छत्तीसगढ के जिलों की जनांकिकीय प्रवृतियां एवं आर्थिक विकास पर प्रभाव
डा- अर्चना सेठी
सहायक प्राध्यापकए अर्थशास्त्र अघ्ययनशालाए प्ंा रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयए रायपुर
सारांश
आर्थिक विकास अनेक तत्वों से प्रभावित होता है जनसंख्या उनमें से प्रमुख तत्व है। किसी प्रदेश में जनसंख्या के वितरण में विभिन्नतायें पायी जाती है, जनसंख्या वितरण प्रारूप न सिर्फ मनुष्य के किसी क्षेत्र विषेष में निवास संबंधी अभिरूची एवं विरूची का द्योतक होता है, अपितु क्षेत्र में कार्यरत भौगोलिक कारणों के संश्लेषण का स्पष्ट प्रदर्शन भी होता है। क्षेत्रीय विकास के साथ जनसंख्या उस ओर आकर्षित होती है जहां औद्योगीकरण एवं नगरीकरण होता है। जनसंख्या के वितरण प्रतिरूप पर सामाजिक आर्थिक कारण लिंगानुपात जन्म दर मृत्यु दर एवं प्रवास प्रभाव डालते है। जलवायु, भैगोलिक स्थिति, उच्चावचन, फसलों की प्रकृति, मिट्टी की उर्वरता आदि भी जनसंख्या वितरण को प्रभावित करते है। लिंगानुपात से किसी क्षेत्र के विकास के स्तर का ज्ञान हो सकता है, अधिक विकसित देशों में लिंगानुपात अधिक होती है, तथा पिछड़े देशों में लिंगानुपात कम होती है।जनसंख्या घनत्व एवं आथर््िाक विकास में कोई सीधा संबंध नहीं हैे। मैदानी क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व अधिक एवं पहाडी तथा वन क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व कम है।मैदानी क्षेत्र में औद्योगीकरण अधिक होना भी अधिक घनत्व का कारण है। जनगणना 2011 के अनुसार छत्तीसगढ की 76ण्76 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है जो कृषि कार्य में संलग्न है। है। जिसकी आधी लगभग महिला है। राज्य के विकास के लिए महिलाओं का विकास आवश्यक है। राज्य की 32 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति है राज्य के विकास के लिए उनका भी विकास प्रथम आवश्यकता है। जनगणना 2011 के अनुसार छत्तीसगढ की 76ण्76 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है जो कृषि कार्य में संलग्न है। राज्य के विकास के लिए कृषि का भी विकास अनिवार्य है। छत्तीसगढ की 70ण्28 प्रतिशत जनसंख्या साक्षर हैं। पुरुषों का 80ण्27 एवं महिलाओं का 60ण्24 जनसंख्या साक्षर है। पुरुष महिला साक्षरता अंतराल 20ण्03 प्रतिशत है विकास के लिए इस अंतराल को समाप्त करना अनिवार्य है।
शब्दकुंजी - लिंगानुपात एजनसंख्या वृद्धिदरए जनसंख्या घनत्व
प्रस्तावना
