महानदी अपवाह तंत्र एवं उसकी प्रमुख परियोजना
छत्तीसगढ के विशेष संदर्भ में
डाॅ. निवेदिता ए. लाल
सहायक प्राध्यापक, भूगोल, षासकीय कमला देवी राठी महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय,
राजनांदगांव, छत्तीसगढ.
*Corresponding Author E-mail:
ABSTRACT:
छत्तीसगढ राज्य के गठन के समय ;2000द्ध में 13.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती थी, मार्च 2018 तक 20.88 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है अर्थात 7.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि हुई है। कृषि हेतु आवष्यक जल की आपूर्ति, पीने के लिये स्वच्छ जल की सुविधा, कृषि के लिए उपजाउ मिट्टी की प्राप्ति, जल विद्युत शक्ति की प्राप्ति, मानव संसाधन विकास, औद्यौगीकरण, संचार एवं परिवहन की दृष्टि से यह सबसे विकसित क्षेत्र है। यहां मुख्यतः बाक्साइट, डोलोमाइट, लोहा, कोयला, हीरा व चूना प्रमुख खनिज पाए जाते हैंै, जिन पर आधारित केन्द्रीय उपक्रमों सेल, बाल्को, एनटीपीसी, एसईसीएल के साथ अनेक सीमेंन्ट कारखानें हैं। साल व सागौन वन के अतिरिक्त तेंदूपत्ता व बांस जैसे लधु वनोपज का महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
KEYWORDS: तांदुला काॅम्प्लेक्स, एनटीपीसी, एसईसीएल, औद्यौगीकरण, विद्युत शक्ति, मानव संसाधन विकास, फीडर नहर, परियोजना, बांध एवं एनीकट।
प्रस्तावना -
नदी घाटियाॅँ मानव की जन्मस्थली रही है। छत्तीसगढ प्रदेष के आर्थिक एवं सांस्कृृतिक उत्थान में नदियों का सर्वाधिक योगदान रहा है। नदियों से जहां एक ओर कृषि हेतु आवष्यक जल की आपूर्ति एवं आंतरिक व्यापार हेतु जल परिवहन की सुविधाएं प्राप्त होती हैं वहीं दूसरी ओर इनसे पीने के लिये स्वच्छ जल, जल विद्युत षक्ति, उद्योग, मत्स्य पालन भवन निर्माण के लिये बालू एवं रेत, कृषि के लिये उपजाउ कांप मिट्टी की प्राप्ति की जाती है।
छत्तीसगढ की बढती जनसंख्या के लिये पर्याप्त खाद्यान्न एवं पेयजल की पूर्ति, उत्तम जल प्रबंधन के साथ ही की जा सकती है। यह षोधपत्र इन्ही पहलुओं पर केन्द्रित है।
अध्ययन क्षेत्रः-
’’धान का कटोरा’’ कहा जाने वाला छत्तीसगढ़ भारतीय संघ का 26वां राज्य है। इसकी भौगोलिगक सीमाएं 1746‘ से 4250‘ उत्तर अक्षांष तथा 80015‘ से 84020‘ पूर्वी देषान्तर के मध्य विस्तृत है। 1,35,194 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह राज्य देष की 2ण्02ः जनसंख्या (2,07,95,956 व्यक्ति) को आबद्ध करता है। प्रषासकीय दृष्टि से 3 राजस्व संभागों, 16 जिलों, 97 तहसीलों, 146 विकासखण्डों, 97 नगरों तथा 20,308 ग्रामों में विभाजित है। यहां की 79.63ः मुख्य कार्यषील जनसंख्या कृषि से आजीविका पाती है। यहां कृषि जोत का स्वरूप बहुत बिखरा हुआ है।
उद्देष्यः-
प्रस्तुत शोध के निम्नलिखित उद्देष्य हैं-
1 कृषि हेतु आवष्यक जल की आपूर्ति
2 पीने के लिये स्वच्छ जल की सुविधा
3 कृषि के लिए उपजाउ मिट्टी की प्राप्ति
4 जल विद्युत षक्ति की प्राप्ति
