उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा के डिजीटलीकरण से विद्यार्थियों के शैक्षणिक उपलब्धि पर पडने वाले प्रभाव का अध्ययन।

 

डाॅ. निधी अग्रवाल1, श्रीमती बबीता झा2

1प्राध्यापिका, कलिंगा विश्वविद्यालय, रायपुर.

2शोध छात्रा कलिंगा विश्वविद्यालय, रायपुर.

*Corresponding Author E-mail: manisha@pragaticollege.com

 

ABSTRACT:

इंटरनेट, मोबाइल फोन, मोबाइल एप्लिकेशन, टैबलेट, लैपटाॅप और अन्य आधुनिक उपकरणों के विकास के कारण आज की दुनिया की अधिक से अधिक चीजें डिजिटल हो रही हैं। भारत के महानगरों और अन्य शहरों की शिक्षा प्रणाली भी काफी हद तक आधुनिकीकृत हो गई है, जिससे डिजीटलीकरण के लिए रास्ता बन गया है। डिजिटल शिक्षा कई अंतर्राष्ट्रीय स्कूलों के साथ-साथ भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में अपनी जगह बना रही है और पारंपरिक कक्ष प्रशिक्षण का स्थान ले रही है। जिसके कारण आधुनिक युग में अधिगम और सरलीकृत हो गया है साथ ही विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धि में भी वृद्धि हुई है। विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धि ज्ञात करने के लिए निदानात्मक परीक्षण किया जाता है। मूल्यांकन के पश्चात् प्राप्त परिणामों के आधार पर निम्न श्रेणी प्राप्त विद्यार्थियों को अतिरिक्त कक्षाओं में अध्यापन कार्य कराया जाता है जिसके कारण शैक्षणिक उपलब्धि में भी परिवर्तन हुआ है।

 

KEYWORDS: शिक्षा के डिजीटलीकरण शैक्षणिक उपलब्धि.

 


INTRODUCTION:

अतः शिक्षण कार्य को सूचारू रूप से चलाने एवं बालक के भावी जीवन के विकास के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षा का डिजीटलीकरण किया जाय जिससे उनके अधिगम और शैक्षणिक उपलब्धि का विकास हो सके।

 

अतः शोधार्थी को रायपुर जिले के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा के डिजीटलीकरण से विद्यार्थियों के शैक्षणिक उपलब्धि पर पडने वाले प्रभाव को देखने की आवश्यकता प्रतीत हुई है। प्रस्तुत शोध अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष से स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो सकेगी कि विद्यार्थियों के शैक्षणिक उपलब्धि पर शिक्षा के डिजीटलीकरण का क्या प्रभाव पड़ता है? यह जानकारी छात्रों अभिभावकों, शिक्षाविदों, मनोवैज्ञानिकों तथा समाजशास्त्रियों के लिए लाभप्रद सिद्ध होंगे जिससे सहयोगात्मक, सकारात्मक स्वस्थ शिक्षण के लिए मार्ग प्रशस्त होगा तथा शिक्षा के डिजीटलीकरण का विकास किया जा सकेगा।

 

समस्या का कथन:-

उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा के डिजीटलीकरण से विद्यार्थियों के शैक्षणिक उपलब्धि पर पडने वाले प्रभाव का अध्ययन।

शोध एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है जिसका एक निश्चित दिशा में निश्चित उद्देश्य होता है। प्रस्तुत शोध अध्ययन का उद्देश्य रायपुर जिले के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा के डिजीटलीकरण से विद्यार्थियों के अधिगम एवं उनके शैक्षणिक उपलब्धि में पडने वाले प्रभाव का अध्ययन करना है। वर्तमान युग में जहाँ शिक्षा के डिजीटलीकरण का विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास में सर्वोपरि स्थान है। इस परिस्थिति में प्रस्तुत शोध अध्ययन में यह अध्ययन करने का प्रयास है कि शिक्षा के डिजीटलीकरण का विद्यार्थियों के अधिगम एवं उनके शैक्षणिक उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव होगा। यह स्थूल से सूक्ष्म में जाने का प्रयास हैं।

 

