राष्ट्र विकास में नारी की भूमिका वर्तमान संदर्भ में

 

Dr. K.P. Kurrey1, Dr. Vrinda sengupta2

1Asst. Prof. Sociology Department, T.C.L. Govt. P.G. College Janjgir

2Asst. Prof. Sociology Department, T.C.L.Govt. P.G. College Janjgir

 

शोधसारः

विकास राष्ट्र की नीव हैं। विकास के बिना राष्ट्र का विकास असंभव हैं। राष्ट्र और जीवन दोनो आधार विकास हैं। यदि हमे राष्ट्र के विकास को समझना हैं तो हमे राष्ट्रीयता के भाषा को प्रखर बनाना होगा।

 

शब्दकुंजी - राष्ट्र, विकास, राष्ट्रीयता, शिक्षा।

 

 

 

 

भारतीय समाज में नारी की भूमिकाः

नारी का सम्मान करना एवं उसके हितो की रक्षा करना हमारे देश की सदियों पुरानी संस्कृति हैं। यह एक विडम्बना ही हैं। कि भारतीय समाज में नारी की स्थिति अत्यंत विरोधाभासी रही हैं। एक तरफ तो उसे शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया हैं। तो दूसरी ओर बेचारी अबला भी कहा जाता हैं। इन दोनो ही अतिवादी धारणाओ ने नारी के स्वतंत्र विकास में बाधा पहुचाई हैं।

 

चिन्तनात्मक विकासः

सदियो से ही भारतीय समाज में नारी की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। उसी के बल बुते पर भारतीय समाज खड़ा हैं। नारी ने भिन्न-भिन्न रूपो में अत्यधिक भूमिका निभाई हैं। चाहे वह सीता हो, झाासी की रानी, इन्दिरा गांधी हो, सरोजनी नायडू हो।

 

नारी की भूमिकाः

नारी विधाता की सर्वोतम और नायाब श्रृष्ट्रि हैं। नारी की सुरत और सिरत की पराकाष्ठा और उसकी गहनता को मापना और दुष्कर ही नही आपितु नामुमकीन हैं। सामाजिक, संास्कृतिक, धार्मिक भौगोलिक, एतिहासिक जगत में नारी के विविध स्वरूपो का केवल वाह्य अपितु अन्तरमन के गुणमत भाव सौन्दर्यात्मक स्वरूप का नारी वह सौधी मिटट्ी का महक हैं। जो जीवन बगीचा को महकाती हैं। नारी के लिए यह कहा जाय की यह विविधता में एकता हैं। तो कोई अतिसोयोक्ति नही होगी। इन्ही विविध शक्तियो के परिणाम स्वरूप महिलाओ का राष्ट्र निर्माण और विकास में अदभुत अतुल्य योगदान हैं। महिलाओ के इस सतत योगदान को कुछ बिन्दुओ के माध्यम से समझ सकते हैं-

 

नारी का योगदान राष्ट्र विकास मेः

1 ़माँ के रूप में योगदानः

मानव कल्याण भी भावना कत्र्तव्य, सृजनशीलता एवं ममता को सर्वोपरी मानते हुए महिलाओ ने इस जगत में मां के रूप में अपनी सर्वोपरी भूमिका को निभाते हुए राष्ट्र निर्माण और विकास में अपना विशेष दायित्वो का निर्वाहन किया हैं। 

 

2 ़पत्नी के रूप में योगदानः

माँ के पश्चात् पत्नी का अवतार राष्ट्र निर्माण और विकास में महती भूमिका निभाती हैं।

 

3 ़गृहणी के रूप मेंः

भारतीय समाज में महिलाएं परिवार की मुख्य धुरी होती हैं, जो कि एक गृहणी के रूप में राष्ट्र निर्माण और विकास में अपनी उत्कृष्ठ भूमिका निभाती हैं।

 

4 ़सांस्कृतिक, संस्कार और पराम्पराओ की संरिक्षिका के रूप में:

महिलाऐं ही संस्कृति, संस्कार, और पराम्पराओं की वास्तविक संरक्षिका होती हैं।

 

5 ़सामाजिक शैक्षिक धार्मिक योगदानः

सभ्याता, संस्कृति, संस्कार, और पराम्परा महिलाओं के कारण ही एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में हस्तान्तरीत होती हैं।

 

6 ़स्वतंत्रता अंन्दोलन में योगदानः

गुलामी राष्ट्र निर्माण और विकास में केवल बाधक हैं। अपितु राष्ट्र को यह स्थिरता प्रदान करती हैं।

 

7 ़राजनीति में

8 ़सामाजिक संस्थाओ में

9 ़पत्रकारिता में

10 ़शिक्षा के क्षेत्र में

11 ़चिकित्स के क्षेत्र में

12 ़सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में

13 ़व्यवसाय के क्षेत्र में

14 ़खेल कुद के क्षेत्र में

15 ़वैज्ञानिकता के क्षेत्र में

16 ़धार्मिक क्षेत्र में

17 ़इंजिनियरींग के क्षेत्र में

18 ़पायलट बनना।

19 ़अंतरिक्ष में सेवा।

 

उपरोक्त सभी क्षेत्र में नारी का अपूरणीय योगदान है।

 

भारतीय समाज में नारी की भूमिकाः

नारी का सम्मान करना एवं उसके हितो की रक्षा करना हमारे देश की सदियों पुरानी संस्कृति हैं। यह एक विडम्बना ही हैं। कि भारतीय समाज में नारी की स्थिति अत्यंत विरोधाभासी रही हैं। एक तरफ तो उसे शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया हैं। तो दूसरी ओर बेचारी अबला भी कहा जाता हैं। इन दोनो ही अतिवादी धारणाओ ने नारी के स्वतंत्र विकास में बाधा पहुचाई हैं।

 

चिन्तनात्मक विकासः

सदियो से ही भारतीय समाज में नारी की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। उसी के बल बुते पर भारतीय समाज खड़ा हैं। नारी ने भिन्न-भिन्न रूपो में अत्यधिक भूमिका निभाई हैं। चाहे वह सीता हो, झाासी की रानी, इन्दिरा गांधी हो, सरोजनी नायडू हो।

 

देश के विकास में महिलाओं का अमूल्य योगदान

1.      श्रीमती सुस्मिता दत्त।

2.      श्रीमती किरणमयी।

3.      मधु किष्वर।

4.      सुश्री सुधा तिवारी

 

निश्कर्षः

भारत के विकास में महिलाएं कर रही हैं विशेष योगदान-

1 ़हर क्षेत्र में आगे रही हैं महिलाएं आज मिडिया,पत्रकारिता एवं जनसंचार के क्षेत्र में भी महिलाओ का वर्चस्व कायम हैं। सेना वायुयान उडान, शिक्षा, विज्ञान, खेलकूद, व्यवसाय, सूचना प्रौद्योगिकी, चिकित्सा आदि।

 

2 ़खेती में पुरूषो से ज्यादा कार्य करती है महिलाएं ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्र तक महिलाओ ने समाज राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

 

संदर्भ सूची -

1.      ़जैन मंजू -कार्यशील महिलाएं एवं सामाजिक परिवर्तन प्रकाशन- प्रिनृवैल (रूपा बुक्स प्रा लिमिटेड) (तिलक नगर जयपुर)

2.      डाँ ़राज कुमार -भारतीय नारी पब्लिकेशन - अर्जुन पब्लिसिंग हाउस (नई दिल्ली)

3.      डाँ ़सिंह राजबाला - मानवाधिकार एवं महिलाएं पब्लिकेशन - आविष्कार पब्लीकेशन (जयपुर)

4.      स्वंय के विचार।

5.      इन्टरनेट संचार माध्यम।

 

 

Received on 07.12.2017       Modified on 16.01.2018

Accepted on 20.02.2018      © A&V Publication all right reserved

Int. J. Ad. Social Sciences. 2018; 6(1):09-10.