5 आंतरिक व्यापार हेतु जल परिवहन की सुविधाएं
6 उद्योग, मत्स्य पालन व भवन निर्माण के लिये बालू एवं रेत की प्राप्ति
आंकडों के स्त्रोतः-
प्रस्तुत षोधपत्र छत्तीसगढ के अपवाह तंत्र पर प्रकाशित पुस्तकों, षोधग्रंथो एवं पत्र पत्रिकाओं में दिये गए द्वितीयक आंकडों पर आधारित है।
विधितंत्रः-
षोधपत्र को बोधगम्य बनाने हेतु मानचित्र एवं सारिणी का उपयोग किया गया है।
महानदी अपवाह तंत्रः-
महानदी को छत्तीसगढ की ’’गंगा’’ तथा ’’जीवन रेखा’’ भी कहा जाता है। इसका प्राचीन नाम कनकनंदिनी, सतयुग में निलोत्पला, द्वापर युग में चित्रोत्पला गंगा तथा महाभारत काल में महानंदा नाम से जाना जाता है। इसका उदगम छत्तीसगढ के रापुर जिले के सिहावा के निकट से 42 कि.मी. की उंचाई से हुआ है। यह सिहावा पर्वत से निकलकर राजिम होती हुई बलौदा बाजार के उत्तरी सीमा तक जाती है इसके पष्च्ात यह पूर्व की ओर मुडकर यह रायपुर जिले को जांजगीर-चांपा जिले से अलग करती है। महानदीे 858 कि.मी. की यात्रा तय करके बंगाल की खाडी में गिर जाती है। अपने मुहाने के निकट यह एक उपजाउ डेल्टा का निर्माण करती है। छत्तीसगढ में महानदी का जल प्रवाह क्षेत्र लगभग 286 कि.मी. है। महानदी अपवाह तंत्र छत्तीसगढ का सबसे बडा अपवाह तंत्र है जो राज्य के कुल अपवाह तंत्र का लगभग 56़़.15 प्रतिषत जल संग्रहण क्षेत्र में आता है। छत्तीसगढ राज्य का लगभग तीन-चैथाई भाग महानदी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। महानदी के तट पर राजिम ;गरियाबंदद्ध, सिरपुर ;महासमुंदद्ध, षिवरीनारायण व चंद्रपुर ;जांजगीर-चांपाद्ध, दुर्ग शहर स्थित हैं।
इसके प्रवाह क्षेत्र के अंतर्गत धमतरी, कांकेर, बालोद, रायपुर, गरियाबंद, महासमुंद, बलौदाबाजार, जांजगीर-चांपा, कवर्धा, राजनांदगांव, दुर्ग, बेमेतरा, बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा, जषपुर, कोरिया व रायगढ जिले आते हैं।
महानदी में उत्तर व दक्षिण की ओर से सहायक नदियां आकर मिलती है-
उत्तर की ओर से सहायक नदियाँ
दक्षिण की ओर से सहायक नदियाँ
1. दूध नदीः-
दूध नदी का उदगम कांकेर के मलाजकुंडम पहाडी से हुआ है। कांकेर इसका प्रवाह क्षेत्र है। दूध नदी में मलाजकुंडम जलप्रपात स्थित है।
2. सिलियारी नदीः-
इसका उदगम कोरबा की पूर्वी पहाडी से हुआ है। यह कोरबा क्षेत्र से निकलकर दक्षिण में बिलासपुर और जांजगीर तहसील की सीमा बनाती हुई षिवनाथ नदी में मिल जाती है। इस नदी की कुल लंबाई 135 कि.मी. और प्रवाह क्षेत्र 2.333 वर्ग कि.मी. है।
3. पैरी नदीः-
इस नदी का प्राचीन नाम पलासिनी है। इसका उदगम भातृगढ पहाडी, बिन्द्रानवागढ तहसील ;गरियाबंदद्ध से तथा विसर्जन राजिम में महानदी में हुआ है। इसकी लंबाई 90 कि.मी. है। इसके प्रवाह क्षेत्र के अंतर्गत गरियाबंद आता है।
4. सोंढूर नदीः-
इसका उदगम उडीसा में कोरापुट क्षेत्र में नवरंगपुर, से हुआ है। छत्तीसगढ में मलगांव में यह नदी पैरी नदी में मिल जाती है।
5. सूखा नदीः-
