासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में होने वाली समस्याओं का अध्ययन करना।

3   न्यादर्श ग्राम पंचायतों में ग्रामीण विकास मे सरपंचों के योगदान का सांख्यिकी विष्लेषण।

 

अध्ययन पद्धति (Research Methodology):

अध्ययन क्षेत्र का चयन-

अध्ययन हेतु अनुसूचित जाति के 2 जिले जांजगीर, चाम्पा, मुगेंली तथा 2 जिले अनुसूचित जनजाति के कोरिया, कांकेर जिले का चयन किया गया हैं।

 

अध्ययन पद्धति

प्रस्तुत अध्ययन पद्धति छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सरपंचों का ग्रामीण विकास में योगदान से संबधित है अतः अध्ययन हेतु चार जिलों का चयन किया गया है। जिसमें दो जिले अनुसूचित बाहुल्य वाले जिले है दूसरा अनुसूचित जनजाति बाहुल्य वाले जिले है। प्रस्तुत अध्ययन हेतु अनुसूचित बाहुल्य वाले जिले में से क्रमशः जांजगीर चांपा तथा मुगेली जिले का चयन किया गया। अनुसूचित जनजाति वाले जिले में से क्रमशः कांकेर  एवं कोरिया जिले का चयन किया गया है। इस तरह से अध्ययन क्षेत्र से कुल 08 न्यादर्श जनपदो माल खरोदाए खरसियाए मुंगेलीए लोरमीए मनेन्द्रगढए सोनहतए चारामाए भानुप्रतापपुरए का तथा 160 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है।

 

षोध प्रविधि

प्रस्तुत अध्ययन पद्धति छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सरपंचों का ग्रामीण विकास में योगदान से संबधित है अतः अध्ययन हेतु निम्नलिखित शोध परिेकल्पनाओं प्रतिपगमन प्रतिरुपों एवं अन्य सांख्यिकीय तकनीकों का प्रयोग किया गया है।

 

षोध परिकल्पना

Ho  =  अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सरपंचों का ग्रामीण विकास में योगदान नहीं है।

Ha  =  अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सरपंचों का ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।

 

प्रतिगमन प्रतिरुप (Regression Model)

y  =  βo +  β1 x1 + ε

जहाॅँ रू ग्रामीण विकास β रू अन्तः खण्ड ;प्दजमतबमचजद्ध β1 रू प्रतिपगमनरेखा का ढाल ;ैसवचमद्ध 1 रू सरपंचों का योगदान ε रू विभ्रम या त्रुटी

;ग्रामीण विकासद्ध ग्रामीण विकास आश्रित चर है। जिसके मापन के लिए ग्रामीण विकास के विभिन्न कारकों को सम्मिलित किया गया है। जिसको निम्नलिखित समीकरण द्वारा ज्ञात किया गया है।

  त्र ; भ्े   प्े म्े म्च द्ध

जहाॅँ, भ्े रू ग्राम पंचायतो में स्वास्थ केन्द्रों की स्थिती।  प्े रू ग्राम पंचायतों में बुनियादी ढांचागत विकास जैसे- सड़क, नाली, बिजली, पानी की व्यवस्था की स्थिती। म्े रू ग्राम पंचायतों में षिक्षा का स्तर जैसे-प्र्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक षालाओं की स्थिती। म्च रू ग्राम पंचायतों में रोजगार की उपलब्धता।

 

1  ;सरपंचो का योगदानद्ध सरपंचों का योगदान ;ग्1द्ध स्वतंत्र चर है। जिसकेे मापन के लिए मुख्यतः विभिन्न कारकों को सम्मिलित किया गया है। जिसको निम्नलिखित समीकरण द्वारा ज्ञात किया गया है।

त्र ; ैम्   ज्ञळच ।े थ्ं  द्ध

जहाॅँ, ैम् रू सरपंच के षिक्षा का स्तर। ज्ञळच रू सरपंच को ग्रामीण विकास योजनाओं का ज्ञान। ।े रू सरपंच की ग्रामीण विकास कार्यों में क्रियाषीलता। थ्ं रू ग्रामीण विकास में राषि की उपलब्धता।

 

षोध अध्ययन का विष्लेषण एवं परिणाम ;त्मेमंतबी ।दंसलेपे ंदक त्मेनसजद्ध

 

