सर्वेक्षित ग्रामों में भूमि उपयोग एवं शस्य प्रतिरूप

 

Dr. Pritibala Chandrakar

Assistant Professor, Govt. Armari College, Armari, Dist. Balod CG

*Corresponding Author E-mail: priti.chandrakar1@gmail.com

 

ABSTRACT

नवागांव म परिवार की संख्या 30 है कुल जनसंख्या 410 है । इस गांव की 50.62 प्रतिषत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति एवं 5.10 प्रतिषत अनुसूचित जाति की है । 40 प्रतिषत जनसंख्या सामान्य वर्ग की है । यहाॅ साक्षर 80 प्रतिषत है । लिंगानुपात 1010 है । तथा 65 प्रतिषत जनसंख्या कार्यषील है । इस गांव में विकास की बहुत संभावनाएॅ है ।

 

KEYWORDS

 

 

स्थिति एवं विस्तार:-

बस्तर पठार भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिण पूर्व में स्थित है । बस्तर पठार पूर्व में उड़ीसा, पष्चिम में महाराष्ट्र, दक्षिण में आंध्रप्रदेष एवं उत्तर में रायपुर तथा दुर्ग जिले द्वारा सीमांकित है इसका विस्तार 170-46 उत्तरी अंक्षांष से 200-35 उत्तरी अक्षांष तक तथा 800-15 पूर्वी दंषान्तर से 820-15 पूूर्वी दंषान्तर तक है । बस्तर पठार की लम्बाई लगभग 288 कि.मी. तथा पूर्व पष्चिम चैड़ाई 200 कि.मी. है इसका क्षेत्रफल 39144 वर्ग कि.मी. है ।

 

बस्तर पठार में कुल 3722 ग्राम 4 नगर जगदलपुर, कांकेर, किरन्दुल, और कोण्डागांव है । 56 नगर पालिका क्षेत्र जगदलपुर, कंाकेर, किरन्दुल, कोण्डागांव, बीजापुर है बस्तर पठार में सात एकीकृत  आदिवासी विकास परियोजनाए संचालित है ।

 

भू-गर्भिक संरचना:-

बस्तर पठार का भू-पृष्ठ प्राचीन शैलो में निर्मित है । भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के अनुसार बस्तर पठार के शैलो को निम्नांकित समूहों में बांटा गया है ।

 

1.   विन्ध्य शैल समूह:- यह केषकाल के पूर्व एवं पष्चिमी भाग में कांकेर एवं कोण्डागांव की सीमा के बीच क्वार्टजाइट एवं बलुआ पत्थर की क्षैतिजक तहें है ।

2.   कडप्पा शैल समूहः- ये चट्टाने मर्दापाल (कोण्डागांव) से तीरथगढ़ (जगदलपुर तहसील) चित्रकुट में पायी जाती है । द.पं. सीमा पर भोपालपट्टनम से उत्तर पष्चिम की ओर कोटापली अबूमाड़ की पहाड़ियों में भी क्वार्टजाइट बलुआ पत्थर चूना पत्थर आदि चट्टाने मिलती है ।

3.   प्राचीन ट्रेप:-इसे दकनेड्रेप के नाम से भी जाना जाता है यह विन्ध्यन और कडप्पा से भी प्राचीन है । यह मख्यतः अबुझमाड़ का पहाड़ी क्षेत्र, ओरछा के पष्चिम में है । परलापुर, कोयलीबेड़ा (नारायणपुर तहसील) क्षेत्र में है ।

4.   अर्किनियन ग्रेनाइट और नाइस चट्टाने:- ये चट्टाने बस्तर पठार के लगभग तीन चैथाई क्षेत्र में दृष्टिगोचर होती है । यह प्राचीन ट्रेप से भी पुरानी है यह चट्टान अबुझमाड़ के पहाड़ी प्रदेष, भानुप्रतापुर तथा कोयलीबेड़ा क्षेत्र में पायी जाती है ।

5.   धारवाड़ क्रम:- यह कायतरित अवसादी शैल है । यह बैलाडीला पहाड़ी, रावधाट पहाड़ी भानुप्रतापपुर क्षेत्र में पायी जाती है ।

 

उच्चावंच-

बस्तर पठार का धरावतीय स्वरूप सभी जगह एक समान नहीं है । यह समुद्री सतह से 278.37 मीटर से 848 मीटर तक ऊची है । बस्तर क्षेत्र में 75 प्रतिषत भाग पठारी एवं पहाड़ी तथा 25 प्रतिषत क्षेत्र मैदानी है ।

 

1.   उत्तर का निम्न या मैदानी भाग:- इस भाग की ऊचाई समुद्र सतह से 300 से 430 मीटर उत्तर बस्तर क्षेत्र परालकोट, भानुप्रतापपुर, कोयलीबेड़ा, अंतागढ़ और कांकेर क्षेत्र में है ।