इसका उदगम तुमगांव ;महासमुंदद्ध से तथा विसर्जन महानदी में हुआ है। इसकी सहायक नदी कोडार नदी है।
6. जोंक नदीः-
इसका उदगम महासमुंद जिले के पिथौरा से है तथा विसर्जन षिवरीनारायण के निकट दक्षिणी तट पर महानदी में हुआ है। है। इसकी लंबाई 90 कि.मी. है। इसका प्रवाह क्षेत्र 2480 वर्गमीटर है। महासमुंद, बलौदाबाजार इसका प्रवाह क्षेत्र है।
7. लात नदीः-
इसका उदगम रदन की पहाडी, (सरायपाली) तथा विसर्जन चंद्रपुर में महानदी पर हुआ है।
8. सुरंगी नदीः-
इसका उदगम रायगढ में हुआ है। यह ओडिसा में ओग नदी के माध्यम से महानदी में मिल जाती है।
9. बलमदेही नदीः-
इसका उदगम बारनवापारा क्षेत्र, बलौदाबाजार में हुआ है। इसका संगम नंदनिया बलौदाबाजार में महानदी से होता है।
10. हसदेव नदीः-
इसका उदगम कोरिया जिले कें सोनहट तहसील के देवगढ के कैमूर पहाडी से हुआ है तथा विसर्जन केरा सिलादेही के निकट महानदी पर हुआ है, षिवरीनारायण में महानदी से मिलकर यह पवित्र संगम बनाती है। इसके अपवाह क्षेत्र में जांजगीर-चांपा, कोरिया, कोरबा आते हैं।ं इसकी लंबाई 176 कि.मी. है। इसकी सहायक नदी तान, झींग, उत्तेग, गज, अहिरन, जटाषंकर, चोरनई है।
कोरबा, चांपा, पीथमपुर ;जांजगीर-चांपाद्ध इसके तटीय नगर है। हसदेव घाटी कोयला खदानों के लिये प्रसिद्ध है। हसदेव रामपुर कोयला क्षेत्र सरगुजा तक विस्तृत है। नदी जोडो परियोजना के तहत अहिरन व खारंग नदी को जोडा गया है।
11. मांड नदीः-
इसका उदगम सरगुजा जिले के मैनपाट मेंतथा विसर्जन चंद्रपुर के समीप महानदी में हुआ है। इसकी कुल लंबाई 155 कि.मी. है। यह जांजगीर-चांपा, सरगुजा व रायगढ जिलों से होकर बहती है।
12. केलो नदीः-
जशपुर स्थित लुडेंग पहाडी से तथा विसर्जन चंद्रपुर के समीप महानदी में हुआ है। यह मुख्यतः रायगढ जिले में बहती है।
13. ईब नदीः-
इसका उदगम जषपुर जिले के बगीचा तहसील के पण्ड्रापाट से विसर्जन महानदी में हुआ है। इसकी लंबाई छत्तीसगढ में 87 कि.मी. है। इसका प्रवाह क्षेत्र जषपुर है। ईब नदी के बालू में प्राकृतिक रूप से ’’सोने के कण ’’पाये जाते हैं।
14. षिवनाथ नदीः-
यह नदी महानदी की बडी सहायक नदी है। इस नदी का उदगम अंबागढ चैकी तहसील के 625 मीटर उंची पानाबरस पहाडी क्षेत्र से हुआ है। यह नदी राजनांदगांव, दुर्ग, बिलासपुर तथा जांजगीर-चांपा जिलो में होते हुए जांजगीर जिले के सोन लोहसी के पास रायपुर से लगी सीमा पर महानदी में जाकर मिल जाती है। छत्तीसगढ प्रदेष में इसकी लंबाई 290 कि.मी. है। इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैंः-
शिवनाथ नदी की सहायक नदियां
उत्तर की ओर से सहायक नदियाॅं
दक्षिण की ओर से सहायक नदियाँ
1. हांफ नदी:-
इसका उदगमकबीरधाम जिले कें कांदावनी की पहाडी से तथा विसर्जन षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में कवर्धा व बेमेतरा आते हैं।ं इसकी लंबाई 44 कि.मी. है।
2़. मनियारी नदीः-