छत्तीसगढ 135191 वर्ग कि मी में विस्तृत भारत की 10 वीं बडी राज्य हैं। जिसका निर्माण 1 नवम्बर 2000 को हुआ था।वर्तमान समय में छत्तीसगढ में 27 जिले है। रायपुर जिले का निर्माण 1954 में हुआ था। 1861 में बिलासपुर एवं 1जनवरी 1906 को दुर्ग जिला बना। 15 अगस्त 1947 को सरगुजा बस्तर रायगढ जिले का निर्माण हुआ। 26 जनवरी 1973 में राजनांदगांव जिला अस्तित्व में आया। 25 मई1998 को जांजगीर चॅापा कोरबा कोरिया जशपुर जिले का निर्माण हुआ। 6 जुलाई 1998 को महासमुंद कांकेर कवर्धा धमतरी दंतेवाडा जिला अस्तित्व में आया।11 मई 2007 को बीजापुर नारायणपुर जिला निर्मित हुआ। शेष 9 जिले बलरामपुर सूरजपुर बलौदाबाजार गरियाबंद बालोद बेमेतरा सुकमा मुंगेली कोंडागांव जिला 1 जनवरी 2012 को निर्मित हुए। जनगणना 2011 के अनुसार यहां की जनसंख्या 255ए 40ए 196 ;2ण् 55 करोडद्ध है। जिसमें से 1ण्28 करोड पुरुष एवं 1ण्27करोड महिला है। यह भारत की जनसंख्या का 2ण्11: है। 2001 जनगणना में जनसंख्या 104ए74ए218 थी। दशकीय जनसंख्या वृद्धिदर 22ः हैं। 1991से 2001 के मध्य वृद्धिदर 18ण्06 था। जनसंख्या घनत्व 2001 में 154 से बढकर 2011में 189 ब्यक्ति प्रति वर्ग किमी हो गया। लिंगानुपात 991महिला प्रति 1000 पुरुष है जो राज्यों में 5वां क्रम हैं।
अध्ययन का उददेय
1 छत्तीसगढ के जिलों की जनांकिकीय प्रवृतियांे का अध्ययन करना
2 छत्तीसगढ के जिलों की जनांकिकीय प्रवृतियों का आर्थिक विकास पर प्रभाव का अध्ययन करना।
छत्तीसगढ के ग्रामीण क्षेत्रों में लिंगानुपात 1002 एवं शहरी क्षेत्र में 956 है। 0. 6 आयु वर्ग में लिंगानुपात
जनगणना 2001 में 975 से जनगणना 2011 में 964 हो गया। साक्षरता में जनगणना 2001में 64ण् 66ः से बढकर जनगणना 2011 में 71ण्4: हो गया। साक्षरता में छत्तीसगढ का स्थान भारत में 5वां है।
किसी प्रदेश में जनसंख्या के वितरण में विभिन्नतायें पायी जाती है, जनसंख्या वितरण प्रारूप न सिर्फ मनुष्य के किसी क्षेत्र विशेष में निवास संबंधी अभिरूची एवं विरूची का द्योतक होता है, अपितु क्षेत्र में कार्यरत भूगोलिक कारणों के संश्लेषण का स्पष्ट प्रदर्शन भी होता है। क्षेत्रीय विकास के साथ जनसंख्या उस ओर आकर्षित होती है जहां आद्योगीकरण एवं नगरीकरण होता है। जनसंख्या के वितरण प्रतिरूप पर सामाजिक आर्थिक कारण लिंगानुपात जन्म दर मृत्यु दर एवं प्रवास प्रभाव डालते है। जलवायु, भैगोलिक स्थिति, उच्चावचन, फसलों की प्रकृति, मिट्टी की उर्वरता आदि भी जनसंख्या वितरण को प्रभावित करते है। छ.ग. में वे जिलें अधिक सघन है जहां विकास अधिक हुआ है। ये जिले दुर्ग, राजनांदगांव, रायपुर, धमतरी, आदि हैं दक्षिण के जिले बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा आदि क्षेत्र में वनांचल दुर्गम यातायात नक्सल समस्या आदि के कारण स्त्री जनसंख्या का वितरण कम है।