 

2.   केषकाल की घाटी:- यह घाटी कांकेर तथा भनुप्रतापपुर के दक्षिण में स्थित है। इसकी ऊचाई समुद्र सतक से 752 मीटर है ।

 

3.   अबुझमाड़ की पहाड़ी:- यह पहाड़ी क्षेत्र बस्तर पठार के मध्य में स्थित है समुद्र सतह से इसकी ऊचाई 600 मीटर से 750 मीटर के मध्य है यह तीन भागों में विभक्त है ।

 

1.   उत्तर पूर्वी पठार कोण्डागांव एवं जगदीपर में फैला हुआ है ।

2.   दक्षिण का पहाड़ी क्षेत्र दंतेवाड़ा एवं कोटा तहसील के उत्तरी भाग आते है ।

3.   दक्षिण निम्न भूमि इसके अन्र्तगत कोंटा तहसील का संपूर्ण भाग एवं बीजापुर तहसील का दक्षिणी भाग आते है ।

 

मिट्टी

प्राकृति प्रदत्त संसाधानों में मिट्टी अत्यंत महत्वपूर्ण है बस्तर पठार के अधिकांष भाग में ग्रेनाइट एवं नाइस चट्टानों का विस्तार है । जिसने अब रूपान्तरित होकर लाल मिट्टी का रूप ले लिया है। बस्तर पठार की मिट्टियों को स्थानीक वर्गीकरण के अनुसार 4 भागों में विभक्त किया जा सकता है ।

 

1.   कन्हार मिट्टी:- बस्तर पठार में काली चिकनी मिट्टी को कन्हार मिट्टी के नाम से जाना जाता है । इसमें सामान्यतः सिंचाई की आवष्यकता नहीं पड़ती । पठार में इस मिट्टी का विस्तार कांकेर नरहरपुर, जगदलपुर, बस्तर, तोकापाल तथा बकावंड विकासखण्ड में है ।

 

2.   मटासी मिट््टी:- यह उष्ण कटिबंधीय रेतीली देामट मिट्टी है इस मिट्टी का रंग पीला या सफेद से हल्का मध्यम पीला भूरा होता है । इसमें नमी धारण करने की क्षमता कम होती है । इसका विस्तार भानुप्रतापुर, अंतागढ़, दुर्गकोंदल, केायलीबेड़ा, बीजापुर, दंतेवाड़ा तथा कुआकोंडा विकासखण्ड में है ।

 

3.   डोरसा मिट्टी:- यह गहरी चीका (कन्हार) और पीली भूरी दोमट (मटासी) के मिश्रण से बनी है । इसका रंग भूरी-पीली, मिश्रित काली भूरी अथवा गंहरी भूरी होती है । यह माकड़ी, बड़ेराजपुर, फरसगांव, नारायणपुर तथा कोंडागांव विकासखण्डों में मिलता है ।

 

4.   भाठा मिट्टी:- यह लाल रंग की मोटे कणों वाली कंकड़युक्त अनुपजाऊ मिट्टी है । इसका विस्तार भानुप्रतापपुर, अंतागड़, नारायणपुर, कांकेर, भोपालपट्टनम, कोंटा, जगदलपुर, क्षेत्र में पाया जाता है । यह ग्रेनाइट नाइस चट्टाने, कड़प्पा क्रम की बलुआ पत्थर चूना पत्थर पाया जाता है ।

 

अपवाह तंत्र

प्रवाह प्रणाली पर भू संरचना, चट्टानों की प्रकृति, भूमि की ढाल जल का प्रवाह का बेग एवं आकार का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है । मध्य जून से अक्टुबर तक वर्षा के कारण नदियों में पानी की मात्रा बहुत अधिक रहती है ष्षीत ऋतु, में नदियों में पानी की मात्रा कम होने लगती है । ग्रीष्म ऋतु में नदिया लगभग सूख जाती है । यहा पर नदीयों को दो प्रवाह बेसिनों में विभक्त किया जा सकता है । (1) महानदी बेसिन  (2) गोदावरी बेसिंन

 

(1)  महानदी बेसिन:- यह बस्तर पठार की उपरी निम्न भूमि में प्रवाहित होती है । यह नदी धमतरी जिले में सिहावा के निकट ऋगीऋषि पर्वत से निकलकर बस्तर पठार में कांकेर तहसील में प्रवाहित होती है यह उत्तर बस्तर की मुख्य नदी है इसकी सहायक नदियां दूरी, दूध, हरकुल एवं सेन्दुर है । इस नदिया की लम्बाई मात्र 64 कि.मी. है ।

 

