जनजाति और राज्य विकास योजना

 

श्रीमती अनुराधा तिर्की1] डाॅ- राधा पाण्डेय2

1सहा- प्राध्यापक (अर्थशास्त्र )] शास- महा-] भैसमा  जिला - कोरबा (--)

2प्राचार्य] शा- खूबचंद बघेल स्नातकोत्तर महाविद्यालय] भिलाई 3

ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्-उंपसरू  ंदनण्जपतामल7/हउंपसण्बवउ

 

सारांश

देश की आजादी के पश्चात् जनजातियों के विकास हेतु विभिन्न प्रयास किये गए संविधान में चैथे भाग के अनुच्छेद 46 में राज्य को निर्देशित किया गया है कि राज्य के कमजोर तबको के लोगांे को विशेषकर अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक आर्थिक हितों को खास तौर से बढ़ावा देश हर प्रकार के सामाजिक अन्याय एवं शोषण के विरूद्व इन्हें संरक्षण प्रदान करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 में इन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर विकास किया गया है। जनजातियों के विकास हेतु विभिन्न शासकीय] अशासकीय] राजनीतिक] मानवशास्त्रीय उपागम बनाये गए है।

 

शब्दकुंजी - जनजाति] योजना] भौतिक] वित्तिय] उपलब्धि] सरकार

 

  

प्रस्तावना:

भारत के जिन क्षेत्रों में पहाड़ एंव जंगल है वहां निवास करने वालों को आदिवासी कहा जाता है प्रारभं में इनके पास काफी जमीन थी परन्तु अन्य जातियों ने इनको पीछे ढ़केल दिया जिसके कारण इन्हें पहाड़ो का आश्रय लेना पड़ा

 

ये लोग अत्यन्त पिछड़े हुए है जनजातियों के बारे में यह भी धारणा है कि इन लोगांे  में संस्कार नहीं होते किन्तु वास्तविकता में भारतीयता के मूल संस्कार का इन्होनंे ही आत्मसाथ किया है कई लोग मानते है कि जैसें ईसाईयों का बाइबल] हिन्दुओं का गीता और मुसलमानों का कुरान वैसे आदिवासियों का कोई धर्म ग्रंथ नहीं है लेकिन प्राचीन आदिवासियों की संस्कृति भावना उपासना उनकी जीवन पद्वति आदि बहुत सारी बातें इसमें मिलती है ऐसा ऋग्वेद में कहा गया है। जंगलो को काटकर वहां मनुष्यों की बस्तियां बसाना उन्होनंे ही शुरू किया जिसे ग्राम कहा जाता है] गाँव आदिवासियों ने ही बसाया है। विश्व पृष्टं ग्रामें अस्मिन अनातुरम् हमारे इस गांव में परिपुष्ट विश्व का दर्शन है। अनातुरम निरामय विश्व हमारे गांव में परिपृष्ट और स्वास्थ्य विश्व का दर्शन हो यही उनकी प्रार्थना है यह आदिवासियों की पुरातन भाषा है। एक तरफ विश्व और दूसरी तरफ गांव दोनों को नजर के सामने रखकर आदिवासियोें की सेवा करनी है आदि ग्रंथ ऋग्वेेद की आज्ञा है कि सारा विश्व अपने गांव में प्रतिबंधित होना चाहिए।

 

संविधान में जनजातिः

भारत सरकार द्वारा भारतीय संविधान के अनुसार ऐेसे जनजाति समुदायों की एक सूची बनाई गई जिनको यह विशेष संवैधनिक सुविधाएं दी जाएगी। इसी के तहत् संविधान में जनजातियों के संरक्षण हेतु विशेष ध्यान देना है इस समय देश में 194 समान्वित जनजातीय विकास परियोजनाएं चलाई जा रही है राज्य सरकारों को अनुसूचित जनजातियों के कल्याण को बढ़ावा देने वाली वित्तीय परियोजनाओं के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाती है। हमारे भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में जनजातीय समाज के लिए विशेष उपबन्ध भी बनाए है जिन्हें आज तक सरकार अमल में ला रही है इसके अतिरिक्त अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए और भी कई प्रकार के उपाय किए गए परन्तु सिर्फ सरकारी कार्यक्रम बनाने पर ही जनजातियों का विकास संभव नही हो सकता है अतः जनजातियों के विकास के लिए आवश्यकता है कि उनमंे अधंविश्वास] परम्परागत कठोरता] कार्य] संस्कृति एवं राजनैतिक धार्मिक मूल्यों में परिवर्तन करने होगें। शिक्षा को और व्यवहारिक बनाना होगा। जिससें उनमें शीघ्र ग्रहण करने की क्षमता का विकास हो साथ ही जागरूकता भी बढ़े।