इसका उदगममुंगेली जिले कें सिंहावल, पेन्ड्रा लोरमी के पठार से हुआ है। तथा विसर्जन मदकू द्वीप के निकट षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में मुंगेली, बिलासपुर आते हैं। इसकी लंबाई 134 कि.मी. है। इसकी सहायक नदियों में आगर, छोटी नर्मदा, टेसुवा व घोंघा हैं। इस नदी के किनारे अमेरीकापा तालागांव स्थित है। यह मुंगेली, बिलासपुर के मध्य सीमा रेखा बनाती है।
3. अरपा नदीः-
इसका उदगमबिलासपुर जिले कें पेन्ड्रा तहसील के खोडरी खोंगसरा पहाडी से हुआ है तथा विसर्जन मानिक चैरा के निकट षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में बलौदाबाजार, बिलासपुर आते हैं।ं इसकी लंबाई 100 कि.मी. है। इसकी सहायक नदी खारंग है।
4. लीलागर नदीः-
इस नदी काप्राचीन नाम निडिला है।इसका उदगम कोरबा जिले कें पूर्वी पहाडी से हुआ है तथा विसर्जन षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में कोरबा, बिलासपुर आते हैं।ं इसकी लंबाई 135 कि.मी. है। इस नदी के तट पर मल्हार स्थित है।
5. अमनेर नदीः-
यह षिवनाथ नदी की सहायक नदी है।
6. सुरही नदीः-
यह षिवनाथ नदी की सहायक नदी है।
7. खरखरा नदीः-
इसका उदगम बालोद जिले कें डौंडीलोहारा से हुआ है तथा विसर्जन षिवनाथ नदी पर हुआ है।
8. खारून नदीः-
इसका उदगम बालोद जिले कें पेटेचुआ पहाडी से हुआ है तथा विसर्जन सोमनाथ, धरसींवा के निकट षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में बालोद, रायपुर, दुर्ग आते हैं। इस नदी के तट पर रायपुर एवं तरीघाट, दुर्ग स्थित है।
9, तादुंला नदीः-
इसका उदगम कांकेर जिले कें भानूप्रतापपुर से हुआ है तथा विसर्जन सोमनाथ, धरसींवा के निकट षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में बालोद, कांकेर, दुर्ग आते हैं।ं इसकी लंबाई 64 कि मी. है।
10. जमुनिया नदीः-
यह षिवनाथ नदी की सहायक नदी है।
महानदी के साथ अन्य दो सहायक नदी मिलकर 3 स्थानों पर संगम ;ब्वदसिनमदबमद्ध बनाती हैंः-
1 राजिम ;गरियाबंदद्ध ;ज्ीम च्तंलंह व िब्ळद्ध - महानदी $ पैरी नदी $ सोंढूर नदी
2 षिवरीनारायण ;जांजगीर-चांपाद्ध- महानदी $ षिवनाथ नदी $ जोंक नदी
3 चंद्रपुर ;जांजगीर-चांपाद्ध- महानदी $ मांड नदी $ लात नदी
महानदी परियोजना, बांध एवं एनीकट
महानदी छत्तीसगढ के लिए वरदान है। इसकी विपुल जलराषि के उपयोग का सार्थक प्रयास 1915 में प्रारंभ हुआ एवं समय के साथ इसका विस्तार होता गया।
यह छत्तीसगढ प्रदेष की सबसे बडी सिंचाई परियोजना है जिसके अंतर्गत निम्नलिखित परियोजनाएं आती हैं। जिसकी कुल सिंचाई क्षमता 264 लाख हेक्टेयर है।
1. रूद्री पिक-अप वियर:
इसकी स्थापना 1915 में हुई जिससे 33,033 हेक्टेयर में सिंचाई प्रस्तावित की गई थी। महानदी पर निर्मित छत्तीसगढ का प्रथम बांध है।
2. माडुमसिल्ली/मुरूमसिल्ली जलाषय:
इसकी स्थापना 1923में हुई। सिलियारी नदी पर निर्मित यह एषिया का पहला साइफन बांध है। इसका निर्माण पूर्णतः ब्रिटिष तकनीक पर आधरित है। जिसकी सिंचाई क्षमता 33,033 हेक्टेयर से बढकर 85000 हेक्टेयर हुई।
3. दुधावा जलाषय:
इसकी स्थापना 1962-63 में कांकेर जिला में हुई। महानदी पर निर्मित स्वतंत्रता के पष्चात का प्रथम बांध है। जिससे सिंचित क्षेत्र 1,36,650 हेक्टेयर हो गया।
4. ग्ंागरेल बांध:
गंगरेल बांध को रविषंकर शुक्ल के नाम पर रविषंकर सागर के नाम से भी जाना जाता है।
इसकी स्थापना 1978-79 में हुई। यह महानदी पर निर्मित सबसे बडा बांध है जिसकी लंबाई 1380 मीटर व उंचाई 32 मीटर है। महानदी मुख्य नहर की सिंचाई क्षमता 2,49,500 हेक्टेयर हो गई। 2004 से 10 मेगावाट जलविद्युत परियोजना संचालित है। इस जलाषय से भिलाई स्टील प्लांट तथा रायपुर को औद्यौगिक एवं पेयजल की पूर्ति की जाती है। यह महानदी परियोजना का मुख्य बांध है।
Fig. 1: Location of Ravishankar Sagar reservoir in relation to Murumsilli and Dudhawa reservoir
Fig. 2: Map of Ravishankar Sagar reservoir showing sampling centres
2. सिलियारी नदीः-
इसका उदगम कोरबा की पूर्वी पहाडी से हुआ है। यह कोरबा क्षेत्र से निकलकर दक्षिण में बिलासपुर और जांजगीर तहसील की सीमा बनाती हुई षिवनाथ नदी में मिल जाती है। इस नदी की कुल लंबाई 135 कि.मी. और प्रवाह क्षेत्र 2.333 वर्ग कि.मी. है।
3. पैरी नदीः-
इस नदी का प्राचीन नाम पलासिनी है। इसका उदगम भातृगढ पहाडी, बिन्द्रानवागढ तहसील ;गरियाबंदद्ध से तथा विसर्जन राजिम में महानदी में हुआ है। इसकी लंबाई 90 कि.मी. है। इसके प्रवाह क्षेत्र के अंतर्गत गरियाबंद आता है।
4. सोंढूर नदीः-
इसका उदगम उडीसा में कोरापुट क्षेत्र में नवरंगपुर, से हुआ है। छत्तीसगढ में मलगांव में यह नदी पैरी नदी में मिल जाती है।
5. सूखा नदीः-
इसका उदगम तुमगांव ;महासमुंदद्ध से तथा विसर्जन महानदी में हुआ है। इसकी सहायक नदी कोडार नदी है।
6. जोंक नदीः-
इसका उदगम महासमुंद जिले के पिथौरा से है तथा विसर्जन षिवरीनारायण के निकट दक्षिणी तट पर महानदी में हुआ है। है। इसकी लंबाई 90 कि.मी. है। इसका प्रवाह क्षेत्र 2480 वर्गमीटर है। महासमुंद, बलौदाबाजार इसका प्रवाह क्षेत्र है।
7. लात नदीः-
इसका उदगम रदन की पहाडी, (सरायपाली) तथा विसर्जन चंद्रपुर में महानदी पर हुआ है।
8. सुरंगी नदीः-
इसका उदगम रायगढ में हुआ है। यह ओडिसा में ओग नदी के माध्यम से महानदी में मिल जाती है।
9. बलमदेही नदीः-
इसका उदगम बारनवापारा क्षेत्र, बलौदाबाजार में हुआ है। इसका संगम नंदनिया बलौदाबाजार में महानदी से होता है।
10. हसदेव नदीः-
इसका उदगम कोरिया जिले कें सोनहट तहसील के देवगढ के कैमूर पहाडी से हुआ है तथा विसर्जन केरा सिलादेही के निकट महानदी पर हुआ है, षिवरीनारायण में महानदी से मिलकर यह पवित्र संगम बनाती है। इसके अपवाह क्षेत्र में जांजगीर-चांपा, कोरिया, कोरबा आते हैं।ं इसकी लंबाई 176 कि.मी. है। इसकी सहायक नदी तान, झींग, उत्तेग, गज, अहिरन, जटाषंकर, चोरनई है।
कोरबा, चांपा, पीथमपुर ;जांजगीर-चांपाद्ध इसके तटीय नगर है। हसदेव घाटी कोयला खदानों के लिये प्रसिद्ध है। हसदेव रामपुर कोयला क्षेत्र सरगुजा तक विस्तृत है। नदी जोडो परियोजना के तहत अहिरन व खारंग नदी को जोडा गया है।
