ग्रंथालयों में उपयोगकर्ता शिक्षण: एक अध्ययन
(User Education in Library: A Study)
संतू राम कश्यप
वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक, ग्रँथालय एवं सूचना विज्ञान अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर
सारांश-
प्रस्तुत आलेख ग्रँथालय उपयोगकर्ता शिक्षण पर आधारित हैए जिसके अंतर्गत इनके आवश्यकताओं, ग्रंथालयों में नयी-नयी तकनीकों का प्रयोग तथा ग्रंथालयों में ई-संसाधनों का संग्रह एवं उपयोग के बारे में बताया गया है! साथ ही उपयोगकर्ता शिक्षण की विभिन्न्ा विधियों के बारे में जैसे भाषण विधि, ग्रंथालय भ्रमण विधि, मुद्रित पुस्तके, ग्रंथालय मुखी सप्ताह तथा दृश्य श्रब्य सामग्री इत्यादि विधियों के बारे में बताया गया है! अंत में इनकी लाभ एवं हानि के बारें में चर्चा की गयी है प्रस्तुत आलेख से यह निष्कर्ष निकलता है कि उपयोगकर्ता शिक्षण द्वारा ग्रंथालयों के संसाधनों एवं सेवाओं का लाभ पाठकों तक पहुंचाया जा सकता है!
शब्दकुंजी - ग्रंथालय, उपयोगकर्ता शिक्षण
परिचय -
किसी भी ग्रँथालय की पहचान उनकी विशाल संग्रह एवं सेवाओं से होती है, लेकिन विशाल का संग्रह होना ही काफी नही है, बल्कि उनका उपयोग होना भी आवश्यक है, तभी संग्रह एवं सेवाओं की महत्ता शाबित होती है। इसी परिपेक्ष्य में ग्रँथालय द्वारा पाठकों को प्रदान की जाने वाली उपयोगकर्ता शिक्षण ; बहुत ही उपयोगी शाबित होती है। जिसके माध्यम से पाठ्कों को व्यक्तिगत तथा सामूहिक रुप से ग्रँथालय वर्गीकरण एवं सूचीकरण व्यवस्था से लेकर ग्रँथालय संग्रह ; का कैसे बेहतर उपयोग करना है इत्यादि से संबंधित जानकारियाँ प्रदान की जाती है।
परिभाषा ; - विभिन्न विद्वानों ने उपयोगकर्ता शिक्षण को अलग-अलग ढंग से परिभाषित किया है, जिसमें उन्होने बताया है कि इस शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य ग्रँथालय संग्रह में उपलब्ध सभी प्रकार के सामग्रियों का अधिकतम एवं सही उपयोग कराना होता है।
म्युज के अनुसार - ‘‘पुस्तकालय के अच्छे उपयोग के लिए पाठक को सहायता देने में जो निर्देश दिये जाते है, उसे उपयोगकर्ता शिक्षण कहते है।’’
नैन्सी प्यालब्राँट एवं इयान मैली के अनुसार - ‘‘ उपयोगकर्ता शिक्षण सम्पूर्ण सूचना व प्रसार कार्य से सम्बंधित है। यह एक निरंतर चलने वाला कार्य है जो विद्यालय एवं सार्वजनिक पुस्तकालय से आरंभ होता है, तथा शैक्षणिक एवं विशिष्ट पुस्तकालय तक जाता है।’’
जैम्स टेक्टलियान के अनुसार - ‘‘उपयोगकर्ता शिक्षण में ऐसे किसी भी प्रयत्न और प्रोग्राम को सम्मिलित मानना चाहिए जिनका उद्देश्य विद्यमान एवं संभावी उपयोगकर्ताओं को सूचना की आवश्यकताओं को पहचाननें एवं निरुपण करनें तथा सूचना सेवाओं के कुशल एवं प्रभावी उपयोग तथा मूल्यांकन करने में मार्गदर्शन एवं निर्देश देना होता है।’’
उपयोगकर्ता शिक्षण ग्रँथालय संग्रह के श्रेष्ठतम उपयोग हेतु आवश्यक मानी गई है। ताकि उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं एवं मांग की पूर्ति की जा सके। उपयोगकर्ता शिक्षण की आवश्यकता के प्रमुख कारण निम्न लिखित है:-
1. साहित्य विस्फोट - ज्ञान के क्षेत्र में प्रतिदिन विभिन्न विषयों पर नये नये शोध कार्य हो रहे है, जिसके कारण अधिकाधिक साहित्यों के प्रकाशन से साहित्य विस्फोट की स्थिति निर्मित हो गई है। परिणाम स्वरुप साहित्य विस्फोट से ग्रँथालयों के सग्रह में वृद्धि हुई है। इस वजह से उपयोगकर्ता शिक्षण की आवश्यकता है।
2. ग्रँथालयों में नई-नई टेक्ना लाँजी का प्रयोग - सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रादुर्भाव से ग्रंथालयों द्वारा वर्गीकरण सूचीकरण व्यवस्थापन सेवाओं तथा इलेक्ट्राँनिक संसाधनों के संग्रह के लिए टेक्नाॅलाजी का प्रयोग किये जा रहे है, जिसे पाठकों को समझना आवश्यक है।
3. अध्यापन विधि में परिवर्तन - समय के साथ अध्यापन विधि में काफी परिवर्तन आया है, जैसे - नोट्स तैयार करना, शोध परियोजना, सेमीनार प्रस्तुत करना, लघु शोध प्रबंध तथा शोध प्रबंध तैयार करना इत्यादि, इस कारण से ग्रंथालय का उपयोग काफी हद तक बढ़ गया है। अतः विद्यार्थियों की सूचना सम्बंधी मांग को पूरा करने हेतु उपयोगकर्ता शिक्षण अनिवार्य है।
4. सीमित वित - वर्तमान समय में प्रत्येक ग्रंथालय वित्तीय सीमितता के संकट से गुजर रहें है। परिणाम स्वरुप लगातार ग्रंथालयों में कर्मचारियों की संख्या में कमी आ रही है। इस वजह से पाठकों को उतनी सहायता नही दे पा रहे है। जितना उनको देना चाहिए। अतः पाठक अपनी अध्ययन सामग्रियों को स्वंय खोज सके इस कारण से उपयोगकर्ता शिक्षण की आवश्यकता है।
5. पाँच सूत्रों की परिपालन हेतु - डा . रगांनाथन द्वारा प्रतिपादित पाॅच सूत्र, पुस्तकें उपयोगार्थ है, प्रत्येक पाठक को पुस्तक मिले, प्रत्येक पुस्तक को पाठक मिले, पाठकों की समय की बचत हो तथा ग्रँथालय एक वर्धनशील संस्था है। इत्यादि के परिपालन हेतु उपयोगकर्ता शिक्षण उपयोगी शाबित होती है।
6. पाठकों की संख्या में वृद्धि - पिछले कुछ वर्षो से एक तरफ पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई है, वही दूसरी ओर कर्मचारियों की संस्था में कमी आयी है, परिणाम स्वरुप पाठकों की समस्याओं का समाधान उस गति से नही हो रहा है, जिस गति से होना चाहिए। अतः उपयोगकर्ता शिक्षण अति आवश्यक है।
7. ग्रंथालयों में ई. संसाधनों का संग्रह एवं उपयोग - आधुनिक ग्रंथालयों द्वारा लगातार ई. संसाधनों को संग्रह में शामिल कर रहें है, लेकिन पाठक इनसे अपरिचित होते है, जो पाठकों एवं कर्मचारियों के लिए एक समस्या मूलक कार्य है।
उपयोगकर्ता शिक्षण का उद्देश्य
1. उपयोगकर्ता शिक्षण का मुख्य उद्देश्य पाठकों को ग्रँथालय का कुशल उपयोगकर्ता बनाना है।
2. पाठकों को ग्रँथालय संग्रह में से अभिष्ट सूचना एवं साहित्य खोजने के लिए सक्षम बनाना।
3. पाठकों की समय बचत कराना।
4. पाठकों को स्वावलंबी बनाना।
5. पाठकों को ग्रँथालय संसाधनों एवं सुविधाओं ;थ्ंबपसपजपमेद्ध का पूर्ण उपयोग कराना।
6. पाठकों को ग्रँथालय के उन कर्मचारियों से परिचय कराना जो उन्हे पाठ्य सामग्रियों के उपयोग में लगातार मदद करता है।
7. उपयोगकर्ता शिक्षण के द्वारा ग्रँथालय के विभिन्न विभागों के साथ-साथ वर्गीकरण एवं सूचीकरण व्यवस्थापन के बारे में जानकारी देना।
उपयोगकर्ता शिक्षण की विधिया
उपयोगकर्ता शिक्षण की कई विधियाँ है, जिनमें कुछ प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित है। -
1. भाषण विधि - उपयोगकर्ता शिक्षण की प्राचीन एवं सरल विधि है जिसके अन्तर्गत पाठकों की एक बड़े समूह को व्याख्यान द्वारा ग्रँथालय के कार्यपद्धति तथा संग्रह से अवगत कराया जाता है। जिससे पाठको को ग्रँथालय के बारे में सामान्य जानकारी मिलती है।
2. ग्रँथालय भ्रमण विधि - उपयोगकर्ता शिक्षण की यह एक प्रभावी विधि है, जिसके अन्तर्गत पाठकों के छोटे-छोटे समूहों को ग्रँथालय कर्मचारी द्वारा विभिन्न विभागों तथा उस विभाग द्वारा दी जाने वाली सेवाएँ संग्रह व्यवस्था, वर्गीकरण तथा सूचीकरण व्यवस्था से सम्बंधित जानकारियाँ प्रदान की जाती है। साॅथ ही भ्रमण के दौरान ग्रँथालय संसाधनों तथा सेवाओं के बारे में पाठकों को प्रभावशाली ढंग से बताते हुए उन्हें उपयोग के लिए प्रोत्साहित करते हुए उनके रुचि से सम्बंधित पुस्तकें, सी.डी. तथा प्रोजेक्ट कार्य से भी अवगत कराया जाता है।
3. मुद्रित पुस्तकाएँ - सामान्य रुप से ग्रँथालयों द्वारा प्रचार सामग्री के रुप में मुद्रित पुस्तकाएँ प्रकाशित की जाती है, जिसे ग्रँथालय हस्तपुस्तिका या लाइब्रेरी मैनुअल के नाम से जाना जाता है। जिसमें ग्रँथालय की सामान्य परिचय, वर्गीकरण सूचीकरण व्यवस्था, नियमावली कर्मचारियों की स्थिति से लेकर संग्रह, सेवाओं तथा सुविधाओं के बारे में जानकारियाॅ होती है। इस प्रकार इसका मुख्य उद्देश्य पाठकों को ग्रँथालय से परिचित कराना होता है, जिसे पाठक पढ़कर ग्रँथालय का अधिकतम उपयोग कर सकें।
4. ग्रँथालमुखी सप्ताह - उपयोगकर्ता शिक्षण की यह भी एक व्यवहारिक एवं प्रभावशाली विधि है। इस विधि के अन्तर्गत वर्ष या सत्र् के प्रारंभ में एक सप्ताह तक पाठकों को ग्रँथालय कार्य प्रणाली से परिचय कराया जाता है। ग्रँथालय प्रणाली को समझने के लिए पाठकों को सर्वप्रथम सप्ताह के आरंभ में ग्रँथालय हस्तपुस्तिका या लाइब्रेरी मैनुअल प्रदान की जाती है। तत्पश्चात सप्ताह के अलग-अलग दिनों में अलग-अलग विभागों के अध्यक्षों द्वारा अपने विभागों के बारे में जानकारियाॅ दी जाती है।
5. दृश्य श्रब्य सामग्री विधि - वर्तमान तकनीकी युग में दृथ्य श्रब्य सामग्री विधि उपयोगकर्ता शिक्षण की एक महत्वपूर्ण विधि शाबित हुई है। इस विधि के अन्तर्गत फिल्म, विडियो कैसेट, सी.डी., डी.वी.डी. तथा विडियो टेप के माध्यम से ग्रँथालय के परिचय से लेकर संग्रह सेवाओं, सुविधाओं, सूचीकरण तथा वर्गीकरण व्यवस्थापन इत्यादि से सम्बंधित जानकारियाँ प्रदान की जाती है।
विभिन्न प्रकार के ग्रँथालयों में उपयोगकर्ता शिक्षण
सामान्य रुप से ग्रँथालय के तीन प्रकार होते है, जो निम्नलिखित है।
1. सार्वजनिक ग्रँथालय
2. शैक्षणिक ग्रँथालय
3. विशिष्ट ग्रँथालय
उपरोक्त तीनों प्रकार के ग्रँथालयों के संग्रह, पाठकों स्तर, सेवाएँ, तथा ग्रँथालय कर्मचारियाँ सभी भिन्न भिन्न प्रकार के होते है। उपयोगकर्ता शिक्षण को अलग-अलग ग्रँथालयों में इस प्रकार से स्पष्ट की जा सकती है।
1. सार्वजनिक ग्रँथालयों में उपयोगकर्ता शिक्षण - सार्वजनिक ग्रँथालय एक सामाजिक संस्था होती है, जिसे सामाज के हित में स्थापित किया जाता है। इस प्रकार के ग्रँथालयों के द्वारा अधिक से अधिक लोंगों को सेवाएँ प्रदान कर शिक्षित किया जाता है। यह ग्रँथालय बिना किसी जाति, सम्प्रदाय, राष्ट्रीयता, लिंग, रंग, आयु, भाषा तथा भेदभाव के सभी वर्गों को सेवाएँ प्रदान करती है। सार्वजनिक ग्रँथालय में उपयोगकर्ता शिक्षण के अन्तर्गत पाठकों को विभिन्न विभागों के साथ साथ गँरथालय में संग्रहित पाठ्य सामग्रियों (पुस्तकें) के चयन तथा व्यवस्थापन के बारे में जानकारी दी जाती है।