उद्देश्यः

1- राज्य सरकार के योजना का भौतिक उपलब्धि का अध्ययन करना।

2- राज्य सरकार के योजना का वित्तिय उपलब्धि का अध्ययन करना।

 

शोेध पद्धतिः

प्रस्तुत शोध पत्र प्राथमिक एवं द्वितीयक संमको पर आधारित है। संमको का संकलन प्रत्यक्ष मौखिक (अनुसूची) अनुसंधान के द्वारा जानकारी एकत्र की गई है एवं हमारा सर्वेक्षण क्षेत्र समग्र पर आधारित है। आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए प्रतिशत विधि का प्रयोग किया गया है। जिसे रेखा चित्र] पाई चित्र के द्वारा प्रस्तुुुत किया है।

 

इस  प्रकार राज्य सरकार द्वारा चलाए गए योजना का अध्ययन करने के पश्चात् हमने चयनित परिवारों से इस योजना के बारे जानने प्रयास किया अपने अध्ययन में चार गांवो के कुल 250 परिवारों को लिया है। 

 

राज्य छात्रवृत्तिः

राज्य सरकार द्वारा संचालित की जा रही राज्य छात्रवृत्ति योजना अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियो एवं पिछड़ा वर्ग के विद्याथर््िंायों को कक्षा 3 से 10 तक निरंतर विद्या अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करने हेतु शासन द्वारा 10 माह हेतु छात्रवृत्ति दी जाती है जिनका 2011-12 से 2014 -15 तक राज्य छात्रवृत्ति विवरण निम्नानुसार है:- 

 

 

 

 

 

 

तालिका क्र- 01 वित्तीय वर्ष 2011 - 12 से 2014 - 15 तक वित्तीय एवं भौतिक उपलब्धियाँ        

वर्ष  2011-2012 2012-2013 2013-2014 2014-2015

  भौतिक उपलब्धि वित्तीय उपलब्धि (लाख रू0 में)    भौतिक उपलब्धि  वित्तीय उपलब्धि (लाख रू0 में)    भौतिक उपलब्धि  वित्तीय उपलब्धि (लाख रू0 मेंभौतिक उपलब्धि   वित्तीय उपलब्धि(लाख रू0 में)

अनु0 जनजाति 407925

(14-41)   1047-18

(8-01)    1056993

(37-33)   3799-66

(29-01)   1114359

(39-36)   7756-06

(59-25)   252069

(8-90)    486-64

(3-31)

सो्रत:- -- आर्थिक सर्वेक्षण

 

 

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट होता है कि राज्य छात्रवृत्ति के योजना के अंतर्गत 2011-12 में वित्तीय उपलब्धि 1047-18 लाख] 2012-13 में 3799-66 एवं 2013-14 में यह राशि बढ़कर 7756-06 है इस प्रकार राज्य छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत वित्तीय उपलब्धि राशि प्रति बजट वर्ष वृद्वि हो रही है जिससे अनुसूचित जनजाति छात्रों का शिक्षा के स्तर में सुधार हो जनजातिय परिवारो के बच्चों की शिक्षा में आर्थिक बाधा हो।

 

 