छत्तीसगढ की जनसंख्या जनगणना 2011 में 2ण् 5 करोड थी ।जिसमें से रायपुर जिले की जनसंख्या सबसे ज्यादा 21ण्6 लाख थी बिलासपुर की जनसंख्या 19ण्6 लाख थी दुर्ग जिले की जनसंख्या 17ण्2 लाख थी जांजगीर चा-ंपा जिले की जनसंख्या 16ण्2 लाख थी नारायणपुर जिले में सबसे कम जनसंख्या 1ण्4 लाख बीजापुर 2ण्5 लाख दंतेवाडा 2ण्8 लाख है।तालिका 1 रेखाचित्र 1।
ज्ंइसम.1 च्वचनसंजपवद पद ब्ीींजजपेहंती;2011द्ध
छव क्पेजतपबज च्वचनसंजपवद छवण् क्पेजतपबज च्वचनसंजपवद छव क्पेजतपबज च्वचनसंजपवद
1 त्ंपचनत
2ए159ए880 10 डंींेंउनदक
1ए032ए275 19 ठंसतंउचनत छं
2 क्नतह
1ए721ए726 11 श्रंेीचनत 852ए043 20 ैनतंरचनत छं
3 ठपसंेचनत
1ए960ए466 12 ज्ञंूंतकीं
822ए239 21 ठंसवकं ठं्रंत छं
4 ैनतहनरं
842ए085 13 क्ींउजंतप
799ए199 22 ळंतपलंइंदक छं
5 श्रंदरहपत.ब्ींउचं 1ए620ए632 14 ज्ञंदामत
748ए593 23 ठंसवक
छं
6 त्ंरदंदकहंवद
1ए537ए520 15 ज्ञवतपलं 659ए039 24 ठमउमजंतं छं
7 त्ंपहंती
1ए493ए627 16 क्ंदजमूंकं 283ए479 25 ैनाउं छं
8 ठंेजंत
833ए318 17 ठपरंचनत
255ए180 26 डनदहमसप छं
9 ज्ञवतइं
1ए206ए563 18 छंतंलंदचनत 140ए206 27 ज्ञवदकंहंवद
28 ब्ीींजजपेहंती 255ए40ए196
ज्ंइसम.2 च्वचनसंजपवद ळतवूजी पद ब्ीींजजपेहंती;2001.2011द्ध
छव क्पेजतपबज च्वचनसंजपवद हतवूजीः छवण् क्पेजतपबज च्वचनसंजपवद हतवूजीः छव क्पेजतपबज च्वचनसंजपवद हतवूजीः
1 त्ंपचनत
34ण्70ः 10 डंींेंउनदक
20ण्05ः 19 ठंसतंउचनत छं
2 क्नतह 18ण्98ः 11 श्रंेीचनत 14ण्60ः 20 ैनतंरचनत छं
3 ठपसंेचनत
33ण्29ः 12 ज्ञंूंतकीं
40ण्71ः 21 ठंसवकं ठं्रंत छं
4 ैनतहनरं
19ण्66ः 13 क्ींउजंतप
13ण्19ः 22 ळंतपलंइंदक छं
5 श्रंदरहपत.ब्ींउचं
22ण्94ः 14 ज्ञंदामत
15ण्06ः 23 ठंसवक
छं
6 त्ंरदंदकहंवद
19ण्79ः 15 ज्ञवतपलं 12ण्38ः 24 ठमउमजंतं छं
7 त्ंपहंती
18ण्05ः 16 क्ंदजमूंकं
12ण्08ः 25 ैनाउं छं
8 ठंेजंत
17ण्96ः 17 ठपरंचनत
8ण्78ः 26 डनदहमसप छं
9 ज्ञवतइं
19ण्25ः 18 छंतंलंदचनत 19ण्16ः 27 ज्ञवदकंहंवद छं
28 ब्ीींजजपेहंती 22ण्61ः
ैवनतबमरूब्मदेने 2011
जनगणना 2011 में छत्तीसगढ में दशकीय 2001 से 2011 में जनसंख्या वृद्धि दर 22ण्61 प्रतिशत है। जिलों में सर्वाधिक वृद्धि दर कवर्धा जिले में 40 ण्71 प्रतिशत रायपुर 34ण्7: बिलासपुर 33ण् 29: है। सबसे कम वृद्धिदर बीजापुर 8ण्78ः कोरिया 12ण्38: दंतेवाडा 12 ण्08: है।चार जिलों में वृद्धिदर राज्य के औसत से अधिक एवं 14 जिलों में राज्य के औसत से कम वृद्धिदर है। तालिका 2 रेखाचित्र 2। जनगणना 2011 में छत्तीसगढ में दशकीय 2001 से 2011 में जनसंख्या वृद्धि दर 22ण्61 प्रतिशत है जो भारत की वृद्धि दर 17ण्64 से अधिक है। 1991से 2001 के मध्य यह वृद्धि दर 18ण्06ः थी।
