दुर्ग जिले के ग्राम विकास में ग्रामीण विकास योजनाओं का योगदान

(पाटन विकास के संदर्भ में)

 

डाॅ. बी.एल. सोनेकर1 , डाॅ. (कु.)कल्याणी 2

1 सह-प्राध्यापक, अर्थषास्त्र अध्ययनषाला, पं. रविषंकर षुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर (..)

2अर्थषास्त्र अध्ययनषाला, पं. रविषंकर षुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर (..)

*Corresponding Author E-mail:  sonekarptrsu@gmail.com

 

ABSTRACT:

दुर्ग जिले में केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा अनेक विकास योजनाएँ चलाई जा रही हैं जिसके माध्यम से ग्राम विकास हो रही है दुर्ग जिले में मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना के अंतर्गत पिछले 4 वर्षाें में सी.सी. रोड निर्माण काय -122र्1, निर्मलाघाट निर्माण - 99, मुक्तिधाम निर्माण - 50, सामुदायिक भवन निर्माण - 82, नाली निर्माण - 198, व्यवसायिक परिसर निर्माण - 13, मिनी स्टेडियम निर्माण - 04, अटल समरसता भवन निर्माण - 03 एवं अन्य विकास कार्य - 42 करवाये गये हैं इस प्रकार कुल 1712 विकास कार्य करवाये गये हैं

 

KEYWORDS दुर्ग जिला, ग्राम विकास, ग्रामीण विकास योजनाओंण्

 

 

 

प्रस्तावना:-

भारत गाँवो का देष है भारत की लगभग 69 जनसंख्या गाँवों में निवास करती है अतः सरकार का प्रयास यह रहता है कि ज्यादा से ज्यादा विकास योजनाएँ ग्रामीण क्षेत्र में चलाई जाये आजादी के 72 वर्षों कें बाद भी आज तक ग्रामीण क्षेत्रों में षहरों जैसी सुविधाएँ कम देखने को मिलती हैं गाँवों में मूलभूत सुविधाएँ तो मिल रही हैं लेकिन सुनिष्चित रोजगार, परिवहन सुविधाएँ, चिकित्सा व्यवस्था की

 

 

सुविधाएँ नही ंके बराबर मिल रही हैं एक राष्ट्र को आर्थिक रूप से मजबूत नहीं कहा जा सकता जब तक ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास नहीं होगा एक राष्ट्र के विकास के लिए लोगों के लिए सुनिष्चित रोजगार, आधार संरचना का विकास एवं ग्रामीण षासन में ग्रामीणों की भागीदारी एक आवष्यक षर्त है

 

दुर्ग जिले में केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा अनेक विकास योजनाएँ चलाई जा रही हैं जिसके माध्यम से ग्राम विकास हो रही है दुर्ग जिले में मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना के अंतर्गत पिछले 4 वर्षाें में सी.सी. रोड निर्माण काय -122र्1, निर्मलाघाट निर्माण - 99, मुक्तिधाम निर्माण - 50, सामुदायिक भवन निर्माण - 82, नाली निर्माण - 198, व्यवसायिक परिसर निर्माण - 13, मिनी स्टेडियम निर्माण - 04, अटल समरसता भवन निर्माण - 03 एवं अन्य विकास कार्य - 42 करवाये गये हैं इस प्रकार कुल 1712 विकास कार्य करवाये गये हैं

 

अध्ययन का उद्देष्य

(1) न्यादर्ष परिवारों की आर्थिक स्थिति का विष्लेषण करना

(2) ग्रामीण विकास योजनाओं की स्थिति का मूल्यांकन करना

 

षोध प्रविधि

प्रस्तुत षोध प्रविधि प्राथमिक एवं द्वितीयक समक पर आधारित है प्राथमिक आकड़ो को अनुसूची द्वारा प्राप्त एवं द्वितीयक आकड़ो का संकलन राज्य सरकार एवं जिला पंचायत द्वारा प्रकाषित प्रत्र पत्रिकाओ से संकलित किया गया है

 

षोध क्षेत्र

षोध क्षेत्र दुर्ग जिले के पाटन विकासखण्ड के 4 ग्राम पंचायतों के 151 परिवारों को चुना है 15 परिवारों के 151 परिवारों को चुना है

 

 