तालिका क्र- 02 न्यादर्श ग्राम का अध्ययन

चयनित ग्राम  जनकारी  लाभान्वित    परिवार की संख्या

  हाॅ    प्रतिशत  नही प्रतिशत  हाॅ प्रतिशत  नही  प्रतिशत    

चिटकवाईन    59   95-16 3    4-84 55   88-70 7    11-30 62

सेन्द्रीमुण्डा    51   92-73 4    7-27 47   85-45 8    14-5 55

बेतरा     76   96-20 3    3-80 64   81-12 15   18-99 79

रेगलें 51   94-44 3    5-56 44   81-48 10   18-52 54

योग 137  94-8 13   5-2  210  84   40   16   250

सो्रत: व्यक्तिगत सर्वेक्षण

 

 

 

तालिका से स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार की राज्य छा़वृत्ति योजना के तहत् ग्राम चिटकवाईन में 95-16 प्रतिशत परिवार] सेन्द्रीमुण्डा में 92-73 प्रतिशत परिवार ग्राम बेतरा में 96-20 प्रतिशत परिवार एवं ग्राम रेगलें में 94-44 प्रतिशत परिवार को इस योजना की जानकारी है जबकी क्रमशः चारो ग्रामों में 4-84 प्रतिशत परिवार] 7-27 प्रतिशत परिवार] 3-80 प्रतिशत परिवार एवं 5-56 प्रतिशत परिवार को इसके जानकारी नहीं है। इस प्रकार इस योजना से लाभान्वित परिवार का प्रतिशत ग्राम चिटकवाईन में 88-70 प्रतिशत परिवार ग्राम सेन्द्रीमुण्डा में 85-45 प्रतिशत परिवार ग्राम बेतरा में 81-12 परिवार एवं ग्राम रेगलें में 81-48 प्रतिशत परिवार लाभान्वित है जबकि शेष परिवार इस योजना से लाभान्वित नही है इस प्रकार इस सरकार की योजना से छात्र-छात्राओं को आर्थिक मदद् मिला है।

 

निःशुल्क सायकल प्रदायः

राज्य सरकार द्वारा छात्राओं के लिए निःशुक्ल सायकल प्रदाय योजना संचालित की जा रही है इस योजना के अन्तर्गत नवमी एवं दसवी में अध्ययनरत् छात्राओं को विद्यालय आने-जाने की सुविधा हेतु निः शुल्क सायकिल प्रदान की जाती है सत्र 2011-12 से 2014 -15 तक वित्तीय एवं भौतिक उपलब्धियाँ निम्नानुसार है:-

 

 

 

तालिका क्र-03 वित्तीय वर्ष 2011 - 12 से 2014 - 15 तक वित्तीय एवं भौतिक उपलब्धियाँ

वर्ग  2011-2012 2012-2013 2013-2014 2014-2015

  भौतिक उपलब्धि वित्तीय उपलब्धि (लाख रू0 में)    भौतिक उपलब्धि  वित्तीय उपलब्धि (लाख रू0 में)    भौतिक उपलब्धि  वित्तीय उपलब्धि (लाख रू0 मेंभौतिक उपलब्धि   वित्तीय उपलब्धि (लाख रू0 में)

अनु0 जनजाति 32156

(21-14)   884-18

(29-32)   36928

(24-58)   1092-41

(36-22)   36498

(24-30)   1039-54

(34-46)   44596

(29-69)   अप्राप्त

स्र¨: -- आर्थिक सर्वेक्षण

 

 

 

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि निःशुल्क सायकिल प्रदाय योजना के अन्तर्गत 2011-12 में वित्तीय उपलब्धता 884-18 लाख रू 2012-13 में वित्तीय उपलब्ध्यता 1092 -41 सत्र् 2013-14 में 1039-94 लाख रू- एवं सत्र् 2014-15 में सबसे अधिक वित्तीय उपलब्ध सरकार द्वारा प्राप्त हुआ है तालिका से स्पष्ट है कि प्रतिवर्ष इस योजना के अन्तर्गत बजट की राशि सरकार द्वारा वृद्धि की जा रही है इससे यह स्पष्ट होता है कि इस योजना से -- की जनजातियां अधिक से अधिक लाभ ले रही है  एवं जनजातियों की साक्षरता में वृद्धि होती जा रही है।

 

 