2. शैक्षणिक ग्रँथालयों में उपयोगकर्ता शिक्षण शैक्षणिक ग्रँथालय शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े हुए होते है, जिसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को सेवा प्रदान करते हुए शैक्षणिक संस्थाओं के उद्देश्यों को प्राप्त करना होता है।
वर्तमान समय में महाविद्यालयीन एवं विश्वविद्याालयीन ग्रँथालयों में उपयोगकर्ता शिक्षण कार्यक्रम आवश्यकता अनिवार्य हो गई है। इसके कारण निम्नलिखित है। -
जब से महाविद्यालयीन एवं विश्वविद्यालयीन शिक्षण विधि में परिवर्तन आया है, तब से विद्यार्थियों को नोट्स बनाना, एसाईमेन्ट तैयार करना, सेमीनार प्रेजेन्ट करना तथा प्रोजेक्ट वर्क करना पड़ता है। इस हेतु उन्हें संदर्भ पुस्तकों से लेकर शोध पत्रिकाओं एवं पाठ्य पुस्तकों की आवश्यकता पड़ती है। अत: उपयोगकर्ता शिक्षण आयोजित करना ग्रँथालय कर्मचारियों के लिए आवश्यक हो गया है।
आज कल एक तरफ सीमित बजट तथा दूसरी तरफ कर्मचारियों की कमी से ग्रँथालय जुझ रहा है। परिणामस्वरुप पाठकों को उतनी सहायता नही दे पा रहें हैं। जितनी उनको मिलनी चाहिए। ऐसी स्थिति में पाठकों को स्वयं अपनी सूचना सामग्री ढूढ़ना पड़ता है। अत: उपयोगकर्ता शिक्षण आवश्यक है।
3. विशिष्ट ग्रँथालयों में उपयोगकर्ता शिक्षण - विशिष्ट ग्रँथालय विशिष्ट विषय तथा विशिष्ट प्रकार के पाठकों से सम्बंधित होते है। इस प्रकार के ग्रँथालयों में पाठकों को विशिष्ट विषय पर विस्तृत एवं गहन जानकारी की आवश्यकता होती है। अतः ऐसे पाठकों के लिए उपयोगकर्ता शिक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होती है। जिसके माध्यम से ग्रँथालय संग्रह एवं सेवाएँ जैसे - सारकरण एवं अनुक्रमणीकरण सेवा - अनुवाद सेवा फोटोकापी सेवा सामायिक अभिग्यता एवं चयनित प्रसार सूचना सेवा तथा कम्पयुटरीकृत सेवाओं के बारे में जानकारी दी जाती है।
उपयोगकर्ता शिक्षण के लाभ
उपयोगकर्ता शिक्षण के लाभ निम्नलिखित है -
1. ग्रँथालय संग्रह एवं सेवाओं के अधिकतम उपयोग में सहायक।
2. पाॅच सूत्रों के परिपालन में सहायक।
3. पाठकों की समय बचत कराना।
4. पाठकों को ग्रँथालय से अघतन रखने में सहायक।
5. पाठकों को अभिष्ट पुस्तक या सूचना खोजने में समर्थ बनाना।
6. पाठकों के ग्रँथालय से सम्बंधित समस्याओं के समाधान में सहायक।
7. ग्रँथालय के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक।
उपयोगकर्ता शिक्षण की दोष
1. यह खर्चीली कार्य है।
2. पाठक अगर लगातार प्रति दिन ग्रँथालय जाते है, तो ग्रँथालय संग्रह एवं सेवाओं से ऐसे ही परिचित हो जाते है, तो उपयोगकर्ता शिक्षण देने की आवश्यकता क्यों है।.
निष्कर्ष
किसी भी प्रकार के ग्रँथालयों का प्रमुख उद्देश्य संग्रह एवं सेवाओं का भरपुर उपयोग कराना होता है। इसी तारतम्य में उपयोंगकर्ता शिक्षण की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण शाबित होती है, क्योंकि इसके माध्यम से पाठकों को संग्रहित सामग्रियों से लेकर उनके व्यवस्थापन तथा चयन के सम्बंध में जानकारी प्रदान की जाती है। अतः प्रत्येक ग्रँथालयों द्वारा उपयोंगकर्ता शिक्षण को अनिवार्य रुप से अपनाना चाहिएॅ।
संदर्भ
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Received on 10.02.2018 Modified on 22.04.2018
Accepted on 28.04.2018 © A&V Publication all right reserved
Int. J. Ad. Social Sciences. 2018; 6(3): 155-159.