अध्ययन के उद्देश्य:-

1.     उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के छात्रों के शिक्षा के डिजीटलीकरण उनके शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य सम्बन्ध का अध्ययन करना।

2.     उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के छात्राओं के शिक्षा के डिजीटलीकरण उनके शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य सम्बन्ध का अध्ययन करना।

3.     उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण उनके शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य सम्बन्ध का अध्ययन करना।

 

अध्ययन की परिकल्पना:-

विद्यार्थियों के शैक्षणिक उपलब्धि ज्ञात करने हेतु परिकल्पना -

1.     उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के छात्रों के शिक्षा के डिजीटलीकरण उनकी शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य कोई सार्थक सम्बन्ध नहीं पाया जाएगा।

2.     उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों की छात्राओं के शिक्षा के डिजीटलीकरण उनकी शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य कोई सार्थक सम्बन्ध नहीं पाया जाएगा।

3.     उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण उनकी शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य कोई सार्थक सम्बन्ध नहीं पाया जाएगा।

 

शोध अध्ययन का क्षेत्र एवं परिसीमा:-

शोधकार्य करने हेतु रायपुर जिले का चयन किया गया जिसके अंतर्गत रायपुर जिले के 10 विद्यालयों का चयन किया गया तथा चयनित किये गये प्रत्येक विद्यालयों से 25 छात्र एवं 25 छात्राएं कुल 500 विद्यार्थियों का चयन किया गया।

 

संबंधित शोध साहित्य का अध्ययन:-

मिश्रा, के.एस. (2003) ने ‘‘शैैक्षिक उपलब्धियों पर वैैज्ञानिक प्र्रक्रियाओं अधिगम वातावरण का प्र्रभाव।’’ शीर्षक पर प्रायोजनात्मक स्तरीय अनुसंधान कार्य किया। इन्होंने अपने शोधकार्य में पाया कि विद्यार्थियों की उपलब्धि अधिगम वातावरण के बीच सह सम्बन्ध के आधार पर बालकों की वैज्ञानिक उपलब्धि सकारात्मक रूप से एकता, विषमता, औपचारिकता स्पर्धात्मकता से सम्बन्धित है जबकि नकारात्मक रूप से यह रूचि शून्यता/उदासीनता से सम्बन्धित हैं। बालिकाओं की वैज्ञानिक उपलब्धि अधिगम वातावरण के आयामों-विषमता, गतिशीलता, सहजता, विरोधाभास, सृजनात्मकता समानता से सम्बन्धित नहीं है।

 

बेजिंमन, थाॅॅमस डाॅॅन (2008) ने ‘‘विद्यालयी सुुविधाआंें औैर शैैक्षिक उपलब्धि के मध्य सम्बन्ध’’ शीर्षक पर शोधकार्य किया और निष्कर्ष रूप में पाया कि साक्षात्कार के निष्कर्ष में पाया कि विद्यालय का भवन और विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि में कोई सम्बन्ध नहीं पाया गया। वहाँ जन समूह ने भी माना कि विद्यालयी भवन का विद्यार्थियों के अधिगम पर कोई सार्थक प्रभाव नहीं होता है। इन्होंने पाया कि विद्यालयी सुविधाओं की स्थिति एवं अध्यापकों और विद्यार्थियों की उपलब्धि के मध्य कोई सहसम्बन्ध नहीं पाया गया, क्योंकि शैक्षिक उपलब्धि को प्रभावित करने वाले बहुत से अन्य कारक हो सकते हैं। इसके लिए केवल भवन को उचित कहना ठीक नहीं है।

 

चर:-

स्वतंत्र चर - शिक्षा के डिजीटलीकरण,

आश्रित चर - शैक्षिक उपलब्धि

 

शोध विधि:-

प्रस्तुत शोध अध्ययन की प्रकृति को ध्यान में रखकर शोधार्थी द्वारा सर्वेक्षण विधि को अपनाया गया है, क्योंकि शोध अध्ययन में आँकडो का संग्रह सर्वेक्षण विधि द्वारा सहजतापूर्वक किया जा सकता है।

 