अध्ययन क्षेत्र का सामान्य जानकारी

दुर्ग जिले का निर्माण 1906 में हुआ दुर्ग जिला छत्तीसगढ़ राज्य के 27 जिलों में से एक जिला है दुर्ग जिले का क्षेत्रफल 8549 वर्ग कि.मी. है दुर्ग जिला मुख्य रूप से खेती पर निर्भर है दुर्ग जिले की प्रमुख नदी षिवनाथ नदी है दुर्ग जिले में खरीफ एवं रबी दोनों फसल ली जाती है दुर्ग सिंचित जिला है दुर्ग जिले में 3 तहसील 3 विकासखण्ड है - धमधा, पाटन एवं दुर्ग दुर्ग एक लोकसभा क्षेत्र है 6 विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें पाटन भी विधानसभा क्षेत्र है

 

दुर्ग जिले की कुल जनसंख्या 1721948 है जिसमें 875813 पुरूष एवं 846135 महिला है अनुसूचित जाति की जनसंख्या 245587 है एवं अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 101188 है दषकीय जनसंख्या वृद्धि दर 14.56 है जनसंख्या घनत्व 742 प्रति वर्ग कि.मी. है लिंगानुपात प्रति हजार पुरूषों पर 966 है साक्षरता दर 75.84 है पुरूष साक्षरता 89.88 एवं महिला साक्षरता 88.63 है विद्यतीकरण की व्यवस्था करने में दुर्ग जिला आगे है  कुल विद्युतीकृत ग्राम 374 है कुल कार्यषील जनसंख्या 572642 है

 

 

 

1 न्यादर्ष परिवार के आर्थिक स्थिति का विष्लेषण

 

उपरोक्त तालिका में न्यादर्ष परिवार का आर्थिक विष्लेषण प्रस्तुत किया गया है न्यादर्ष परिवार के लिंग भेद में अधिकांष पुरूष 60.9 प्रतिषत पाये गये हैं जबकि महिला 39 प्रतिषत पाये गये हैं आयु संरचना में अधिकांष 78.8 प्रतिषत 40-50 या उससे अधिक आयु वर्ग के पाये गये हैं जबकि निम्न 5.9 30 या उससे कम आयु वर्ग के एवं 15.2 30-40 आयु वर्ग के पाये गये हैं

 

        न्यादर्ष परिवार में अधिकांष 56.9 षिक्षित पाये गये हैं जबकि निम्न 14.5 साक्षर पाये गये हैं जिन्होंने प्रौढ़ षिक्षा एवं प्राथमिक स्तर से कम स्तर की षिक्षा प्राप्त की है एवं 28.4 निरक्षर पाये गये हैं

        न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 86 प्रतिषत विवाहित पाये गये हैं जबकि निम्न 5.2 अविवाहित एवं 8.6 प्रतिषत अन्य अर्थात् विधवा, विधुर या तलाकषुदा पाये गये हैं इसका कारण यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में कम उम्र में ही विवाह कर दिया जाता है जिससे विवाहित की संख्या अधिक है

        न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 61.5 प्रतिषत मजदूरी कार्य करते पाये गये हैं जबकि निम्न 13.9 प्रतिषत कृषि कार्य जबकि 24.5 प्रतिषत अन्य व्यवसायिक कार्य करते पाये गये हैं इसका कारण यह है कि ग्रामीण क्षेत्र अधिकांष कम पढ़े लिखे लोग होते है अतः ये मजदूरी कार्य ही कर सकते हैं

        कुल मासिक आय में न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 52.9 प्रतिषत परिवार है जबकि निम्न 12.5 प्रतिषत की आय 2000-3000 के बीच एवं 34.4 प्रतिषत परिवार की आय 1000-2000 के बीच पाये गये हैं ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरी कम दी जाती है जिससे कुुल आय बहुत कम है

        न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 85.4 प्रतिषत परिवार का स्वरूप एकांकी पाया गया है जबकि निम्न 14.5 प्रतिषत परिवार का स्वरूप संयुक्त पाया गया है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में अब षहरों की तरह परिवार टूटने लगा है इसका कारण विचारों का मिल पाना एवं पारिवारिक खर्चे बढ़ना है

        न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 66.8 प्रतिषत अन्य पिछड़ा वर्ग के पाये गये हैं जबकि निम्न 9.2 प्रतिषत अनु. जनजाति एवं अनु. जाति वर्ग के पाये गये हैं

 

 

 

1 () दुर्ग जिले में ग्राम विकास के लिए चलाई जा रही ग्रामीण विकास योजनाओं की स्थिति का मूल्यांकन