ज्ंइसम. 3 ैमग तंजपव पद ब्ीींजजपेहंती; 2011द्ध
छवण् क्पेजतपबज ैमग तंजपव छवण् क्पेजतपबज ैमग तंजपव छवण् क्पेजतपबज ैमग तंजपव
1 त्ंपचनत
983 10 डंींेंउनदक
1ए018 19 ठंसतंउचनत छं
2 क्नतह
988 11 श्रंेीचनत 1ए004 20 ैनतंरचनत छं
3 ठपसंेचनत
972 12 ज्ञंूंतकीं
997 21 ठंसवकं ठं्रंत छं
4 ैनतहनरं
976 13 क्ींउजंतप
1ए012 22 ळंतपलंइंदक छं
5 श्रंदरहपत.ब्ींउचं
986 14 ज्ञंदामत
1ए007 23 ठंसवक
छं
6 त्ंरदंदकहंवद
1ए024 15 ज्ञवतपलं 971 24 ठमउमजंतं छं
7 त्ंपहंती
993 16 क्ंदजमूंकं
1ए022 25 ैनाउं छं
8 ठंेजंत
1ए024 17 ठपरंचनत
982 26 डनदहमसप छं
9 ज्ञवतइं
971 18 छंतंलंदचनत 998 27 ज्ञवदकंहंवद छं
28 ब्ीींजजपेहंती 991
ैवनतबमरू ब्मदेने 2011
लिंगानुपात प्रति हजार पुरूषों के पीछे स्त्रियों की संख्या को दर्शाता है। लिंगानुपात से जन्मदर एवं प्रजननता प्रभावित होती है, जहां लिंगानुपात अधिक होता है वहां प्रजननता भी अधिक होती है तथा लिंगानुपात कम होने से प्रजननता कम होती है, लिंगानुपात से किसी क्षेत्र के विकास के स्तर का ज्ञान हो सकता है, अधिक विकसित देशों में लिंगानुपात अधिक होती है, तथा पिछड़े दशों में लिंगानुपात कम होती है। छ.ग. में लिंगानुपात के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि छ.ग. में लिंगानुपात सदैव भारतीय औसत से अधिक रहा है तथा आदिवासी क्षेत्रों में लिंगानुपात 1000 से अधिक है। इसका कारण इन जिलों के आदिवासी प्रधान होना है। ये भ्रुण हत्या तथा परिवार नियोजन कार्यक्रमों में ज्यादा रूची नहीं लेते। जनसंख्या से संबंधित किसी भी अध्ययन में लिंगानुपात की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जनगणना 2011 में राज्य के सभी जिलों में लिंगानुपात देश के लिंगानुपात से अधिक है- दुर्ग, जांजगीर-चांपा, रायपुर, बीजापुर, सरगुजा, बिलाासपुर, कोरबा की लिंगानुपात राज्य के लिंगानुपात से कम है। राज्य में 1901 में लिंगानुपात 1046 था जो 1921 में घटकर 1041 रह गया। 1931 में थोड़ा सुधार होकर 1043 हो गया, इसके बाद लगातार कम होते होते 1991 में 985 रह गया। जनगणना 2001 में छ.