जनसंख्या:-

प्रस्तुत शोध प्रबंध में जनसंख्या के अंर्तगत उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत् रायपुर जिले के 10 विद्यालयों में से चयन किया गया है।

 

न्यादर्श:-

प्रस्तुत शोध प्रबंध में जनसंख्या के अंर्तगत रायपुर जिले के 10 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत 250 छात्र 250 छात्राओं अर्थात् कुल 500 छात्र-छात्राओं का चयन प्रस्तुत शोध प्रबंध में प्रतिदर्श के रूप मंे किया गया है।

 

उपकरण:-

1.     विद्यार्थियों के शिक्षा का डिजीटलीकरण ज्ञात करने हेतु डीम्पल रानी द्वारा निर्मित डिजीटलीकरण मापनी का प्रयोग किया गया।

2.     विद्यार्थियों के शिक्षा का डिजीटलीकरण का शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभाव ज्ञात करने हेतु डाॅ. विद्यावती माल्या, डाॅ. के. सी. माल्या एवं एल.एन. दुबे द्वारा निर्मित शैक्षिक उपलब्धि मापनी का प्रयोग किया गया।

 

सांख्यिकीय विश्लेषण:-

उपकरण से प्राप्त प्राप्तांकों अथवा आँकड़ों को विभिन्न तालिकाओं में व्यवस्थित कर उनका विश्लेषण मध्यमान ;डद्धए मानक विचलन ;ैक्द्धए क्रान्तिक अनुपात ;ब्त्द्धए सहसम्बन्ध गुणांक ;तद्ध की गणना कर किया गया तथा दण्डआरेख द्वारा प्रदर्शित कर व्याख्या की गयी।

 

परिकल्पनाओं का प्रमाणिकरण -

उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के विद्यार्थियों के शैक्षणिक उपलब्धि का अध्ययन करनाके अन्तर्गत परिकल्पित परिकल्पना भ्व1 ”उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के विद्यार्थियों के शैक्षणिक उपलब्धि में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया जाएगा।का सत्यापन क्रन्तिक अनुपात की मदद से किया गया है, जिसके विश्लेषण से प्राप्त परिणाम को तालिका संख्या-1 में दर्शाया गया हैं-

 

 

तालिका संख्या - 1 शैक्षणिक उपलब्धि मापनी पर छात्र एवं छात्राओं के मध्यमान, मानक विचलन, तथा ष्ब्त्ष् मान

’0ण्05 सार्थकता स्तर पर ष्ब्त्ष् का सारणी मान = 1.96

 

 

दण्ड आरेख संख्या-1 शैक्षणिक उपलब्धि मापनी पर छात्र एवं छात्राओं की संख्या, मध्यमान एवं मानक विचलन का दण्डआरेख

 

विश्लेषणः-

उपरोक्त तालिका संख्या-1 में शैक्षणिक उपलब्धि मापनी पर प्राप्त 250 छात्र एवं 250 छात्राओं के प्रदत्तों के कुल शैक्षणिक उपलब्धि का मध्यमान क्रमशः 225.46 218.04 मानक विचलन क्रमशः 8.74 9.024 तथा ष्ब्त्ष् का मान 13.25 है, प्राप्त ष्ब्त्ष् का मान स्वतन्त्रता के स्तर =ि498 पर सार्थकता के स्तर 0ण्05 पर सारणी मान=1.96 से अधिक है, अतः यह प्राप्त मान 0.05 सार्थकता स्तर पर सार्थक है।

 

परिणाम:-

प्रतिपादित परिकल्पना-1 में कुल शैक्षणिक उपलब्धि की परिकल्पना को स्वीकार किया जाता है, यह परिणाम इंगित करता है कि छात्र एवं छात्राओं के शैक्षणिक उपलब्धि के मध्यमान में सार्थक अन्तर नहीं है, अर्थात छात्र एवं छात्राओं के शैक्षणिक उपलब्धि में अन्तर व्याप्त नहीं है।

 