निदर्ष सरपंचों द्वारा ग्राम पंचायतों में किये गए विकास कार्यो का अध्ययन

तालिका क्र. 1 न्यादर्श ग्राम पंचायतों में वर्तमान सरपंच के विकास कार्य

व्यक्तिगत सर्वेक्षण

 

 

चित्र्ा क्रमांक 1 न्यादर्श ग्राम पंचायतों में वर्तमान सरपंच के विकास कार्य

 

चयनित न्यादर्ष ग्राम पंचायतों के अनुसूचित जाति के वर्तमान सरपंचों ने ग्रामों के विकास कार्य तालिका क्र. 6.1.20 में दर्शाया गया है। तालिका के अध्ययन से स्पष्ट है कि न्यादर्श ग्राम पंचायतों में 66.25 प्रतिषत भवन निर्माण, 67.5 प्रतिषत सड़क निर्माण, 13.75 प्रतिषत नाली निर्माण कार्य, 100.0 प्रतिषत मरम्मत कार्य, 85.0 प्रतिषत मनरेगा तथा 100.0 प्रतिषत षौचालय का कार्य करवाना पाया गया। उसी तरह न्यादर्ष ग्राम पंचायतों के अनुसूचित जनजाति के वर्तमान सरपंचों ने ग्रामों के विकास के लिए 70.0 प्रतिषत भवन निर्माण, 73.75 प्रतिषत सड़क निर्माण, 5.0 प्रतिषत नाली निर्माण कार्य, 100.0 प्रतिषत मरम्मत कार्य, 100.0 प्रतिषत मनरेगा तथा 100.0 प्रतिषत षौचालय का कार्य करवाना पाया गया।

 

निदर्ष अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सरपंचों द्वारा षासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में होने वाली समस्याओं का अध्ययन

तालिका क्र. 2 अनुसूचित जाति या जनजाति के सरपंच होने के कारण विकास कार्य करने में कठनाई

व्यक्तिगत सर्वेक्षण

 

अनुसूचित जाति या जनजाति के सरपंच होने के कारण विकास कार्य करने में कठनाई तालिका क्र. 2 में दर्शाया गया है। तालिका के अध्ययन से स्पष्ट है कि न्यादर्श ग्राम पंचायतों में अनुसूचित जाति ग्राम पंचायतों के सरपंचों को विकास कार्य करने में किसी प्रकार की कठनाई नहीं होती है उसी तरह न्यादर्ष ग्राम पंचायतों के सभी अनुसूचित जनजाति के सरपंचों को विकास कार्य करने में किसी प्रकार की कठनाई नहीं होना पाया गया।

 

 

तालिका क्र. 3 अनुसूचित जाति या जनजाति के सरपंच होने के कारण कोई टिप्पणी

व्यक्तिगत सर्वेक्षण

 

अनुसूचित जाति या जनजाति के सरपंच होने के कारण कोई टिप्पणी तालिका क्र. 6.3.2 में दर्शाया गया है। तालिका के अध्ययन से स्पष्ट है कि न्यादर्श ग्राम पंचायतों में 5.0 प्रतिषत सरपंचों के उपर टिप्पणी की गई उसी तरह न्यादर्ष ग्राम पंचायतों के किसी भी अनुसूचित जनजाति सरपंचों के उपर टिप्पणी नहीं होना पाया गया।

 

तालिका क्र. 6.3.3 गंाव वालों का सरपंच के प्रति व्यवहार

व्यक्तिगत सर्वेक्षण

 

गंाव वालों का सरपंच के प्रति व्यवहार तालिका क्र. 6.3.3 में दर्शाया गया है। तालिका के अध्ययन से स्पष्ट है कि न्यादर्श ग्राम पंचायतों में अनुसूचित जाति के सरपंचों के प्रति 50.64 प्रतिशत गांव वालों का व्यवहार अच्छा रहा तथा 49.35 प्रतिषत गांव वालों का व्यवहार ठीक रहा। उसी तरह न्यादर्ष ग्राम पंचायतों के अनुसूचित जनजाति के सरपंचों सरपंचों के प्रति 37.17 प्रतिषत गांव वालों का व्यवहार अच्छा रहा तथा 62.82 प्रतिषत गांव वालों का व्यवहार ठीक रहा।

 

चित्र्ा क्रमांक 2 गंाव वालों का सरपंच के प्रति व्यवहार

 

न्यादर्श ग्राम पंचायतों में ग्रामीण विकास मे सरपंचों के योगदान का सांख्यिकी विष्लेषण।