तालिका क्र- 04 न्यादर्श ग्राम का अध्ययन

चयनित ग्राम  जानकारी लाभान्वित    परिवार की संख्या

  हाॅ    प्रतिशत  नही प्रतिशत  हाॅ प्रतिशत  नही  प्रतिशत    

चिटकवाईन    54   87-09 8    12-91 39   62-90 23   37-10 62

सेन्द्रीमुण्डा    49   89-09 6    16-36 30   55-55 25   45-45 55

बेतरा     78   98-73 1    1-27 28   35-44 51   64-56 79

रेगलें 48   88-89 6    11-11 24   44-44 30   55-55 54

योग 229  91-6 21   8-4  121  48-4 129  51-6 250

सो्रत: व्यक्तिगत सर्वेक्षण

 

तालिका से स्पष्ट होता है कि निःशुल्क सायकल प्रदाय योजना की जानकारी एवं लाभान्वित के बारे में चयनित परिवारों का अध्ययन किया गया है तालिका के अनुसार योजना की जानकारी चयनित ग्राम चिटकवाईन में 87-09 प्रतिशत परिवार ग्राम सेन्द्रीमुण्डा में 89-09 प्रतिशत ग्राम बेतरा में 98-73 प्रतिशत एवं रेगलें में 88-89 प्रतिशत को है जबकि चयनित चार ग्रामों में इस योजना की जानकारी नही है इनकी संख्या बहुत कम है इससे स्पष्ट होता है कि सरकार की यह योजना एक सफल योजना है एवं इस योजना से ग्राम चिटकवाईन में 62-90 प्रतिशत परिवार ग्राम सेन्द्रीमुण्डा के अन्तर्गत 55-55 प्रतिशत परिवार ग्राम बेतरा मे 35-44 प्रतिशत एवं ग्राम रेगलें में 44-44 प्रतिशत परिवार है जो इस योजना का लाभ ले रहे है। 

 

सुझावः

1- जनजातियों में आर्थिक असमानता बहुत अधिक पाया जाता है कम करने का प्रयास किया जाना चाहिए

2- जनजतियों की समस्या का आर्थिक आयाम इनकी आर्थिक महत्वपूर्ण है अतः सरकार को इन क्षेत्रों में आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए विकास से सबंधित योजनाओं का निर्माण कर उसे जनजातीय क्षेत्र में लागू करना चाहिए।

 

निष्कर्षः

राज्य सरकार द्वारा संचालित राज्य छात्रवृत्ति योजना एवं निशुल्क सायकल प्रदाय योजना का अध्ययन करने पर हमें ज्ञात होता है कि सरकार की बजट में इस योजना की भौतिक उपलब्धि एवं वित्तिय उपलब्धि में प्रतिवर्ष वृद्धि होती जा रही है एवं हमने चयनित कुल 250 परिवारांे से भी इस योजना के बारे में जानने का प्रयास किया जिससे यह स्पष्ट हुआ कि चयनित जनजातीय लगभग सभी परिवार को योजना की जानकारी है अधिकांश परिवार इस योजना से लाभान्वित हैं। अतः स्पष्ट होता है कि सरकार की यह योजना सफल योजना रही।

 

सन्दर्भ ग्रंथ सूचीः

1- उपाध्यक्ष] विजयशंकर एवं गया - जनजातीय विकास 2002

2- सारस्वत] ऋतु - भारतीय जनजातीय-समस्याएं एवं समाधान] कुरूक्षेत्र दिसम्बर 2005 पृष्ठ संख्या 18-18

3- दुबे] भरत कुमार -“विकास की राह पर जनजातीय समाज कुरूक्षेत्र दिसम्बर 2008

4- -- आर्थिक सर्वेक्षण

Government of India. (2011).census 2011. New Delhi: office of the registrar general and census commissioner  India.

1.      Ministry of tribal affairs (2016) annual report 2015-2016 new Delhi, govt. of India.

2.      Choudhury, R.N. (2016, sep, 29) malnourishment kills 116 childrens in M.P.

 

 

 

 

Received on 15.03.2017       Modified on 18.03.2017

Accepted on 30.03.2017      © A&V Publication all right reserved

Int. J. Ad. Social Sciences. 2017; 5(1): 24-28.