ग. में लिंगानुपात 989 था, जो जनगणना 2011 में 991 हो गया, जनगणना 2001 में 8 जिलें ऐसे थे, जिनका लिंगानुपात 1000 से अधिक था वे जिले क्रमशः राजनांदगांव (1023), दन्तेवाड़ा (1026), महासमुंद (1018), नारायणपुर (1010), बस्तर (1017), कांकेर (1005), धमतरी (1004), कबीरधाम (1002) था। इसके अतिरिक्त जशपुर (997), रायगढ़ (994), जांजगीर-चांपा (998), बीजापुर (996) छ.ग. के औसत लिंगानुपात से अधिक था। जनगणना 2011 के अनुसार 7 जिलें ऐसे है जिनका लिंगानुपात 1000 से अधिक है, बस्तर (1024), दंतेवाड़ा (1022), महासमुंद (1018), राजनांदगांव (1027), धमतरी (1012), कांकेर (1007), जशपुर (1004) है। इसमें से जशपुर ऐसा जिला है जहां लिंगानुपात जनगणना 2001 में 1000 से निम्न (999) था, जो जनगणना 2011 में 1004 हो गया है। कबीरधाम नारायणपुर ऐसे जिले है जहां जनगणना 2001 में लिंगानुपात 1000 से अधिक था, जो जनगणना 2011 में 1000 से कम हो गया। जांजगीर-चांपा एक मात्र वह जिला है जहां जनगणना 2001 में लिंगानुपात राज्य औसत से अधिक (998) था, जो जनगणना 2011 में राज्य औसत से कम (986) हो गया, राज्य में जनगणना 2001 एवं 2011 की लिंगानुपात में प्रति हजार पुरूषों के पीछे महिलाओं की संख्या में 02 की वृद्धि हुई। जो कि बहुत कम है लेकिन भारतीय औसत (940) से छ.ग. में लिंगानुपात (991) अधिक है।10 जिले में लिंगानुपात राज्य औसत से अधिक एवं 8 जिलों में लिंगानुपात राज्य औसत से कम है।आदिवासी बहुल जिले में लिंगानुपात अधिक है। है।तालिका 3रेखाचित्र 3।
ज्ंइसम. 4 न्तइंद.त्नतंस चवचनसंजपवद पद ब्ीींजजपेहंती;2011द्ध
छवण् त्नतंस चवचनसंजपवद ः न्तइंद चवचनसंजपवद ः
च्वचनसंजपवद 19ए607ए961 76ण्76 5ए937ए237 23ण्24
च्वचनसंजपवद ळतवूजीः 17ण्78: 41ण्84:
डंसम 9ए797ए426 76ण्35 3ए035ए469 23ण् 65
थ्मउंसम 9ए810ए535 77ण् 17 2ए901ए768 22 ण्83
छत्तीसगढ राज्य कृिषप्रधान राज्य है जिसके कारण यहां की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। औद्योगीकरण में वृ़िद्ध हुई है लेकिन यह बहुत कम है।जनगणना 2011 के अनुसार छत्तीसगढ की 76ण्76 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है एवं केवल 23ण्24 प्रतिशत जनसंख्या शहरी है।सर्वाधिक शहरी जनसंख्या रायपुर दुर्ग बिलासपुर एवं कोरबा जिले में है।सर्वाधिक ग्रामीण जनसंख्या सरगुजा जशपुर कांकेर जिले में है।वे जिले जहां औद्योगीकरण हुआ है वहां शहरी आबादी अधिक है।
ज्ंइसम. 5 स्पजमतंबल पद ब्ीींजजपेहंती;2011द्ध
छवण् क्पेजतपबज स्पजमतंबल छवण् क्पेजतपबज स्पजमतंबल छवण् क्पेजतपबज स्पजमतंबल
1 त्ंपचनत
75ण्56ः 10 डंींेंउनदक
71ण्02ः 19 ठंसतंउचनत छं
2 क्नतह
79ण्06ः 11 श्रंेीचनत 67ण्92ः 20 ैनतंरचनत छं
3 ठपसंेचनत
70ण्78ः 12 ज्ञंूंतकीं