सरपंचों का ग्रामीण विकास में योगदान

प्रस्तुत अध्ययन पद्धति छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सरपंचों का ग्रामीण विकास में योगदान से संबधित है अतः अध्ययन हेतु निम्नलिखित षोध परिेकल्पनाओं प्रतीपगमन प्रतिरुपों एवं अन्य सांख्यिकीय तकनीकों का प्रयोग किया गया। प्रतीपगमन प्रतिरुप का सांख्यिकीय तकनीकों द्वारा विष्लेषण करने पर निम्नलिखित समीकरण सारणी ज्ञात हुईः

  त्र  6ण्801 1ण्624

 

न्यादर्श ग्राम पंचायतों में ग्रामीण विकास का सांख्यिकी विष्लेषण सरपंचों का ग्रामीण विकास में योगदान उपरोक्त ।छव्ट। तालिका में दर्शाया गया है। तालिका के ।छव्ट। सारणी अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि परिकलित थ् का मान 102ण्45 है एंव च् मान 0ण्000 पाया गया है, जो कि अत्यधिक सार्थकता को प्रदर्षित करता हैं। अतः प्रतीपगमन विष्लेषण का प्रयोग अत्यधिक सार्थक है।

 

न्यादर्श ग्राम पंचायतों में ग्रामीण विकास का सांख्यिकी विष्लेषण सरपंचों का ग्रामीण विकास में योगदान उपरोक्त ।छव्ट। तालिका में दर्शाया गया है। तालिका के ।छव्ट। सारणी अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि, सरपंचों का योगदान ;1द्ध का मान 9ण्586 है एंव इसकी च् मूल्य 0ण्000 हैै, अतः सरपंचों का योगदान ;1द्ध का ग्रामीण विकास ;लद्ध पर अत्यधिक सार्थक प्रभाव पड़ता है।

 

अतः उक्त आंकडों से यह निष्कर्ष निकलता है कि ग्रामीण विकास ;लद्ध सरपंचों का योगदान ;1द्ध चर पर निर्भर है, तथा वैकल्पिक परिकल्पना अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सरपंचों का ग्रामीण विकास में योगदान है।, स्वीकार किया जाता है।

 

निष्कर्ष एवं सुझाव ;त्मेमंतबी ब्वदबसनेपवद ंदक ैनहहमेजपवदद्ध

न्यायदर्श ग्राम पंचायतों मे पूर्व सरपंचों द्वारा विकास कार्यों के अध्ययन से पता चलता है कि ग्राम पंचायतों में पूर्व सरपंचों द्वारा 36.25 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे भवन निर्माण, 45.62 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे सड़क निर्माण, 3.75 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे नाली निर्माण, 93.12 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे मरम्मत कार्य एवं 93.12 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे मनरेगा विकास कार्य करवाना पाया गया। न्यायदर्श ग्राम पंचायतों मे वर्तमान सरपंचों द्वारा विकास कार्यों के अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि ग्राम पंचायतों मे वर्तमान सरपंचों द्वारा 68.12 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे भवन निर्माण, 70.62 प्रतिशत ग्राम पंचायतों सड़क निर्माण, 9.37 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे नाली निर्माण, 100 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे मरम्मत कार्य, 92.5 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे मनरेगा एवं 100 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे शौचालय निर्माण जैसे विकास कार्य करवाना पाया गया।

 

न्यायदर्श ग्राम पंचायतों मे वर्तमान सरपंच से संतुष्टि एवं सरपंच द्वारा किए विकास कार्य मे वृद्धि मे ग्राम वासियों द्वारा वर्तमान सरपंच से संतुष्ट एवं सरपंच द्वारा विकास कार्य मे वृद्धि होना पाया गया है। ग्राम पंचायतों मे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सरपंच होने के कारण विकास कार्य कराने मे सरपंचों को कोई कठनाई का सामना नही करना पाया गया। ग्राम पंचायतों मे ग्रामवासियों का सरपंचों के प्रति व्यवहार मे सरपंचों के प्रति व्यवहार 45.62 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे अच्छा एवं 54.37 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे ठीक व्यवहार पाया गया। ग्राम पंचायतों मे ग्रामीण विकास मे पंचों के सहयोग के अध्ययन मे 98.87 प्रतिशत ग्राम पंचायतों मे पंचों का सहयोग और 3.12 ग्राम पंचायतों मे पंचो का असहयोग पाया गया। जिनमे सिर्फ अनुसूचित जाति सरपंचों के साथ ही असहयोग पाया गया। ग्राम पंचायतों में सरपंचों को विकास योजनाओं के संबंध में जागरूकता मे 96.37 प्रतिशत सरपंच जागरूक एवं 3.12 प्रतिशत सरपंच अजागरुक पाये गए। ग्राम पंचायतों में सरपंचों को ग्राम वासियों के सहयोग से, ग्रामवासियों से विवाद एवं ग्रामवासियों द्वारा जातिगत टिप्पणी मे सरपंचों द्वारा कोई समस्या का ना होना पाया गया है। उपयुक्त आंकड़ों, तथ्यों संख्यकीय विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है और हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते है कि अनुसूचित जाति जनजाति के सरपंचों का ग्रामीण विकास में योगदान पाया गया है।