2 अध्ययन के उद्देश्य संख्या . 2

उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण उनके शैक्षिक उपलब्धि के मध्य सम्बन्ध का अध्ययन करना।के अन्तर्गत परिकल्पित परिकल्पना भ्व2 ”उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण उनके शैक्षिक उपलब्धि के मध्य कोई सार्थक सम्बन्ध नहीें पाया जाएगा।का सत्यापन तष् परीक्षण के आधार पर किया गया है, जिसके विश्लेषण से प्राप्त परिणाम को तालिका संख्या - 2 में दर्शाया गया हैं-

 

 

तालिका संख्या - 2 उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण तथा अधिगम के मध्य ष्तष् मान

0ण्05 सार्थकता स्तर पर ष्तष् का सारणी मान = .088

 

 

दण्डआरेख संख्या - 2 उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण तथा शैक्षिक के संख्या एवं मध्यमान का दण्डआरेख

 

 

विश्लेषणः-

उपरोक्त तालिका संख्या-2 में शिक्षा के डिजीटलीकरण मापनी तथा अधिगम मापनी पर 1000 विद्यार्थियों के प्रदत्तों का मध्यमान क्रमशः 401.73 379.26 है तथा शिक्षा के डिजीटलीकरण तथा अधिगम के मध्य प्राप्त ष्तष् का मान 0ण्978 है, यह प्राप्त मान ण्05 सार्थकता स्तर पर सार्थक है।

 

परिणाम:-

प्रतिपादित परिकल्पना-2 को अस्वीकार किया जाता है, प्राप्त ष्तष् का मान इंगित करता है कि विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण तथा अधिगम के मध्य सार्थक मध्यम धनात्मक सहसम्बन्ध है, अर्थात विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण तथा अधिगम के मध्य में महत्वपूर्ण सम्बन्ध व्याप्त है।

 

विवेचना:-

उपरोक्त परिणाम इंगित करते है कि अधिकतर विद्यार्थियों का शिक्षा का डिजीटलीकरण जिस स्तर का है उसी स्तर का उनका शैक्षिक उपलब्धि भी है। अतः परिणाम इंगित करता है कि विद्यार्थियों का शिक्षा का डिजीटलीकरण एवं शैक्षिक उपलब्धि एक ही दिशा में कार्य करते है। अर्थात् यदि विद्यार्थियों का शिक्षा का डिजीटलीकरण का स्तर उच्च है तो उन विद्यार्थियों का शैक्षिक उपलब्धि भी ज्यादातर उच्च स्तर का होता है तथा यदि विद्यार्थियों का शिक्षा का डिजीटलीकरण का स्तर निम्न है तो उन विद्यार्थियों का शैक्षिक उपलब्धि भी ज्यादातर निम्न स्तर का होता है।

 

3. अध्ययन के उद्देश्य संख्या. 3

उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण उनके शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य सम्बन्ध का अध्ययन करना।के अन्तर्गत परिकल्पित परिकल्पना भ्व3 ”उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण उनकी शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य कोई सार्थक सम्बन्ध नहीं पाया जाएगा।का सत्यापन तष् परीक्षण के आधार पर किया गया है, जिसके विश्लेषण से प्राप्त परिणाम को तालिका संख्या - 3 में दर्शाया गया हैं-

 

तालिका संख्या - 3 उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण तथा शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य ष्तष् मान

’0ण्05 सार्थकता स्तर पर ष्तष् का सारणी मान = .088

 

 

दण्ड आरेख संख्या - 3 उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण तथा शैक्षणिक उपलब्धि के संख्या एवं मध्यमान का दण्डआरेख

 

विश्लेषण:-

उपरोक्त तालिका संख्या-3 में शिक्षा के डिजीटलीकरण मापनी तथा शैक्षणिक उपलब्धि मापनी पर 500 विद्यार्थियों के प्रदत्तों का मध्यमान क्रमशः 401ण्73 441ण्75 है तथा पारिवारिक वातावरण शिक्षा के डिजीटलीकरण तथा शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य प्राप्त तष् का मान 0ण्957 है, यह प्राप्त मान ण्05 सार्थकता स्तर पर सार्थक है।

 