11. मांड नदीः-
इसका उदगम सरगुजा जिले के मैनपाट मेंतथा विसर्जन चंद्रपुर के समीप महानदी में हुआ है। इसकी कुल लंबाई 155 कि.मी. है। यह जांजगीर-चांपा, सरगुजा व रायगढ जिलों से होकर बहती है।
12. केलो नदीः-
जशपुर स्थित लुडेंग पहाडी से तथा विसर्जन चंद्रपुर के समीप महानदी में हुआ है। यह मुख्यतः रायगढ जिले में बहती है।
13. ईब नदीः-
इसका उदगम जषपुर जिले के बगीचा तहसील के पण्ड्रापाट से विसर्जन महानदी में हुआ है। इसकी लंबाई छत्तीसगढ में 87 कि.मी. है। इसका प्रवाह क्षेत्र जषपुर है। ईब नदी के बालू में प्राकृतिक रूप से ’’सोने के कण ’’पाये जाते हैं।
14. षिवनाथ नदीः-
यह नदी महानदी की बडी सहायक नदी है। इस नदी का उदगम अंबागढ चैकी तहसील के 625 मीटर उंची पानाबरस पहाडी क्षेत्र से हुआ है। यह नदी राजनांदगांव, दुर्ग, बिलासपुर तथा जांजगीर-चांपा जिलो में होते हुए जांजगीर जिले के सोन लोहसी के पास रायपुर से लगी सीमा पर महानदी में जाकर मिल जाती है। छत्तीसगढ प्रदेष में इसकी लंबाई 290 कि.मी. है। इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैंः-
शिवनाथ नदी की सहायक नदियां
उत्तर की ओर से सहायक नदियाॅं
दक्षिण की ओर से सहायक नदियाँ
1. हांफ नदी:-
इसका उदगमकबीरधाम जिले कें कांदावनी की पहाडी से तथा विसर्जन षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में कवर्धा व बेमेतरा आते हैं।ं इसकी लंबाई 44 कि.मी. है।
2़. मनियारी नदीः-
इसका उदगममुंगेली जिले कें सिंहावल, पेन्ड्रा लोरमी के पठार से हुआ है। तथा विसर्जन मदकू द्वीप के निकट षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में मुंगेली, बिलासपुर आते हैं। इसकी लंबाई 134 कि.मी. है। इसकी सहायक नदियों में आगर, छोटी नर्मदा, टेसुवा व घोंघा हैं। इस नदी के किनारे अमेरीकापा तालागांव स्थित है। यह मुंगेली, बिलासपुर के मध्य सीमा रेखा बनाती है।
3. अरपा नदीः-
इसका उदगमबिलासपुर जिले कें पेन्ड्रा तहसील के खोडरी खोंगसरा पहाडी से हुआ है तथा विसर्जन मानिक चैरा के निकट षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में बलौदाबाजार, बिलासपुर आते हैं।ं इसकी लंबाई 100 कि.मी. है। इसकी सहायक नदी खारंग है।
4. लीलागर नदीः-
इस नदी काप्राचीन नाम निडिला है।इसका उदगम कोरबा जिले कें पूर्वी पहाडी से हुआ है तथा विसर्जन षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में कोरबा, बिलासपुर आते हैं।ं इसकी लंबाई 135 कि.मी. है। इस नदी के तट पर मल्हार स्थित है।
5. अमनेर नदीः-
यह षिवनाथ नदी की सहायक नदी है।
6. सुरही नदीः-
यह षिवनाथ नदी की सहायक नदी है।
7. खरखरा नदीः-
इसका उदगम बालोद जिले कें डौंडीलोहारा से हुआ है तथा विसर्जन षिवनाथ नदी पर हुआ है।
8. खारून नदीः-
इसका उदगम बालोद जिले कें पेटेचुआ पहाडी से हुआ है तथा विसर्जन सोमनाथ, धरसींवा के निकट षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में बालोद, रायपुर, दुर्ग आते हैं। इस नदी के तट पर रायपुर एवं तरीघाट, दुर्ग स्थित है।
9, तादुंला नदीः-
इसका उदगम कांकेर जिले कें भानूप्रतापपुर से हुआ है तथा विसर्जन सोमनाथ, धरसींवा के निकट षिवनाथ नदी पर हुआ है। इसके अपवाह क्षेत्र में बालोद, कांकेर, दुर्ग आते हैं।ं इसकी लंबाई 64 कि मी. है।
10. जमुनिया नदीः-
यह षिवनाथ नदी की सहायक नदी है।
महानदी के साथ अन्य दो सहायक नदी मिलकर 3 स्थानों पर संगम ;ब्वदसिनमदबमद्ध बनाती हैंः-
1 राजिम ;गरियाबंदद्ध ;ज्ीम च्तंलंह व िब्ळद्ध - महानदी $ पैरी नदी $ सोंढूर नदी
2 षिवरीनारायण ;जांजगीर-चांपाद्ध- महानदी $ षिवनाथ नदी $ जोंक नदी
3 चंद्रपुर ;जांजगीर-चांपाद्ध- महानदी $ मांड नदी $ लात नदी
महानदी परियोजना, बांध एवं एनीकट
महानदी छत्तीसगढ के लिए वरदान है। इसकी विपुल जलराषि के उपयोग का सार्थक प्रयास 1915 में प्रारंभ हुआ एवं समय के साथ इसका विस्तार होता गया।
यह छत्तीसगढ प्रदेष की सबसे बडी सिंचाई परियोजना है जिसके अंतर्गत निम्नलिखित परियोजनाएं आती हैं। जिसकी कुल सिंचाई क्षमता 264 लाख हेक्टेयर है।
1. रूद्री पिक-अप वियर:
इसकी स्थापना 1915 में हुई जिससे 33,033 हेक्टेयर में सिंचाई प्रस्तावित की गई थी। महानदी पर निर्मित छत्तीसगढ का प्रथम बांध है।
2. माडुमसिल्ली/मुरूमसिल्ली जलाषय:
इसकी स्थापना 1923में हुई। सिलियारी नदी पर निर्मित यह एषिया का पहला साइफन बांध है। इसका निर्माण पूर्णतः ब्रिटिष तकनीक पर आधरित है। जिसकी सिंचाई क्षमता 33,033 हेक्टेयर से बढकर 85000 हेक्टेयर हुई।
3. दुधावा जलाषय:
इसकी स्थापना 1962-63 में कांकेर जिला में हुई। महानदी पर निर्मित स्वतंत्रता के पष्चात का प्रथम बांध है। जिससे सिंचित क्षेत्र 1,36,650 हेक्टेयर हो गया।
4. ग्ंागरेल बांध:
गंगरेल बांध को रविषंकर शुक्ल के नाम पर रविषंकर सागर के नाम से भी जाना जाता है।
इसकी स्थापना 1978-79 में हुई। यह महानदी पर निर्मित सबसे बडा बांध है जिसकी लंबाई 1380 मीटर व उंचाई 32 मीटर है। महानदी मुख्य नहर की सिंचाई क्षमता 2,49,500 हेक्टेयर हो गई। 2004 से 10 मेगावाट जलविद्युत परियोजना संचालित है। इस जलाषय से भिलाई स्टील प्लांट तथा रायपुर को औद्यौगिक एवं पेयजल की पूर्ति की जाती है। यह महानदी परियोजना का मुख्य बांध है।
संदर्भ ग्रंथः-
1. छत्तीसगढ वृहद संदर्भ-संजय त्रिपाठी व श्रीमती चंदन त्रिपाठी-उपकार प्रकाषन, आगरा।
2. छत्तीसगढ विषिष्ट अध्ययन-हरिराम पटेल एच.आर.पब्लि. बिलासपुर।
3. छत्तीसगढ सामान्य अध्ययन-डी.सी.पटेल-मुस्कान पब्लि. बिलासपुर।
4. भूगोल-चतुर्भुज मामोरिया-साहित्य भवन पब्लिकेषन, आगरा ।
5. Chhattisgarh Ka Bhugol-Tiwari V.K. Himalaya Publication New Delhi
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Received on 30.04.2021 Modified on 21.05.2021 Accepted on 30.06.2021 © A&V Publication all right reserved Int. J. Ad. Social Sciences. 2021; 9(2): 100-110. DOI: |
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