 

 

 

2.() पिछले 5 वर्षों में किये गये विकास कार्यों का मूल्यांकन

 

उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि पिछले 5 वर्षों में ग्राम विकास के कार्य कराये गये हैं 5 वर्ष पहले 134 विकास कार्य जबकि 5 वर्ष बाद 158 विकास कराये गये हैं अतः 24 विकास कार्य पिछले 5 वर्षों के अंतर्गत कराये गये हैं तालाबों का पुननिर्माण, घेराव पचरीकरण किया गया है नल की व्यवस्था की गई है

 

 

2.() विकास कार्यों से संतुष्टि

 

उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि विकास कार्यों के संतुष्टि संबंधी विवरण को प्रस्तुत किया गया है न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 50.3 प्रतिषत हैण्डपंप की व्यवस्था से आंषिक रूप से संतुष्ट पाये गये जबकि निम्न् 20.5 प्रतिषत संतुष्ट नहीं एवं 29.1 प्रतिषत पूर्णतः संतुष्ट पाये गये हैं

        न्यादर्ष परिवार में  सर्वाधिक 43 प्रतिषत स्कूल की व्यवस्था से पूर्णतः संतुष्ट पाये गये हैं जबकि निम्न 19.2 प्रतिषत संतुष्ट नहीं एवं 37.7 प्रतिषत आंषिक रूप से संतुष्ट पाये गये हैं अधिकांष स्कूल की व्यवस्था से पूर्णतः हैं इसका कारण यह है कि दो नये स्कूल खुले हैं एवं पुराने स्कूल का जीर्णाेद्धार किया गया है

        न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 52.3 प्रतिषत आंगनबाड़ी की व्यवस्था से पूर्णतः संतुष्ट पाये गये हैं जबकि निम्न 11.2 प्रतिषत संतुष्ट नहीं एवं 36.4 प्रतिषत आंषिक रूप से संतुष्ट पाये गये हैं क्योंकि नये-नये आंगनबाड़ी खोले गये हैं एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा षिषुवती एवं किषोरी गर्भवती महिलाओं के पूरक पोषण आहार को पर्याप्त मात्रा में दिये जाते हैं

        न्यादर्ष परिवार में ष्मषान घाट की व्यवस्था से अधिकांष 50.3 प्रतिषत पूर्णतः संतुष्ट पाये गये जबकि निम्न 10.5 प्रतिषत संतुष्ट नहीं एवं 39 प्रतिषत आंषिक रूप से संतुष्ट पाये गये हैं

        न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 51.6 प्रतिषत सांस्कृतिक भवन की व्यवस्था से पूर्णतः संतुष्ट पाये गये हैं जबकि 5.2 प्रतिषत संतुष्ट नहीं एवं 43 प्रतिषत आंषिक रूप से संतुष्ट पाये गये हैं इसका कारण यह है कि वर्तमान में कोई नुक्कड़ नाटक समाज सुधार से संबंधित जैसे परिवार नियोजन से इत्यादि संबंधित जानकारी बहुत कम दिये जाते हैं

        न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 59.6 प्रतिषत सामुदायिक भवन की व्यवस्था से पूर्णतः संतुष्ट पाये गये हैं इसका कारण यह है कि अलग-अलग समाज के अलग-अलग सामुदायिक भवन बनाये गये हैं जबकि मात्र 0.6 प्रतिषत संतुष्ट नहीं एवं 39.7 प्रतिषत आंषिक रूप से संतुष्ट पाये गये हैं

        न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 40.3 प्रतिषत गौठान की व्यवस्था से आंषिक रूप से संतुष्ट पाये गये हैं जबकि 29.8 प्रतिषत पूर्णतः एवं संतुष्ट नहीं पाये गये हैं इसका कारण यह है कि कुछ गौठानों में सीमेंटीकरण नहीं किया गया जिससे बारिष के मौसम में कीचड़ हो जाते हैं

        न्यादर्ष परिवार में कांजीहाउस की व्यवस्था से अधिकांष 43 प्रतिषत पूर्णतः संतुष्ट पाये गये हैं जबकि 28.4 प्रतिषत आंषिक रूप से एवं संतुष्ट नहीं पाये गये हैं इसका कारण यह है कि एक कांजीहाउस का पुननिर्माण किया गया है जबकि अन्य कांजीहाउस जर्जर स्थिति में हंै