 

न्यायदर्श ग्राम पंचायतों के सर्वेक्षण शोध से यह ज्ञात होता है कि न्यायदर्श ग्राम पंचायतों में ग्रामीण विकास हुआ है सरपंचों का भी इनमे अमूल्य सहयोग की पुष्टि होती है। ग्रामीण विकास को और बेहतर कारगर बनाने हेतु सरपंचों ग्रामवासियों से चर्चा कर निम्नलिखित सुझाव है

 

ग्राम पंचायतों ग्रामो मे सरकारी परती भूमियों में चारगाह का निर्माण करवाया जाए जिससे की ग्रामीण अंचल मे मवेशियों के चारा का पर्याप्त उपलब्ध हो सके। ग्राम पंचायतों ग्रामों में स्वरोजगार के और अधिक योजनाओं सुविधाये मुहैया कराया जाए वर्तमान योजनाये अच्छे है, पर पर्याप्त नही है ग्रामीण रोजगार दूर करने के लिए। ग्रामीण अंचलों मे बिजली के सौर ऊर्जा संबंधी ऊर्जा स्रोत का निर्माण करवाया जाए ताकि वर्षा के दिनों में होने वाली बिजली गुल होने की समस्या से बिजली बिल की राशि भी कम किया जा सके। नल जल योजना की निश्चित आबादी वाले ग्रामों मे लागू है उसे अनिवार्य रूप से समस्त ग्राम पंचायतों मे लागू किया जाए। ग्रामीण अंचल मे ग्राम पंचायतों को आबंटित विकास राशि पर्याप्त नही है उन्हे समयानुसार संशोधित कर बढ़ाया जाना चाहिए। ग्राम पंचायतों को स्वपोषित बनाने के तरफ सरकार को नए कदम उठाने चाहिए अनिवार्य रूप से करारोपण सुविधा अनुसार लागू करना चाहिए जो पूर्ण रूप से गाँव के विकास कार्य मे लगना चाहिएगाँव का पैसा गाँव में पहाड़ी क्षेत्रों के ग्राम पंचायतों मुख्यतः उत्तरी छत्तीसगढ़ में भविष्य मे जलसंकट की परेशानी होने की आशंका सरपंचों द्वारा जताई गई है जिसके लिए सरकार को वर्तमान में ही कार्य योजना बनाकर वर्षा के जल के संरक्षण के उपायों पर जोर देना चाहिए। ग्राम पंचयतों में प्रतिभावान बच्चों युवाओं को मजबूत आधार देने हेतु प्रत्येक ग्राम पंचायत मे युवा कल्याण केन्द्र बनाना चाहिए जहां बच्चों युवाओं को कम्प्युटर, शिक्षा, रोजगार संबंधी काउन्सलिन्ग जैसे कार्यों से बच्चों युवाओं को नई दिशा देना चाहिए। ग्राम पंचायतों मे खेल में प्रतिभावन बच्चों युवाओं के प्रोत्साहन हेतु सरकार को ग्रामीण स्तर पर योजनाये बनानी चाहिए।   

 

संदर्भित ग्रंथ

1.    डाॅँ. राजेश, 2005, कुरूक्षेत्र, पृष्ट क्र. 15-17,

2.    डाॅँ. उषा दुबे, 2006, त्रैमासिक शोध पत्रिका पृष्ट क्र. 9-12,

3.    कुमार, लोकेष, अगस्त 2009, कुरूक्षेत्र, पृष्ट क्र. 1-7

4.    पटेल, डाॅँ सुधीर कुमार, अगस्त 2009, कुरूक्षेत्र, पृष्ट क्र 8-12

5.    उपाध्याय, देवेन्द्र 2010, लोक पंचायत, पृष्ट क्र 1

6.    कौषिक, डाॅँ. जगबीर 2010, कुरूक्षेत्र, पृष्ट क्र. 23-28

7.    त्रिपाठी रामदत्त 2010, ।तजपबसम ठठब् छमूे ीपदकप चच 1

8.    शुक्ला, आसुतोष, अक्टूबर 2011, कुरूक्षेत्र, पृष्ट क्र. 39-42

9.    सिंह, सुरेन्द्र बहादुर, अगस्त 2011 कुरूक्षेत्र, पृष्ट क्र. 23-28

10. कुमार, राजू ,2013, इडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) पृष्ट क्र. 1