(2) गोदावरी बेसिन:- इसमें गोदावरी एवं उसकी सहायक इन्द्रावती , षबरी, नारंगी, नवभारत, कोटरी, नदियां है । यह बेसिन बस्तर पठार के लगभग 75 प्रतिषत भाग में विस्तत है।

 

1.   गोदावरी बेसिन:- बस्तर जिले में भद्रकाली के पास आंध्रप्रदेष और छत्तीसगढ़ की सीमा बनाते हुए केवल 16 कि.मी. में प्रवाहित होती है ।

 

2.   इन्द्रावती नदी:- यह बस्तर पठार की सबसे महत्वपूर्ण नदी है । यह नदी उड़ीसा के कालाहाड़ी जिला अन्तर्गत भू-आमूल  से निकलकर पुरे पठार में 386 कि.मी. में पूर्व से पष्चिम में प्रवाहित होती है इन्द्रावती नदी जगदीपुर एवं बारसूर होकर बस्तर पठार के मध्य में प्रवाहित होती है । जगदलपुर से लगभग 40 कि.मी. दूरी पर चित्रकोट नामक जल प्रपात बनाती है इन्द्रावती नदी के दोनो तटों पर कई सहायक नदियां मिलती है । उत्तर में बोरथिग, नारगी, उत्तर पूर्व की ओर गुडरा नदी, निबरा नदी, उत्तर पष्चिम की ओर मुड़कर इन्द्रावती में मिलती है दक्षिण तट की नदियां, बारन्दी और चिन्तावगु है। इन्द्रावती को बस्तर पठार की जीवन रेखा कहा जाता है ।

 

3.   सबरी नदी:-   यह नदी बस्तर पठार की दक्षिणी निम्न भूमि में प्रवाहित हाती है । यह नदी टिकनापल्ल्ी, गोलापल्ली की पहाड़ियों द्वाारा दो शाखाओं में विभक्त हो जाती है । यह पष्चिम में प्रवाहित होती हुई गोदावरी में मिल जाती है । इसे गुनलनदी कहते है । कांगेर  इसकी प्रमुख सहायक नदियां है, जो पूर्वी घाट में कोरापुट पठार से निकलकर जैपोर पठार की ओर प्रवाहित होती कांगरे नदी तीरथगढ़ में जलप्रपात बनाती है।

 

ग्राम कोरा

ग्राम कोरा भानुप्रतापपुर तहसील के उत्तर पूर्व में स्थित है । इसका विस्तार 200-30 उत्तरी अक्षांष तथा 810-0 पूूर्वी दंषान्तर के मध्य है । इसका क्षेत्रफल 532.387 हेक्टेयर है यह समुद्र सतह से 300 मीटर उचा है। इसका ढाल उत्तर ेस उत्तरपूर्व की ओर है  । यहाॅ   2 कुआ 1 हेण्डपम्प, 1 तालाब माध्यमिक विद्यालय, पोस्ट आफिस, बिजली की सुविधा, साप्ताहिक बाजार की सुविधा है । यहाॅ चिकित्सालय की सुविधा नहीं है । यह जनजाति बहुल ग्राम है ।

 

भूमि उपयोग प्रतिरूप:-

कोरा ग्राम में उत्तर पूर्व में निवास स्थान दक्षिण पष्चिम में कृषि क्षेत्र का 51.49 प्रतिषत है। इस ग्राम का पृष्ट क्षेत्रफल 532.387 हेक्टेयर है ।

 

इसमें 50.57 प्रतिषत निराबोया गया क्षेत्र है । तथा 0.92 प्रतिषत पड़ती भूमि है । कृषि के लिए जो भूमि अयोग्य है । 4.49 प्रतिषत है । अकृषि भूमि जिसमें पड़ती सम्मिलित नहीं 23.20 प्रतिषत है । ग्रामीण वन 20.84 प्रतिषत है । अतः भविष्य में वनोत्पादन को बढ़ावा देत हुए कृषि विस्तार की संभावना विद्यमान  है ।

खरीफ/रबी मौसम में भूमि उपयोग:-

ग्राम कोरा में खरीफ फसल का क्षेत्रफल 269.36 हेक्टेयर है । जो कुल फसल क्षेत्र के 95.83 प्रतिषत क्षेत्र है, इसमें धान 74.74 प्रतिषत क्षेत्र, कोदो कुटकी 12.34 प्रतिषत क्षेत्र में, माड़िया 3.25 प्रतिषत क्षेत्र में तथा दहन 1.82 प्रतिषत क्षेत्र में, तिलहन 1.71 प्रतिषत क्षेत्र में बोया जाता है । रबी मौसम में 11.70 हेक्टेयर भूमि पर कृषि की जाती है शेष कृषि भूमि इस समय पड़ती के रूप में रहती     है । इस मौसम का प्रमुख फसल अनाज में गेहु जिसका क्षेत्रफल 8.21 हेक्टेयर है, सरसो 2.41 हेक्टेयर, अलसी 1.08 हेक्टेयर  है। इस ग्राम में सिंचाई सुविधा के आभाव के कारण रबी मौसम में फसले बहुत कम बोयी जाती है। जो कुल फसली क्षेत्र का 4.16 प्रतिषत है। कोरा ग्राम का फसल प्रतिरूप (तालिका क्र 3.2 में दर्षाया गया है ।