परिणाम:-

प्रतिपादित परिकल्पना-5 को अस्वीकार किया जाता है, प्राप्त तष् का मान इंगित करता है कि विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण मापनी तथा शैक्षणिक उपलब्धि मापनी के मध्य सार्थक मध्यम धनात्मक सहसम्बन्ध है, अर्थात विद्यार्थियों के शिक्षा के डिजीटलीकरण तथा शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य में महत्वपूर्ण सम्बन्ध व्याप्त है।

 

विवेचना:-

उपरोक्त परिणाम इंगित करते है कि अधिकतर विद्यार्थियों का शिक्षा के डिजीटलीकरण जिस स्तर का है उसी स्तर की उनकी शैक्षणिक उपलब्धि भी है। परिणाम इंगित करता है कि विद्यार्थियों का शिक्षा के डिजीटलीकरण एवं शैक्षणिक उपलब्धि एक ही दिशा में कार्य करते है। अर्थात् यदि विद्यार्थियों का शिक्षा के डिजीटलीकरण का स्तर उच्च है तो उन विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धि भी ज्यादातर उच्च स्तर की होती है तथा यदि विद्यार्थियों का शिक्षा के डिजीटलीकरण का स्तर निम्न है तो उन विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धि भी ज्यादातर निम्न स्तर की होती है।

 

निष्कर्ष:-

शैक्षणिक उपलब्धि के विकास में शिक्षा के डिजीटलीकरण की भूमिका अभिभावकों, शिक्षकों विद्यार्थियों से अवगत करा विद्यार्थियों में शिक्षा के डिजीटलीकरण में विकास हेतु शैक्षिक अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन, उत्तम शैक्षणिक उपलब्धि बनायें रखने हेतु उनमें समायोजन तथा संवेगात्मक स्थायित्व के विकास हेतु विद्यालय मंे कार्यक्रमों का संचालन छात्रों को जिम्मेदारियां निर्धारण कर उनमें नेतृत्व के गुणों का विकास किया जा सकेगा तथा शिक्षा के डिजीटलीकरण का शैक्षणिक उपलब्धि के साथ अभीष्ट संबंध के महत्व को समझ विद्याथिर्यों के व्यवहार में परिवर्तन, शिक्षा के क्षेत्रों में आवश्यक परिमार्जन कर शिक्षक तथा विद्यार्थी के मध्य उचित शैक्षिक वातावरण स्थापित किया जा सकेगा और प्रदत्त शिक्षा का उद्देश्य परिपूर्ण किया जा सकेगा।

 

अभिभावकों के लिये सुझाव:-

1. अभिभावकों को विद्यार्थियों के साथ मिलकर उनके व्यक्तिगत अभिवृद्वि के विकास हेतु प्रयासरत रहना चाहियें।

2ण् अभिभावकों को अपने बच्चों को अधिक से अधिक सुविधायें प्रदान कर उनकी शैक्षिक रूचियों को प्रोत्साहित करना चाहिये।

3ण् अभिभावकों को पुत्र-पुत्री दोनों को विकास के लिये समान अवसर प्रदान करने चाहिये।

4ण् अभिभावकों को विद्यार्थियों के शैक्षिक विकास हेतु शिक्षा प्रदान करने के साधनों की व्यवस्था का रखरखाव उचित ढ़ंग से करना चाहिये तथा विद्यार्थियों का भी सहयोग प्राप्त करना चाहिये।

5ण् छात्राओं के लिये अभिभावकों को चाहिये कि उनके साथ किसी भी प्रकार से भेदभाव एवं अनदेखी करें।

6ण् अभिभावकों को छात्रों को डिजीटलीकरण से संबंधित शैक्षिक विषय पढ़ने के लिये प्रेरित करना चाहियें ताकि उनमें सौंदर्यात्मक, सामाजिक गृह मूल्यों का विकास हो।

 

विद्यार्थियों के लिये सुझावः-

1. विद्यार्थियों को शिक्षा के डिजीटलीकरण होने पर परिवार के साथ अपने सकारात्मक नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा करनी चाहिये।

2ण् विद्यार्थियों को अधिगम एवं शैक्षणिक उपलब्धि को गुणवत्तापूर्ण बनायें रखने के लिये सहयोग प्रदान करना चाहिये।