11. सिंह, लोकेन्द्र 2013 ।तजपबसम डमकपं वित तपहीजे चच. 1

12. सिन्हा, विकास कुमार, अक्टूबर 2013, कुरूक्षेत्र, पृष्ट क्र. 37-39

13. श्रीवास्तव, मयंक, अक्टूबर 2013, कुरूक्षेत्र, पृष्ट क्र. 7-11

14. भारत की जनगणना-2011, जनसंख्या के अनन्तिम आंकड़े-2011 छत्तीसगढ़ श्रृंखला 23 भारत सरकार, नई दिल्ली, 2011

15. छत्तीसगढ़ राज्य के जिला स्तरीय सामाजिक आर्थिक विकास संकेतक 2005, आर्थिक एवं सांख्यिकीय संचालनालय, रायपुर

16. संभाव्यता युक्त ऋण योजना, बस्तर जिला, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) क्षेत्रीय कार्यालय, रायपुर, 2009-10

17. छत्तीसगढ़ विकास का मुख्यालय, छत्तीसगढ़ राज्योत्सव-2004, रायपुर

18. बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, जनसंपर्क संचालनालय, .. शासन,        रायपुर, दिसम्बर 2007

19. छत्तीसगढ़ का सांख्यिकीय संक्षेप, 2009 आर्थिक एवं सांख्यिकीय संचालनालय, रायपुर

20. जिला सांख्यिकीय पुस्तिका, जिला क्षेत्रीय, 2009, उपसंचालक, जिला योजना एवं सांख्यिकीय, सरगुजा, अंबिकापुर

21. म्समअमदजी पिअम लमंत च्संद 2007.12 टवसण् प्ए प्दबसनेपअम ळतवूजीए च्संददपदह ब्वउउपेेपवदए ळवअजण् िप्दकपंए छमू क्मसीप

22. ैवबपंस क्मअमसवचउमदज त्मचवतज 2010.ज्ीम संदक फनमेजपवद ंदक जीम डंतहपदंसप्रमकए ब्वनदबपस वित ैवबपंस क्मअमसवचउमदजए व्गवितक न्दपअमतेपजल च्जतेनए छमू क्मसीप 2011

23. प्दकपं ीनउंद क्मअमसवचउमदज त्मचवतज 2022 ज्वूंतके ैवबपंस प्दबसनेपअम व्गवितक न्दपअमतेपजल च्तमेेए छमू क्मसीप 2011

24. डंीमेीूंतपए ैत् त्नतस क्मअमसवचउमदज पद प्दकपं ैंहम च्नइसपबंजपवदए छमू क्मसीप 1984

25. डपक.ज्मतउ ।चचतंपेंस म्समअमदजी थ्पअम ल्मंत च्संद 2007.12ण् च्संददपदह ब्वउउपेेपवदए ळवअजण् िप्दकपं छमू क्मसीपए 2011

26. छत्तीसगढ़ शासन आर्थिक सर्वेक्षण 2017 -18 

27. छत्तीसगढ़ शासन वार्षिक प्रषासकीय प्रतिवेदन 2016-17

28. जिला सांख्यिकी पुस्तिका 2015-16 जिला - मुंगेली, छत्तीसगढ़

29. जिला सांख्यिकी पुस्तिका 2015-16 जिला - कांकेर, छत्तीसगढ़

30. जिला सांख्यिकी पुस्तिका 2015-16 जिला - कोरिया, छत्तीसगढ़

31. वार्षिक प्रतिवेदन 2016 -17 राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान, ग्रामीण विकास मंत्र्ाालय, भारत सरकार

 

 

 

Received on 07.03.2021           Modified on 22.04.2021

Accepted on 29.05.2021 © A&V Publication all right reserved

Int. J. Ad. Social Sciences. 2021; 9(2): 111-119.

DOI: