अम्बेडकर नगर जिला में शिशु जनसंख्या एवं शिशु लिंगानुपात (0-6 वर्ष) का अभिनव परिवर्तन
Alok Pandey1, Chandra Shekhar Dwivedi2*
1Assistant Professor, Allahabad Dgree College, Allahabad.
2Assistant Professor, Regional Institute of Education, NCERT, Bhopal.
*Corresponding Author E-mail: cshekhargeog@gmail.com, alokpandeygeog@gmail.com
ABSTRACT:
अम्बेडकरनगर जिला पूर्वी उत्तर-प्रदेश में गंगा-घाघरा मैदान का भाग है। इस जिले के उत्तरी सीमा पर घाघरा नदी बहती है तथा दक्षिणी सीमा पर मझुई नदी प्रवाहित होती है। यह सम्पूर्ण क्षेत्र गंगा के उपजाऊ मैदान का भाग है जो प्रदेश में गहन कृषि के लिए प्रसिद्ध है। प्रस्तुत अध्ययन शिशु जनसंख्या एवं शिशु लिंगानुपात उम्र समूह 0-6 वर्ष के गत दशकों के स्थानिक एवं कालिक विविधताओं का विश्लेषण करना है। अध्ययन मुख्य रूप से द्वितीयक आंकड़ोें के उपयोग पर आधारित है। यहाँ जनगणना 2011 में कुल शिशु जनसंख्या 14.26 प्रतिशत है जबकि यह वर्ष 2001 में 19.59 प्रतिशत था, वहीं दशकीय ह्रास दर 14.51 प्रतिशत दर्ज की गयी है। गत दशक के दौरान शिशु लिंगानुपात में जिले के नौ विकास खण्डों में आठ में ऋणात्मक वृद्धि दर्ज की गयी तथा केवल एक विकास खण्ड में धनात्मक वृद्धि देखी गयी। विकासखण्डवार शिशु लिंगानुपान में स्थानीय विभिन्नता देखी गयी। इस प्रकार कम शिशु लिंगानुपात कन्या भ्रूण हत्या को दर्शाता है, इसके लिए (पी0एन0डी0टी0 प्रीनेटल डायग्नोस्टिक तकनीकि) प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण, तकनीकि, स्वास्थ्य सुविधाएँ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
KEYWORDS: शिशु लिंगानुपात, स्थानिक कालिक विश्लेषण, कुल शिशु जनसंख्या, कन्या भू्रण हत्या।
INTRODUCTION:
लिंगानुपात का तात्पर्य स्त्रियों एवं पुरूषों के पारस्परिक अनुपात से है। भारत में लिंगानुपात की गणना प्रति हजार पुरूषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में की जाती है। लिंगानुपात किसी क्ष्ेात्र की अर्थव्यवस्था का एक सूचक तथा प्रादेशिक विश्लेषण के लिए अत्यन्त लाभदायक यन्त्र हैं (फ्रेकलिन 1956) तथा इसका अन्य जनसांख्किीय तत्वों जैसे जनसंख्या वृद्धि, विवाह दर, व्यावसायिक संरचना पर गहरा प्रभाव पड़ता है। (शर्योक 1956)
शिशु लिंगानुपात आबादी में एक आयु वर्ग में 0-6 वर्ष प्रति 1000 पुरूषों आयु समूह में महिलाओं की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है।
शिश लिंगानुपात (0-6 वर्ष) त्र
बालिका बच्चों की संख्या
0-6 आयु वर्ग
.................................................................... ग 1000
बालक बच्चों की संख्या
0-6 आयु वर्ग
वर्ष 2011 में सम्पूर्ण भारत में कुल शिशु जनसंख्या 13.6 प्रतिशत है जबकि शिशु लिंगानुपात 919 है जो वर्ष 2001 में 927 था। इस प्रकार अंतिम दशक मंे 8 अंकों की लिंगानुपात में गिरावट आयी। अम्बेडकरनगर जिला में वर्ष 2011 मंे कुल शिशु जनसंख्या, कुल जनसंख्या का 14.26 प्रतिशत है जो गत दशक से 14.51 प्रतिशत कम है और शिशु लिंगानुपात 932 है जो वर्ष 2001 में 943 था। यहाँ ऋणात्मक लिंगानुपात (-11) पारम्परिक और संकीर्ण सोच का प्रतीक है।