3ण् विद्यार्थियों को अधिक से अधिक खुश रखने का प्रयास करना चाहिये।

4ण् विद्यार्थियों को व्यर्थ चिन्ताओं से दूर रहना चाहिये।

5ण् विद्यार्थियों को विद्यालय तथा समाज में हो रही गतिविधियों कार्यक्रमों में प्रतिभाग करना चाहिये।

6ण् विद्यार्थियों को अपने परिवार, मित्रों, समाज अथवा सगे संबंधियों के साथ उचित सामंजस्य स्थापित करना चाहिये।

 

शिक्षकों के लिये सुझाव:-

1. शिक्षा के डिजीटलीकरण, अधिगम एवं शैक्षणिक उपलब्धि के मध्य संबंध के महत्व के संदर्भ में अभिभावकों छात्रों को जागरूक करना चाहिये।

2ण् शिक्षकों को विद्यार्थियों से सहानुभूति, मित्रतापूर्ण व्यवहार कर उचित शैक्षिक वातावरण का निर्माण संबंध स्थापित करना चाहिये।

3ण् सभी विद्यार्थियों के साथ एक समान व्यवहार करना चाहिये।

4ण् विद्यार्थियों को विभिन्न शैक्षिक अवसरों की जानकारी प्रदान करना चाहिये।

5ण् विद्यार्थियों में समाजिक दक्षता के गुणांे को विकसित करने वाली गतिविधियों कार्यक्रमों मंे भाग लेने के लिये प्रेरित करना चाहिये।

 

प्रशासकों के लिये सुझाव:-

1. विद्यार्थियों के लिये उचित विद्यालयी परिवेश प्रदान करना चाहिये।

2ण् छात्रों की अधिगत संबंधित रूचियों को ध्यान में रखकर विषयों को विद्यालय में पढ़ाना चाहियें।

3ण् विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों से अवगत कराना चाहिये।

4ण् पाठ्यक्रम ऐसा बनाना चाहिये जिससे विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धि प्रभावित हो।

5ण् विद्यार्थियों के पाठ्यचर्या में अधिगम के गुणों को विकसित करने वाले कार्यक्रमों को भी शामिल करना चाहिये।

 

सन्दर्भ ग्रन्थ सूची

1.        Mangal, S. K. (2007). Essentials of educational psychology. New Delhi: Prentice-Hall of India Private Limited.

2.        Shah, B. (1990). Family climate Scale. Agra: Kachahri Ghat, National Psychological Corporation.

3.        Shankar, S. P. & Jebaraj, R. (2006). Mental health of tsunami affected adolescent orphan children. Edutracks, 6(2), 38-40.

4.        Srivastav, D. N. (2010). Anushandhan Vidhiya. Agra: Sahitya Prakashan.

5.        Thomson, R. (2007). The influence of family environment on mental health need and service use among vulnerable children. Chilled Welfare, 86(5), 57-74.

6ण्      राय, पी. (2010-11). अनुसंधान प्थ्श्रच्य. आगरारू लक्ष्मी नारायण अग्रवाल पुस्तक प्रकाशन.

7ण्      राठौरए (2008). माध्यमिक स्तर शिक्षा के माध्यम का विद्यार्थियों शैक्षिक रूचि एवं समायोजन पर प्रभाव. एम. एड0., छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर.

8ण्      रूहेलाए एस. पी. (2012-13). शिक्षा के दार्शनिक एवं समाजशास्त्रीय आधार. आगरारू अग्रवाल पब्लिकेशन.

9ण्      सिंह, बी. (2007). बाल विकास एवं बाल मनोविज्ञान. जयपुररू पंचशील प्रकाशन.

10ण्     सेठ, एम. (2002). जूनियर हाईस्कूल के विद्यार्थियों के स्वबोध तथा जीवन मूल्यों का परिवारिक पृष्ठभूमि के संदर्भ में अध्ययन. पी.एच.डी.., लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ.

 

 

Received on 22.02.2021         Modified on 08.03.2021

Accepted on 24.03.2021         © A&V Publication all right reserved

Int. J. Ad. Social Sciences. 2021; 9(1):27-33.