60ण्85ः 21 ठंसवकं ठं्रंत छं
4 ैनतहनरं
60ण्01ः 13 क्ींउजंतप
78ण्36ः 22 ळंतपलंइंदक छं
5 श्रंदरहपतब्ींउचं
73ण्07ः 14 ज्ञंदामत
70ण्29ः 23 ठंसवक
छं
6 त्ंरदंदकहंवद
75ण्96ः 15 ज्ञवतपलं 70ण्64ः 24 ठमउमजंतं छं
7 त्ंपहंती
73ण्26ः 16 क्ंदजमूंकं
42ण्12ः 25 ैनाउं छं
8 ठंेजंत
54ण्40ः 17 ठपरंचनत
40ण्86ः 26 डनदहमसप छं
9 ज्ञवतइं
72ण्37ः 18 छंतंलंदचनत 48ण्62ः 27 ज्ञवदकंहंवद छं
28 ब्ीींजजपेहंती 70ण्28ः
ैवनतबमरूब्मदेने 2011
जनगणना 2011 के अनुसार छत्तीसगढ की 70ण्28 प्रतिशत जनसंख्या साक्षर। पुरुषों का 80ण्27 एवं महिलाओं का 60ण्24 जनसंख्या साक्षर है। पुरुष महिला साक्षरता अंतराल 20ण् 03 प्रतिशत है । जनगणना 2001 में 64ण्66ः जनसंख्या साक्षर थी 2001 में पुरुषों का 77ण्38ः एवं महिलाओं का 51ण्85: जनसंख्या साक्षर थी। 2011 में जिलों में सर्वाधिक साक्षर जिला दुर्ग 79ण्06: राजनांदगांव जिला 75ण्96ः रायपुर जिला 75ण्56ः रायगढ 73ण्26ः जनसंख्या साक्षर है। सबसे कम साक्षर जिले बीजापुर 40ण्86ः दंतेवाडा 42ण्12ः नारायणपुर 48ण्62ः बस्तर 54ण्4ः जनसंख्या साक्षर है। तालिका 5 रेखाचित्र 4 एवं 5।
ज्ंइसम. 6 क्मदेपजल पद ब्ीींजजपेहंती;2011द्ध
छवण् क्पेजतपबज ैमग तंजपव छवण् क्पेजतपबज ैमग तंजपव छवण् क्पेजतपबज ैमग तंजपव
1 त्ंपचनत
328 10 डंींेंउनदक
216 19 ठंसतंउचनत छं
2 क्नतह
392 11 श्रंेीचनत 146 20 ैनतंरचनत छं
3 ठपसंेचनत
322 12 ज्ञंूंतकीं
194 21 ठंसवकं ठं्रंत छं
4 ैनतहनरं
150 13 क्ींउजंतप
196 22 ळंतपलंइंदक छं
5 श्रंदरहपत.ब्ींउचं
420 14 ज्ञंदामत
105 23 ठंसवक
छं
6 त्ंरदंदकहंवद
190 15 ज्ञवतपलं 100 24 ठमउमजंतं छं
7 त्ंपहंती
211 16 क्ंदजमूंकं
64 25 ैनाउं छं
8 ठंेजंत
135 17 ठपरंचनत
30 26 डनदहमसप छं
9 ज्ञवतइं
183 18 छंतंलंदचनत 27 ज्ञवदकंहंवद छं
28 ब्ीींजजपेहंती 189
ैवनतबमरू ब्मदेने 2011
जनसंख्या घनत्व एवं आथर््िाक विकास में कोई सीधा संबंध नहीं है। अमेरिका में जहां 32 ब्यक्ति प्रतिवर्ग कि मी एवं जापान में 351 ब्यक्ति प्रतिवर्ग किमी है जबकि दोनों ही विकसित राष्ट्र है। जनगणना 2011 के अनुसार छत्तीसगढ की जनसंख्या घनत्व 189 ब्यक्ति प्रतिवर्ग किमी है। सर्वाधिक घनत्व वाले जिले जांजगीर चांपा 420 दुर्ग 392 बिलासपुर 322 रायगढ 211 एवं धमतरी 196 ब्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। सबसे कम घनत्व वाले जिले बीजापुर 30 दंतेवाडा 64 कोरिया 100 ब्यक्ति प्रतिवर्ग किमी है। मैदानी क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व अधिक एवं पहाडी तथा वन क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व कम है। मैदानी क्षेत्र में औद्योगीकरण अधिक होना भी अधिक घनत्व का कारण है। तालिका 5 रेखाचित्र 7।