        न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 60.9 प्रतिषत नालियों की व्यवस्था से आंषिक रूप से संतुष्ट पाये गये हैं जबकि निम्न 11.2 प्रतिषत संतुष्ट नहीं एवं 27.8 प्रतिषत पूर्णतः संतुष्ट पाये गये हैं इसका कारण यह है कि गलियों में किये गये नाली निर्माण में कुछ मोहल्ले की नालियाँ बहुत छोटी एवं सकरी बनाई गई है एवं साफ-सफाई एवं दवाई छिड़काव का कार्य भी नहीं किया जाता है

        न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक 46.3 प्रतिषत तालाब की व्यवस्था से संतुष्ट पाये गये जबकि निम्न 17.8 प्रतिषत संतुष्ट नहीं एवं 35.7 प्रतिषत आंषिक रूप से संतुष्ट पाये गये हैं इसका कारण यह है कि अधिकांष तालाबों में घेराव या पचरीकरण किया जा चुका है जबकि कुछ तालाबों में घेराव पचरीकरण नहीं किया गया है

        न्यादर्ष परिवार में सर्वाधिक सी. सी. रोड निर्माण कार्य में 56.9 प्रतिषत पूर्णतः संतुष्ट पाये गये हैं जबकि निम्न 2.6 प्रतिषत संतुष्ट नहीं एवं 40.3 प्रतिषत आंषिक रूप से संतुष्ट पाये गये हैं इस प्रकार अधिकांष सी. सी. रोड निर्माण कार्य से संतुष्ट पाये गये हैं क्योंकि बारिष के मौसम में गलियों एवं छोटी सड़कों में कीचड़ नहीं होते हैं

 

 

 

निष्कर्ष एवं सुझाव

इस प्रकार हम कह सकते है कि पिछले 5 वर्षों में ग्राम विकास के कार्य हुए हैं और अधिकांषतः ग्रामीण इन विकास कार्यों से संतुष्ट पाये गये हैं हालांकि कुछ-कुछ विकास कार्यों में और सुधार की गुंजाइष है जैसे ष्ष्मषान घाट में लोगों के लिए रोड निर्माण ताकि बारिष एवं धूप के मौसम में लोगों को असुविधा हो नालियों की साफ-सफाई एवं दवाइयों का छिड़काव समय समय पर पंचायतों द्वारा कराई जाये स्कूल में योग्य एवं अनुभवी पंचायत षिक्षक की व्यवस्था करें कांजीहाउस का मरम्मत कार्य किये जाये कुछ गौठान में सीमेंटीकरण नहीं हुआ है अतः सीमेंटीकरण किया जाये

 

संदर्ष ग्रंथ

1.      अग्रवाल, दिनेश एवं कविता(2005). ’’मध्यप्रदेश का सर्वांगीण विकास’’(ग्रामीण मध्यप्रदेश मे रोजगार के नवीन अवसरो के विशेष संदर्भ मे) .शोध उपक्रम, पेज नं. 20-24

2. बाजपेयी, शरदचन्द्र (2015). देष के आर्थिक विकास में पंचवर्षीय योजनाओं की भूमिका, त्मेमंतबी क्पहमेजए अवसण्09 प्ैैछण्0973.6387 व्बजण्डंत 2015 चंहम दवण्65.68

3ण् भदाैिरया, सुरजीत सिंह (2013). पंचायती राज मे महिला नेतृत्व एवं परिवर्तन, शोध उपक्रम, अंक-35, पेज नं. 109-112

4. बिंदल, के.के., एवं जोशी, विनोद (2013). ग्रामीण विकास की रणनीति का सिंहलोकन, एंडू जंक्सन,  जनवरी-मार्च 2013, पेज नं. 1618

5. चन्द्राकर, .पी. एवं रजतलाल, सी. (2013). ‘‘गा्रमीण विकास में स्व-सहायता समूह का योगदान एक अध्ययन‘‘ प्दजण्त्मेण्श्रण्स्ंइ जव संदकए 2013 प्ैैछण्

0975.282गए च्ंहम दवण्752.754

6ण् चैहान, जयश्री (2007). ‘‘पंचायतीराज व्यवस्था मे महिला नेतृत्व की भूमिका‘‘ शोध प्रबंध, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर,(..)

 

 

 

 

Received on 25.08.2018                Modified on 12.10.2018

Accepted on 07.11.2018            © A&V Publications All right reserved

Int. J. Ad. Social Sciences. 2018; 6(4):182-186.