स्वामी विवेकानन्द ने कहा था समाजरूपी गरूड़ के स्त्री और पुरूष दो पंख होतेे हैं। यदि एक पंख सबल तथा दूसरा दुर्बल हो तो उसमें गगन को छूने की शक्ति कैसे निर्मित होगी।’’ इसमें कोई संदेह नहंीं कि स्त्री-पुरूष एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं। यदि एक भी पहिया कमजोर होगा तो गाड़ी आगे बढ़ेगी कैसे ? (कुरूक्षेत्र, 2013)।
प्रसिद्ध नारीवादी चिन्तक और लेखिका साइमन द बोउवार ने भी लिखा है कि नारी पैदा होती नहीं बल्कि उसे नारी बना दिया जाता है (कुमार 2013)। उदारदवादी चिंतक जान स्टुअर्ट मिल (2002) की यह साफ धारणा है कि स्त्रियों के बारे में किसी भी प्रकाशित जानकारी का तब तक अभाव रहेगा जब तक कि स्त्रियाँ स्वयं अपने बारे में न बोलने लगें।
उद्देश्य:
प्रस्तुत शोधपत्र का मुख्य उद्देश्य निम्न है-
- अम्बेडकरनगर जिला में शिशु जनसंख्या आयु वर्ग 0-6 वर्ष में स्थानिक
विभिन्नता एवं अस्थायी ह्रास का कारण युक्त अध्ययन।
- शिशु लिंगानुपात में परिवर्तन एवं प्रमुख उत्तरदायी कारणों का अध्ययन।
- जिले में शिशु लिंगानुपात एवं लिंगानुपात का तुलनात्मक अध्ययन।
अध्ययन क्षेत्र:
अम्बेडकरनगर जिला घाघरा नदी के दाहिने तट पर अवस्थित है जो पूर्वी उत्तर-प्रदेश का भाग है। इसका सृजन 19 सितम्बर 1995 को हुआ, जो पहले फैजाबाद जिले का भाग था। अध्ययन क्षेत्र का अक्षाँशीय विस्तार 26009’ उत्तर से 26040’ उत्तर तक तथा देशान्तरीय विस्तार 82011’ पूर्व से 83008’ पूर्व तक हैं, जिसे चित्र में दिखाया गया है।
चित्र-1
अध्ययन क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 2357 वर्ग किमी0 है जो उत्तर-प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 0.98 प्रतिशत है। अम्बेडकरनगर ंिजला समुद्र तल से लगभग 98 मीटर की ऊँचाई पर है। अध्ययन क्षेत्र गंगा तथा घाघरा द्वारा लाये गये जलोढ़ मिट्टी से ढ़का है। नदी तटीय क्षेत्र वर्षा के मौसम में बाढ़ से प्रभावित रहता है। अम्बेडकरनगर जिले की जनसंख्या की दशकीय वृद्धि 18.3 प्रतिशत है एवं जनघनत्व 1020 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है वहीं स्त्री-पुरूष अनुपात 978 प्रति 1000 है। इस जिले में पाँच तहसीलें है- अकबरपुर, टाँडा, जलालपुर, आलापुर और भीटी है तथा कुल 9 विकासखण्ड हैं- 1. टाँडा, 2. बसखारी, 3. रामनगर, 4. जहाँगीरगंज, 5. जलालपुर, 6. भियाॅव, 7. भीटी, 8. कटेहरी, 9. अकबरपुर।
आँकड़ो के स्रोत एवं अध्ययन विधितंत्र:
प्रस्तुत शोधपत्र का कार्य मुख्यतः द्वितीयक आँकड़ो का विभिन्न स्रोतों से संग्रह करते हुए उनका विश्लेषण किया गया है। जनसंख्या वृद्धि सम्बन्धी सभी आॅकड़े जिला सांख्यिकीय पत्रिका एवं भारत की जनगणना (2001 और 2011) से प्राप्त किये गये हैं। चित्रों एवं आरेखों को कम्प्यूटर द्वारा साफ्टवेयर की सहायता से बनाया गया है।
अम्बेडकरनगर, उत्तर प्रदेश एवं भारत में शिशु लिंगानुपात:
प्रस्तुत तालिका संख्या एक से स्पष्ट होता है कि तीनों स्तर पर पूर्व से वर्तमान में शिशु लिंगानुपात तेजी से कम हो रहा है, अम्बेडकरनगर जिले में जहाँ 2001 में शिशु लिंगानुपात 943 था वो वर्ष 2011 में 932 हो गया, वहीं उत्तर-प्रदेश में वर्ष 2001 में शिशु लिंगानुपात 916 से घटकर वर्ष 2011 में घटकर 902 शेष रह गया। जबकि देश का 2001 में शिशु लिंगानुपात 927 था जो 2011 में घटकर 919 रह गया। अम्बेडकरनगर जिले का शिशु लिंगानुपात राष्ट्रीय अनुपात से 13 अंक अधिक है, जो जिले में साक्षरता में वृद्धि से सम्भव हुआ।
जिले में विकासखण्डवार शिशु जनसंख्या, 2011ः तालिका संख्या-2 से स्पष्ट है कि 2011 की मौजूदा जनगणना के अनुसार अम्बेडकरनगर जिला में कुल शिशु जनसंख्या 303920 (14.26 प्रतिशत) है जिसमें 157352 (51.77 प्रतिशत) बालक शिशु जनसंख्या है और 146568 (48.23 प्रतिशत) बालिका शिशु जनसंख्या है। जिले में विकासखण्डवार सर्वाधिक शिशु जनसंख्या क्रमशः अकबरपुर (42976), जलालपुर (42722), टाँडा (39199), रामनगर (33397) एवं कटेहरी (30267) में है। जबकि निम्नतम शिशु जनसंख्या क्रमशः भीटी (25180), भियाँव (29958), जहाँगीरगंज (30023) एवं बसखारी (30192) विकासखण्ड में है। अकबरपुर विकासखण्ड में सर्वाधिक शिशु जनसंख्या होने का मुख्य कारण यहाँ की सर्वाधिक जनसंख्या और जिला मुख्यालय का स्थित होना है। जबकि प्रतिशत की दृष्टि से सर्वाधिक शिशु जनसंख्या बसखारी विकासखण्ड (14.58 प्रतिशत) और सबसे कम शिशु जनसंख्या जलालपुर विकासखण्ड (13.92 प्रतिशत) में है।
यहाँ शिशु जनसंख्या का सर्वाधिक प्रतिशत क्रमशः बसखारी (14.58 प्रतिशत), रामनगर (14.53 प्रतिशत), भीटी (14.49 प्रतिशत), टाँडा (14.38 प्रतिशत) एवं भियाॅव (14.38 प्रतिशत) में है। इस प्रकार हम देखते हैं कि जिस विकासखण्ड में साक्षरता कम है, आधारभूत संरचना कम विकसित है, एवं जनसंख्या वृद्धि उच्च एवं मध्यम में है, वहाँ शिशु जनसंख्या अधिक प्रतिशत में है। जिले में विकासखण्डवार न्यूनतम शिशु जनसंख्या प्रतिशत क्रमशः जलालपुर (13.92 प्रतिशत) एवं कटेहरी (14.05 प्रतिशत) में है। जलालपुर एवं कटेहरी विकासखण्ड में न्यूनतम शिशु जनसंख्या प्रतिशत के लिए उत्तरदायी कारकों में उच्च साक्षरता दर, निम्नतम जनसंख्या वृद्धि, पर्याप्त आधारभूत संरचना की उपलब्धता, उद्योग-धन्धों की प्रमुखता आदि प्रमुख है।
जिले में शिशु जनसंख्या ह्रास (2001-2011):
वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार तालिका संख्या-3 से स्पष्ट होता है कि यहाँ शिशु जनसंख्या कुल जनसंख्या का 19.59 प्रतिशत है जबकि वर्ष 2011 में घटकर मात्र 14.26 प्रतिशत रह गया। जिले में विकासखण्ड अकबरपुर (28.15 प्रतिशत), भियाॅव (14.21 प्रतिशत) एवं जलालपुर (13.02 प्रतिशत) में क्रमशः उच्चदर से शिशु जनसंख्या में ह्रास हुआ है तथा विकासखण्ड कटेहरी (12.79 प्रतिशत), बसखारी (12.62 प्रतिशत), टाॅडा (11.76 प्रतिशत), भीटी (11.06 प्रतिशत) एवं रामनगर (10.39 प्रतिशत) में मध्यम दर से शिशु जनसंख्या में ह्रास हुआ है। जहाँगीरगंज विकासखण्ड मंे (7.27 प्रतिशत) निम्न दर से शिशु जनसंख्या मंे ह्रास हुआ है। जिले में विकासखण्ड अकबरपुर, भियाॅव, एवं जलालपुर में तीव्र शिशु जनसंख्या ह्रास के प्रमुख कारण निम्न हैं - निम्नतम जनसंख्या वृद्धि, उच्च साक्षरता दर सुदृढ़ आधारभूत संरचना, उच्च नगरीय जनसंख्या आदि जबकि निम्न शिशु जनसंख्या ह्रास वाले विकासखण्ड में इसके विपरीत परिस्थितियाँ हैं, जैसे-निम्न साक्षरता दर, उच्च जनसंख्या वृद्धि, आधारभूत संरचना की कमी, ग्रामीण जनसंख्या की अधिकता आदि पायी जाती है।