ज्ंइसम. 7 त्मसपहवदे पद ब्ीींजजपेहंती;2011द्ध
छवण् त्मसपहवद च्वचनसंजपवद ः
1 भ्पदकन 23ए819ए789 93ण्25
2 डनेसपउ 514ए998 2ण्02ः
3 व्जीमत त्मसपहपवद 494ए594 1ण्94ः
4 ब्ीतपेजपंद 490ए542 1ण्92ः
5 ठनककीपेज 70ए467 0ण्28ः
6 ैपाी 70ए036 0ण्27ः
7 श्रंपद 61ए510 0ण्24ः
8 छवज ।अंपसंइसम 23ए262 0ण्09ः
जनगणना 2011 के अनुसार छत्तीसगढ की जनसंख्या की 93ण्25ः हिन्दू है। हिन्दू धर्म में बेटे का जन्म आवश्यक माना जाता है जो माता पिता को मोक्ष दिलाता है यह धारणा पुरुष जनसंख्या में वृद्धि करता है।जो आर्थिक विकास को अप्रत्यक्ष रुप से प्रभावित करता है।2ण्02ः मुस्लिम 1ण्94:अन्य 1ण्92ः इसाई 0ण्28:बौद्ध 0ण्27ः सिक्ख 0ण्24ः जैन ळें
निष्कर्ष
किसी भी देश के विकास में जनसंख्या की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। जनसंख्या आर्थिक विकास से प्रभावित भी होती है। राज्य में देश की 2ण्1 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। जिसकी आधी लगभग महिला है। राज्य के विकास के लिए महिलाओं का विकास आवश्यक है। राज्य की 32 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति है राज्य के विकास के लिए उनका भी विकास प्रथम आवश्यकता है। जनगणना 2011 के अनुसार छत्तीसगढ की 76ण्76 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है जो कृषि कार्य में संलग्न है। राज्य के विकास के लिए कृषि का भी विकास अनिवार्य है। जनगणना 2001 में छ.ग. में लिंगानुपात 989 था, जो जनगणना 2011 में 991 हो गया, इसमें भी वृöि की आवश्यकता है। छत्तीसगढ की 70ण्28 प्रतिशत जनसंख्या साक्षर हैं । पुरुषों का 80ण्27 प्रतिशत एवं महिलाओं का 60ण्24 प्रतिशत जनसंख्या साक्षर है। पुरुष महिला साक्षरता अंतराल 20ण्03 प्रतिशत है विकास के लिए इस अंतराल को समाप्त करना अनिवार्य है। छत्तीसगढ की 23ण्24 प्रतिशत जनसंख्या नगरीय है नगरीयकरण विकास का प्रतीक है इसके लिए आवश्यक है कि ग्रामों का विकास किया जाय न कि पलायन के öारा नगरीय जनसंख्या में वृöि किया जाय।
संदर्भ
1. Bhende, A. A. and Kanitkar, T. (1978) “Principals of Population Studies” Himalaya Publishing House Bombay.
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Received on 20.02.2017 Modified on 12.03.2017
Accepted on 25.03.2017 © A&V Publication all right reserved
Int. J. Ad. Social Sciences. 2017; 5(1):39-47.