छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज
(नगरी विकासखण्ड के ग्राम पंचायत केरेगाँव के संदर्भ में)
डाॅ. बी. एल. सोनेकर1, कु. वंदना ध्रुव2
1सहप्रध्यापक अर्थशास्त्र, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)
2शोध छात्रा अर्थशास्त्र, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)
सारांश-
प्राचीन काल से ही पंचायतें हमारे सामाजिक, राजनैतिक व्यवस्था का अंग रही है। संविधान के 73वें संशोधन द्वारा पंचायती राज व्यवस्था को सभी राज्य में अनिवार्य रूप से लागू करने का प्रावधान किया गया है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य से ग्रामीण विकास की नीतियों का मूल्यांकन करना और उन पर पुनर्विचार करना आवश्यक हो गया है, क्योंकि सरकार द्वारा ग्रामीण विकास हेतु अनेक योजनाएँ संचालित किया जा रहा है। इसी आधार पर वर्तमान अध्ययन नगरी विकासखण्ड के ग्राम पंचायत केरेगांव का किया गया है, जिसमें उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कुल 114 परिवारों का चयन किया गया है तथा साक्षात्कार अनुसूची के माध्यम से आंकड़ों का संकलन किया गया है एवं आंकड़ों के विश्लेशण के लिए प्रतिशत विधि का प्रयोग किया गया है जिसमें चयनित परिवारों के सामाजिक, आर्थिक स्थिति के अन्तर्गत आयु, जाति, शिक्षा एवं वैवाहिक स्थिति शामिल है तथा पंचायती राज द्वारा संचालित योजनाओं के माध्यम से रोजगार योजना के अन्तर्गत अधिकाधिक लोग मनरेगा से लाभान्वित हुए एवं अधिकांश लोगों के घरों में सरकारी शौचालय की व्यवस्था है तथा खाद्यान्न योजना से भी 100 प्रतिशत लोग लाभान्वित हुए हैं तथा आवास योजना का लाभ ज्यादातर परिवारों को नहीं मिल पाया है इस प्रकार सरकार द्वारा संचालित पंचायती राज व्यवस्था द्वारा क्रियान्वित कार्यक्रमों का ग्रामीण विकास पर अधिकाधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
शब्दकुंजी - ग्रामीण विकास, पंचायती राज
भूमिका
भारत गांवों का देश है। जिस देश की आत्मा गांवों में निवास करती है वहाँ पंचायती राज के नाम से प्रसिद्ध ग्रामीण स्थानीय शासन का महत्व सर्वविदित है। इसके द्वारा ही शक्ति का विकेन्द्रीकरण करके निम्न स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्थापना की जाती है। देश के नागरिकों में राजनीतिक चेतना के प्रसार व लोकतंत्र के लिए वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण कार्य भी इन्हीं स्थानीय संस्थाओं के द्वारा किया जाता है। हमारे संविधान निर्माता भी इस तथ्य से भली-भाँति परिचित थे इसलिए उन्होंने ‘‘राज्य के नीति निर्देशक तत्वों’’ के अन्तर्गत संविधान के ‘‘भाग-4’’ में ‘‘अनुच्छेद 40’’ के अन्तर्गत राज्यों को यह निर्देश दिया कि ‘‘राज्य ग्राम पंचायतों के निर्माण के लिए कदम उठाएगा और उन्हें इतनी शक्ति व अधिकार प्रदान करेगा जिससे कि वे ग्राम पंचायत स्वशासन की इकाई के रूप में कार्य कर सके।
‘‘हमारा भारत वर्श गांवों में बसता है गांव हमारी संस्कृति के केन्द्र स्थान है जब तक भारत में लगभग सवा पाँच लाख गांव उन्नत स्वावलंबी और समृद्धिशाली न होंगे, जब तक यहां के अविद्या का अधिकार, दरिद्रता का दानव और ऊँच-नीच का भेदभाव नश्ट न होगा। तब तक स्वतंत्रता अथवा स्वराज का भारत के लिए कोई मूल्य नहीं है।’’
- महात्मा गाँधी
पंचायती राज को क्रियान्वित करने के विशय में प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने कहा था -
‘‘पंचायती राज द्वारा गांव के लोग आत्मनिर्भर व आत्मविश्वासी बन जाएंगे। इस क्रांति से गांवों की शक्ति बढ़ेगी और ग्राम वासियों को नया जीवन मिलेगा और इन्हीं से नए भारत का निर्माण होगा।’’
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् सत्ता विकेन्द्रीकरण की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम पंचायती राज की स्थापना का रहा है। राजस्थान वह पहला राज्य है जिसे देश में सर्वप्रथम पंचायती राज की स्थापना का गौरव प्राप्त है। 2 अक्टूबर 1959 को गांधी जयंती के अवसर पर स्वर्गीय पं. जवसामाजिक एवं आाहर लाल नेहरु द्वारा नागौर में द्वीप प्रज्जवलित कर पंचायती राज की स्थापना की गई। ग्रामीण भारत के लिए पंचायती राज ही एक मात्र उपयुक्त योजना है। पंचायत ही हमारे राश्ट्रीय जीवन की रीढ़ है।
छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था ‘‘छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम’’ के तहत इसकी स्थापना 1 नवम्बर 2000 से ही मध्य प्रदेश के समान ग्राम्य स्तर जनपद स्तर और जिला स्तर के रूप में स्वीकार कर ली गई।
ग्रामीण विकास का अर्थ
ग्रामीण विकास एक लचीली अवधारणा है जिसका उद्देश्य ग्रामीण विकास को प्राथमिकता देना है इसके अन्तर्गत कृशि विकास, ग्रामीण गृह निर्माण, ग्रामीण योजना, स्वास्थ्य, शिक्षा, संचार, सामाजिक व आर्थिक ढाँचे में परिवर्तन आदि बातें सम्मिलित है। ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के एक प्रकाशन के अनुसार ‘‘ग्रामीण विकास एक व्यापक संकल्पना है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के रहन-सहन के स्तर में सुधार लाने के सभी पहलू शामिल है यह लोगों की उन्नति और प्रभावी सामाजिक परिवर्तन दोनों पर लागू होता है।
पंचायती राज का आशय
पंचायती राज संगठन की सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायत है। इसके ऊपर खण्ड स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिशद् होती है। इस त्रिस्तरीय संरचना में ग्राम पंचायत के लिए सरपंच व पंचों का चुनाव गांव के व्यस्क व्यक्तियों द्वारा गुप्त मतदान से किया जाता है। उप सरपंच का चुनाव ग्राम पंचायती राज के निर्वाचित सदस्यों द्वारा होता है। सरपंच ग्राम पंचायत का प्रमुख व्यक्ति एवं पंचायत समिति का पदेन सदस्य होता है इसके बाद पंचायत राज का खण्ड स्तरीय संगठन पंचायत समिति है। प्रत्येक विकासखण्ड में जितनी ग्राम पंचायतें होती है उनके ऊपर एक पंचायत समिति होती है।
अध्ययन का उद्देश्य
1ण् न्यादर्श परिवारों की सामाजिक एवं आर्थिक संरचना का मूल्यांकन करना जिसके अन्तर्गत आयु, जाति, शिक्षा एवं वैवाहिक स्थिति शामिल है।
2ण् पंचायती राज द्वारा ग्रामीण विकास हेतु संचालित शासकीय योजनाओं का ग्रामीण विकास पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करना जिसके अन्तर्गत पेंशन योजना, रोजगार योजना, आवास योजना, शौचालय योजना एवं खाद्यान्न योजना सम्मिलित है।
शोध परिकल्पना
1ण् ग्रामीण विकास में ग्राम पंचायतों के योगदान से सार्थक प्रभाव पड़ता है।
2ण् ग्रामीण विकास हेतु संचालित शासकीय योजनाओं का ग्रामीण विकास पर धनात्मक प्रभाव पड़ता है।
शोध प्रविधि
आंकड़ों का संकलन:- प्रस्तुत शोध प्राथमिक व द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित होगा। जो वर्श 2012-13 से 2016-17 के शासकीय योजनाओं का अध्ययन किया गया है न्यादर्श पंचायत में संचालित योजनाओं का ग्रामीण विकास मंे पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया गया है।
(1) प्राथमिक आंकड़ों का संकलन - चयनित न्यादर्श ग्राम पंचायत के ग्रामों के न्यादर्श परिवारों से प्रत्यक्ष साक्षात्कार अनुसूची के माध्यम से किया गया है।
(2) द्वितीयक आंकड़ों का संकलन - प्रस्तुत लघु शोध प्रबंध में द्वितीयक समंकों का भी उपयोग किया गया है द्वितीयक समंकों के संकलन के लिए शासकीय एवं अर्द्धशासकीय संस्थाओं द्वारा प्रकाशित विभागीय प्रतिवदेनों, पत्र-पत्रिकाओं तथा इंटरनेट का प्रयोग किया गया है।
अध्ययन का विश्लेशण:- आंकड़ों का विश्लेशण करने के लिए सांख्यिकीय तकनीकों का प्रयोग जैसे - सारणीयन, रेखाचित्र, आरेख, प्रतिशत विधि आदि के माध्यम से किया गया है।
1. आयु वर्गानुसार विवरण
तालिका क्र. 1 आयु वर्गानुसार न्यादर्श परिवारों का विवरण
क्र. ग्राम कुल न्यादर्श परिवार आयु समूह
0.15 16.30 31.45 46.60 61 से अधिक
1 रायपारा 45 0 5 18 12 10
2 कुरमाझर 8 0 1 2 4 1
3 नाथूकोन्हा 11 0 0 3 1 7
4 केरेगांव 38 0 8 14 13 3
5 जामपानी 12 0 2 6 2 2
योग 114 0 16 43 32 23
प्रतिशत 100 0 14ण्03 37ण्71 28ण्07 20ण्17
स्त्रोत:- व्यक्तिगत सर्वेक्षण पर आधारित
न्यादर्श परिवारों की आयु वर्गानुसार विवरण तालिका क्र. 4.1 में दिखाया गया है। तालिका से स्पश्ट है कि सर्वाधिक (37.7 प्रतिशत) उत्तरदाताओं की संख्या 31 से 45 आयु वर्ग के हैं। सबसे कम (14.03 प्रतिशत) उत्तरदाताओं की संख्या 16 से 30 आयु वर्ग के हैं तथा 46 से 60 आयु वर्ग के उत्तरदाताआंे का प्रतिशत (28.07 प्रतिशत) एवं (20.17 प्रतिशत) उन लोगों का है जिनकी उम्र 61 से अधिक है।
2. जाति के आधार पर विवरण
तालिका 2 जाति के आधार पर न्यादर्श परिवारों का विवरण
क्र. ग्राम कुल न्यादर्श परिवार जाति
अ.जा. अ.ज.जा. अ.पि.व. सामान्य
1 रायपारा 45 1 39 5 0
2 कुरमाझर 8 0 8 0 0
3 नाथूकोन्हा 11 0 10 1 0
4 केरेगांव 38 13 19 6 0
5 जामपानी 12 0 12 0 0
योग 114 14 76 12 0
प्रतिशत 100 12ण्2 66ण्6 10ण्52 0
स्त्रोत:- व्यक्तिगत सर्वेक्षण पर आधारित
तालिका के अध्ययन से ज्ञात होता है कि कुल 114 न्यादर्श परिवारों में से 76 परिवार अनुसूचित जनजाति से संबंधित है जिसका प्रतिशत 66.6 है। इसके पश्चात् अनुसूचित जाति के लोग हैं जिसका प्रतिशत 12.2 है। और अन्य पिछड़ा वर्ग के अन्तर्गत 10.52 प्रतिशत लोग शामिल है। तथा सामान्य वर्ग के कोई भी उत्तरदाता नहीं पाया गया जिसका मुख्य कारण अनुसूचित जनजाति बाहुल क्षेत्र का होना है।
3. शैक्षणिक स्तर
तालिका 3 न्यादर्श परिवारों का शैक्षणिक स्तर का विवरण
क्र. ग्राम कुल न्यादर्श परिवार शैक्षणिक स्थिति शैक्षणिक स्तर
शिक्षित अशिक्षित प्र्राथ. माध्य. उच्च स्ना. स्नातको.
1 रायपारा 45 31 14 19 7 4 0 1
2 कुरमाझर 8 7 1 4 1 1 1 0
3 नाथूकोन्हा 11 10 1 7 1 2 0 0
4 केरेगांव 38 28 10 10 10 6 0 2
5 जामपानी 12 10 2 5 3 2 0 0
योग 114 86 28 45 22 15 1 3
प्रतिशत 100 75ण्43 24ण्56 39ण्4 19ण्2 13ण्1 0ण्87 2ण्6
स्त्रोत:- व्यक्तिगत सर्वेक्षण पर आधारित
तालिका के अवलोकन से ज्ञात होता है कि चयनित न्यादर्श 114 परिवारों की जनसंख्या जिसमें 75.43 प्रतिशत जनसंख्या शिक्षित एवं 24.43 प्रतिशत जनसंख्या अशिक्षित है। शिक्षित जनसंख्या में 39.4 प्रतिशत प्राथमिक स्तर तक शिक्षा ग्रहण किए हैं तथा 19.2 प्रतिशत माध्यमिक शिक्षा, 13.1 प्रतिशत उच्च माध्यमिक, 0.87 प्रतिशत स्नातक, 2.6 प्रतिशत स्नातकोत्तर की है। सर्वेक्षित परिवारों में 39.4 प्रतिशत जनसंख्या सबसे अधिक प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की है एवं सबसे कम परिवारों में स्नातक शिक्षा ग्रहण किए हैं।
4. वैवाहिक स्थिति
तालिका 4 न्यादर्श परिवारों के वैवाहिक स्थिति का विवरण
क्र. ग्राम कुल न्यादर्श परिवार न्यादर्श परिवारों की जनसंख्या
विवा. अविवा. विधवा विधुर परित्यक्ता
1 रायपारा 45 35 0 6 2 0
2 कुरमाझर 8 7 0 1 0 0
3 नाथूकोन्हा 11 11 0 0 0 0
4 केरेगांव 38 33 1 3 0 1
5 जामपानी 12 9 0 3 0 0
योग 114 95 1 13 2 1
प्रतिशत 100 83ण्3 0ण्87 11ण्4 1ण्75 0ण्87
स्त्रोत:- व्यक्तिगत सर्वेक्षण पर आधारित
अध्ययन किए गए आंकड़ों से स्पश्ट है कि कुल न्यादर्श परिवारों में से 83.3 प्रतिशत विवाहित तथा 0.87 प्रतिशत अविवाहित, 11.4 प्रतिशत, विधवा, 1.75 प्रतिशत विधुर एवं 0.87 प्रतिशत परित्यक्ता हैं। जिसमें सर्वाधिक उत्तरदाता विवाहित (83.3 प्रतिशत) तथा सबसे कम अविवाहित (0.87 प्रतिशत) एवं परित्यक्ता (0.87 प्रतिशत) हैं।
5. पंेशन योजना से संबंधित विवरण
तालिका क्रमांक 5 ग्राम पंचायत में संचालित पेंशन योजना के लाभ से संबंधित विवरण
क्र. ग्राम कुल न्यादर्श परिवार पेंशन योजना से लाभान्वित
हाँ नहीं
वृद्धा विधवा निःशक्त अन्य
1 रायपारा 45 1 4 0 1 39
2 कुरमाझर 8 0 1 0 0 7
3 नाथूकोन्हा 11 2 0 0 0 9
4 केरेगांव 38 3 3 1 1 80
5 जामपानी 12 2 2 0 0 8
योग 114 8 10 1 2 93
प्रतिशत 100 7ण्01 8ण्7 0ण्87 1ण्75 81ण्57
स्त्रोत:- व्यक्तिगत सर्वेक्षण पर आधारित
उपर्युक्त तालिका से स्पश्ट है कि चयनित न्यादर्श परिवारों में 81.57 प्रतिशत लोग पेंशन योजना से लाभांवित नहीं है तथा लाभांवित परिवारों में 7.01 प्रतिशत उत्तरदाता वृद्धा पंेशन, 8.7 प्रतिशत उत्तरदाता विधवा पेंशन, 0.87 प्रतिशत लोग निःशक्त पेंशन एवं 1.75 प्रतिशत लोग अन्य पेंशन योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।
6. रोजगार योजना से संबंधित विवरण
तालिका क्रमांक 6 रोजगार योजना के लाभ से संबंधित विवरण
क्र. ग्राम कुल न्यादर्श परिवार रोजगार योजना
हाँ नहीं
मनरेगा ग्राम सड़क
1 रायपारा 45 44 1 0
2 कुरमाझर 8 8 0 0
3 नाथूकोन्हा 11 11 0 0
4 केरेगांव 38 34 4 0
5 जामपानी 12 8 4 0
योग 114 105 9 0
प्रतिशत 100 92ण्1 7ण्8 0
स्त्रोत:- व्यक्तिगत सर्वेक्षण पर आधारित
तालिका से स्पश्ट है कि अध्ययन के लिए चयनित 114 न्यादर्श परिवारों में से 92.10 प्रतिशत उत्तरदाता मनरेगा तथा 7.8 प्रतिशत उत्तरदाता ग्राम सड़क योजना से लाभान्वित हुए।
7. आवास योजना के लाभ से संबंधित विवरण
तालिका क्रमांक 7 आवास योजना के लाभ से संबंधित विवरण
क्र. ग्राम कुल न्यादर्श परिवार लाभान्वित परिवार
हाँ नहीं
1 रायपारा 45 19 26
2 कुरमाझर 8 6 2
3 नाथूकोन्हा 11 2 9
4 केरेगांव 38 5 33
5 जामपानी 12 4 8
योग 114 36 78
प्रतिशत 100 31ण्57 68ण्42
स्त्रोत:- व्यक्तिगत सर्वेक्षण पर आधारित
तालिका से स्पश्ट है कि अध्ययन के लिए चयनित 114 न्यादर्श परिवारों में आवास योजना से लाभांवित परिवारों का प्रतिशत 31.57 है, तथा आवास योजना का लाभ जिन परिवारों को नहीं मिला उसका प्रतिशत 68.42 है।
8. शौचालय की व्यवस्था से संबंधित विवरण
तालिका क्रमांक 8 स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय की व्यवस्था से संबंधित विवरण
क्र. ग्राम कुल न्यादर्श परिवार शौचालय की व्यवस्था
हाँ नहीं
निजी सरकारी
1 रायपारा 45 0 45 0
2 कुरमाझर 8 0 8 0
3 नाथूकोन्हा 11 0 11 0
4 केरेगांव 38 0 38 0
5 जामपानी 12 1 11 0
योग 114 1 113 0
प्रतिशत 100 0ण्87 99ण्12 0
स्त्रोत:- व्यक्तिगत सर्वेक्षण पर आधारित
तालिका से स्पश्ट है कि अध्ययन हेतु चयनित 114 न्यादर्श परिवारों में शौचालय की व्यवस्था के अन्तर्गत सरकारी शौचालय 99.12 प्रतिशत तथा निजी शौचालय की व्यवस्था 0.87 प्रतिशत है।
स्पश्ट है कि सरकारी शौचालय से लाभांवित परिवारों का प्रतिशत (99.12) सर्वाधिक है।
9. खाद्यान्न योजना से संबंधित विवरण
तालिका क्रमांक 9 खाद्यान्न योजना के लाभ से संबंधित विवरण
क्र. ग्राम कुल न्यादर्श परिवार खाद्यान्न योजना से लाभान्वित
हाँ नहीं
1 रायपारा 45 45 0
2 कुरमाझर 8 8 0
3 नाथूकोन्हा 11 11 0
4 केरेगांव 38 38 0
5 जामपानी 12 12 0
योग 114 114 0
प्रतिशत 100 100 0
स्त्रोत:- व्यक्तिगत सर्वेक्षण पर आधारित
तालिका से स्पश्ट है कि अध्ययन हेतु चयनित 114 न्यादर्श परिवारों में खाद्यान्न योजना से लाभान्वित परिवारों का प्रतिशत 100 है जो मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना का लाभ ले रहे हैं।
निश्कर्श
1ण् कुल न्यादर्श परिवारोें में सर्वाािध्क (37.71ः) लोग 31 से 45 आयु वर्ग के हैं था सबसे कम (14.03ः) लोग 16 से 30 आयु वर्ग के हैं।
2ण् जाति के आधार पर न्यादर्श परिवारों का अध्ययन इस बात को स्पश्ट करता है कि सबसे अधिक 66.6 प्रतिशत लोग अनुसूचित जनजाति से संबंधित है, जिसका कारण अनुसूचित जनजाति बाहुल क्षेत्र का होना है। एवं अनु. जाति (12.2 प्रतिशत) तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (10.52 प्रतिशत) लोग पाए गए।
3ण् कुल न्यादर्श परिवारों की शैक्षणिक स्तर के अध्ययन से पाया गया कि सर्वाधिक (75.43 प्रतिशत) लोग शिक्षित हैं एवं 24.56 प्रतिशत लोग अशिक्षित हैं, जिसमें प्राथमिक शिक्षा का स्तर सर्वाधिक (39.4 प्रतिशत) है।
4ण् कुल न्यादर्श परिवारों में वैवाहिक स्थिति के अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि अधिकतर (83.3 प्रतिशत) लोग विवाहित हैं इसका कारण गांव में कम आयु में विवाह का होना पाया गया है।
5ण् कुल न्यादर्श परिवारों में पेंशन योजना से अधिकतर (68.57 प्रतिशत) लोग लाभान्वित नहीं हुए लाभान्वित (18.33 प्रतिशत) लोगों में सर्वाधिक (8.7 प्रतिशत) विधवा पेंशन योजना से लाभान्वित हुए।
6ण् कुल न्यादर्श परिवारेां में रोजगार योजना के अन्तर्गत सर्वाधिक (92.10 प्रतिशत) लोग मनरेगा से लाभान्वित हुए।
7ण् कुल न्यादर्श परिवारों में आवास योजना के अध्ययन से ज्ञात हुआ कि सर्वाधिक (68.42 प्रतिशत) लोग लाभान्वित नहीं हुए एवं 31.57 प्रतिश लोग लाभान्वित हुए हैं।
8ण् कुल न्यादर्श परिवारों में शौचालय की व्यवस्था के अध्ययन से ज्ञात हुआ कि सर्वाधिक (99.12 प्रतिशत) लोगों के घरों में सरकारी शौचालय की व्यवस्था है।
9ण् कुल न्यादर्श परिवारों में खाद्यान्न योजना के अध्ययन से यह निश्कर्श प्राप्त हुआ कि पूरे 100 प्रतिशत लोग खाद्यान्न योजना से लाभान्वित हैं।
सुझाव
1. पंचायत में नल-जल योजना लागू किया जाना चाहिए ताकि लेागों को पेयजल से संबंधित समस्याओं का सामना न करना पड़े।
2. उचित मूल्य की दुकानों से मिलने वाली वस्तुओं की गुणवत्ता में सुधार किया जाना चाहिए।
3. ग्राम पंचायत के सरकारी अस्पताल में उचित सुविधा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
4. सरपंच एवं पंचों के माध्यम से ग्राम पंचायत में संचालित योजनाओं से संबंधित जानकारी ग्रामीणों को दी जाने चाहिए।
5. बी.पी.एल. व ए.पी.एल. परिवारों की पहचान हेतु उचित व्यवस्था किया जाना चाहिए।
6. रोजगार कार्य के भुगतान राशि की समय अवधि सुनिश्चित किया जाना चाहिए। एवं सही समय में राशि उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
7. सरकारी शौचालय की गुणवत्ता में वृद्धि की जानी चाहिए।
8. ग्राम सभा में रखे प्रस्ताव को सरपंच के माध्यम से अधिकारियों तक पहुँचाया जाना चाहिए।
9. ग्राम पंचायत में शिक्षा स्तर में वृद्धि हेतु उच्च शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
10. ग्राम पंचायत में निःशुल्क प्रशिक्षण केन्द्र की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि ग्रामीण लोग इसका लाभ ले सके।
सन्दर्भ ग्रंथ सूची
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संगीता सिंह, ‘‘पंचायती राज एवं सरकारी योजनाएँ 2014 (प्ैठछ.978.81.929201.2.2)
राजिन्दर सिंह, ‘‘भारत में पंचायती राज प्रणाली एक विश्लेशण’’ जुलाई 2016, (प्ैठछ रू 2456.0553) पृ. क्र. 63-69
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हरि मोहन मीणा, ‘‘पंचायती राज संस्थानेां और उनके विकास: राजस्थान के संदर्भ में’’ शोध पत्रिका सितम्बर 2017, प्ैैछरू 2455.4197ए पृ.क्र. 3-4
Received on 11.03.2018 Modified on 19.04.2018
Accepted on 26.04.2018 © A&V Publication all right reserved
Int. J. Ad. Social Sciences. 2018; 6(3): 145-154.