अम्बेडकरनगर जिला में शिशु जनसंख्या ह्रास दर
चित्र-2
जिले में शिशु लिंगानुपात एंव लिंगानुपात (2001-2011)
तालिका संख्या-4 से स्पष्ट होता है कि जनगणना 2011 के अनुसार अम्बेडकरनगर, उत्तर-प्रदेश एवं भारत का शिशु लिंगानुपात क्रमशः 932, 902 एवं 919 बालिका शिशु प्रति 1000 बालक शिशु हैं। जबकि अम्बेडकरनगर उत्तर-प्रदेश एवं भारत में लिंगानुपात क्रमशः 978, 912 एवं 946 है तथा इन्हीं तीनों स्तर- अम्बेडकरनगर, उत्तर-प्रदेश एवं भारत में शिशु लिंगानुपात और लिंगानुपात का अंतराल क्रमशः -11, -14 एवं -8 है। यहाँ इस अन्तराल में अम्बेडकरनगर, उत्तर-प्रदेश और भारत में शिशु लिंगानुपात में ह्रास देखी गयी है जो चिन्ताजनक बातहै। अगर हम अम्बेडकरनगर के शिशु लिंगानुपात पर ध्यान दें, तो पाते हैं कि जहाँ वर्ष 2001 में 943 था वह 2011 में घटकर 932 हो गया अर्थात् एक दशक में शिशु लिंगानुपात में 11 अंकों की कमी देखी गयी जो चिन्ता की बात है।
वर्ष 2001 की जनगणना के आॅकड़ों के आधार पर जिले में विकास खण्ड अकबरपुर (957) एवं टाँडा (953) में उच्च शिशु लिंगानुपात तथा विकासखण्ड रामनगर (946), भियाॅव (943), जलालपुर (942) एवं बसखारी(941) में मध्यम शिशु लिंगानुपात तथा विकासखण्ड जहाँगीरगंज(935), कटेहरी(936) एवं भीटी (909) में निम्न शिशु लिंगानुपात था।
वर्ष 2011 की जनगणना केे अनुसार अध्ययन क्षेत्र में विकासखण्ड टाॅडा (950) एवं अकबरपुर (946) में उच्च शिशु लिंगानुपात तथा विकासखण्ड बसखारी (935), जलालपुर (931) एवं कटेहरी (930) में मध्यम शिशु लिंगानुपात तथा विकासखण्ड जहाँगीरगंज (927), भीटी (926), रामनगर(915) एवं भियाॅव(913) में निम्न शिशु लिंगानुपात है। इस प्रकार यहाँ उच्चतम एवं न्यूनतम लिंगानुपात में 37 अंको का अंतर है।
जिले में वर्ष 2001 से 2011 के दौरान दृष्टिपात करने पर पाते हैं कि विकासखण्ड रामनगर एवं भियाॅव मंे शिशु लिंगानुपात में 30 एवं 31 अंको तीव्र गिरावट देखी गयी है जबकि अकबरपुर (-11), जलालपुर (-11), जहाँगीरगंज (-8), बसखारी (-6), कटेहरी (-6) एवं टाॅडा (-3) में मध्यम गति से शिशु लिंगानुपात में कमी आयी है। केवल भीटी विकासखण्ड ($17) में शिशु लिंगानुपात में धनात्मक वृद्धि देखी गयी है। अतः उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि विकासखण्ड भीटी में शिशु लिंगानुपात बढ़ने का प्रमुख कारण-गत दशक में उच्च स्त्री साक्षरता दर में वृद्धि एवं स्त्री-पुरूष का जागरूक होना है। जबकि अन्य विकासखण्डों में शिशु लिंगानुपात में गत दशक में कमी देखी गयी जिसका कारण निम्न साक्षरता, आधारभूत संरचना की कमी, बालक बच्चों के प्राप्ति की अधिक चाहत आदि है।
अम्बेडकरनगर जिला में शिशु लिंगानुपात
चित्र-3
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार अध्ययन क्षेत्र में विकासखण्ड रामनगर (1006) एवं जहांगीरगंज (1002) में उच्च लिंगानुपात तथा विकासखण्ड भियाॅव (998), भीटी (994), अकबरपुर (988) एवं कटेहरी (987) में मध्यम लिंगानुपात तथा विकासखण्ड जलालपुर (968), बसखारी (962) एवं टाँडा (949) मे निम्न लिंगानुपात है। इस प्रकार यहाँ उच्चतम एवं न्यूनतम लिंगानुपात में 57 अंकों का अन्तर है।
अम्बेडकरनगर जिले में विकास खण्डवार शिशु लिंगानुपात और लिंगानुपात का अंतराल अधिकतम क्रमशः रामनगर (91), भियाॅव (85), जहाॅगीरगंज (75), भीटी (68) एवं कटेहरी (57) में है। जहाॅ अधिक शिशु लिंगानुपात होने से आने वाले दिनों मंें लिंगानुपात मंे अधिक सुधार की संभावना है। जो तालिका संख्या-4 से स्पष्ट है। जबकि विकासखण्ड अकबरपुर (42), जलालपुर (37), बसखारी (27) एवं टाँडा (1) में शिशु लिंगानुपात और लिंगानुपात अंतराल क्रमशः न्यूनतम है। जहाँ भाविष्य में लिंगानुपात में सुधार की संभावना तो है परन्तु वो कम अंकों के सुधार को दर्शाता है।
निष्कर्ष
अन्ततः हम कह सकते हैं कि अम्बेडकरनगर जिला में लिंगानुपात में वर्ष 1991 से क्रमशः कमी आ रही है। जबकि शिशु लिंगानुपात वर्ष 2001 में 943 था, जो 2011 में घटकर 932 रह गया है। इन आंकड़ों को देखने पर प्रतीत होता है कि तीव्र गति से घटता लिंगानुपात एवं शिशु लिंगानुपात दोनों भयावह स्थिति में पहुँच गया है जिसके लिए निम्न कारक जिम्मेदार हैं-समाज में बालिका शिशु के प्रति उदासीनता, लड़कियों को बोझ समझकर उनके लालन-पालन में उदासीनता, जन्म पूर्व लिंग परीक्षण कर कन्या भू्रण हत्या, निम्न साक्षरता दर, उच्च जनसंख्या वृद्धि, आधारभूत संरचना में कमी, ग्रामीण जनसंख्या की अधिकता, प्राकृतिक रूप से बालक शिशु का प्राथमिक एंव द्वितीयक लिंगानुपात अधिक होना आदि। जिले में वर्तमान में सर्वाधिक शिशु जनसंख्या अकबरपुर विकासखण्ड में है और न्यूनतम जनसंख्या भीटी विकासखण्ड में है तथा प्रतिशत शिशु जनसंख्या सर्वाधिक बसखारी एवं न्यूनतम जलालपुर विकासखण्ड में है। जबकि दशकीय शिशु लिंगानुपात में ह्रास सर्वाधिक रामनगर विकासखण्ड में है, केवल भीटी विकासखण्ड में शिशु लिंगानुपात में वृद्धि हुई है। विकासखण्ड भीटी में वर्ष 2001 में सबसे कम लिंगानुपात था और वर्ष 2011 में 17 अंकों की वृद्धि के साथ शिशु लिंगानुपात 926 हो गया। वर्ष 2011 में सर्वाधिक शिशु लिंगानुपात टाँडा में और सबसे कम लिंगानुपात भियाॅव विकासखण्ड में है। पिछले दशक में सर्वाधिक लिंगानुपात अन्तराल रामनगर विकासखण्ड में देखा गया है। जिले में पिछड़े विकासखण्डों में लिंगानुपात, विकसित विकासखण्डों की अपेक्षा अधिक है। आज इस भौतिकवादी समाज की सोच इतनी विकृत होती जा रही है कि स्त्री जाति न गर्भ में सुरक्षित है और न ही बाहर आने पर। हाल में यौन शौषण के खिलाफ जिस प्रकार की जन-जागरूकता समाज में देखने को मिल रही है उससे इसके प्रति एक सकारात्मक आशा का संचार हुआ है। अतः हमंे न केवल बालिका शिशु का इस धरा पर स्वागत करना चाहिए बल्कि उन्हें अपने सपने को साकार करने के लिए उचित वातावरण भी देना चाहिए।
सन्दर्भ ग्रन्थ-
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7. Hassan, Mohammad Izhar, 2005, Population Geography, Rawat Publications, Jaipur, P. 142-149
Received on 21.07.2017 Modified on 28.08.2017
Accepted on 10.09.2017 © A&V Publication all right reserved
Int. J. Ad. Social Sciences. 2017; 5(3):132-139.