 

भूमि उपयोग एवं जनंख्या:-

ग्राम कोरा में परिवारों की संख्या 26 है एवं जनसंख्या 308 है । इस ग्राम की 69.83 प्रतिषत अनुसूचित जनजाति, 5.93 प्रतिषत जनसंख्या अनुसूचित जाति की है । सिर्फ 25 प्रतिषत जनसंख्या समान्य वर्ग की है । यहाॅ लिंगानुपात 1009 है यहाॅ साक्षर 70.24 प्रतिषत है तथा 61.24 प्रतिषत जनसंख्या कार्यषील है । इस गांव मे गोड़ हल्बा, भूरिया जाति प्रमुख है ।

 

ग्राम नवागांव

ग्राम नवागांव कांकेर मुख्यालय से 8 कि.मी. दुर पर उत्तर मध्य  में नदी के किनारे स्थित है । इसका विस्तार 200-35 उत्तरी अक्षांष तथा 810-35 पूूर्वी दंषान्तर के मध्य है । इसका क्षेत्रफल 575.44 हेक्टेयर है यह समुद्र सतह से 300 मीटर उचा है। इसका ढाल दक्षिण पूर्व की ओर है  । यहाॅ एक प्राईमरी स्कूल, माध्यमिक विद्यालय, उच्च्तर विद्यालय है । यहाॅ 3 कुआ 4 हेण्डपम्प, 2 तालाब, पोस्ट आफिस, बिजली की सुविधा, सहकारी बैंक, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं साप्ताहिक बाजार की सुविधा है ।

 

भूमि उपयोग प्रतिरूप:-

नवागांव ग्राम में कृषि क्षेत्र उत्तर मध्य क्षेत्र में स्थिान है । इसका क्षेत्रफल 222.506 हेक्टेयर है । जो पृष्ठ के कुल क्षेत्र का 38.66 प्रतिषत है

 

भूमि उपयोग प्रतिरूप:-

इसमें निरा बोया गया क्षेत्र 26.83 प्रतिषत है तथा 11.83 प्रतिषत पड़ती है । आवास स्थान पष्चिम क्षेत्र में जो कृषि के लिए भूमि अयोग्य है । 33.47 प्रतिषत क्षेत्र में अकृषि भूमि जिसमें पड़ती सम्मिलित नहीं है । 15.98 प्रतिषत क्षेत्र में ग्रामीण वन 11.89 प्रतिषत क्षेत्र में है।

 

 अकृषि भूमि जिसमें पड़ती सम्मिलित नहीं है ।ें 15.98 प्रतिषत क्षेत्र में ग्रामीण वन है । अतः यहाॅ सरकारी योजनाओं के तहत सिंचाई सुविाा उपलब्ध हो जाये तो यहाॅ भविष्य में कृषि विस्तार की प्रबल संभावनाए है ।

 

 खरीफ/रबी मौसम में भूमि उपयोग:-

नवागांव में खरीफ फसल का कुल क्षेत्रकुल क्षेत्रफल 154.36 हेक्टेयर है। जो कुल फसल क्षेत्र के 84.11 प्रतिषत क्षेत्र में धान 59.94 प्रतिषत क्षेत्र में, कोदो कुटकी 5.52 प्रतिषत क्षेत्र में, मक्का 7.00 प्रतिषत क्षेत्र में, दलहन 5.03 प्रतिषत क्षेत्र में, तिलहन 2.26 प्रतिषत क्षेत्र में, सब्जिया। 0.99 प्रतिषत क्षेत्र में बोयी जाती है । (तालिका क्र. 3.4 में विस्तृत वर्णन है ) रबी फसल में 29.16 हेक्टेयर भूमि पर कृषि की जाती है यह कुल फसली क्षेत्र का 15.88 प्रतिषत है। गेहु 12.24 हेक्टेयर में, चना 8.12 हेक्टैयर में, सरसो 7.24 हेक्टेयर में, अलसी 1.56 हेक्टेयर में बोयी जाति है ।

 

भूमि उपयोग एवं जनसंख्या:-

नवागांव म परिवार की संख्या 30 है कुल जनसंख्या 410 है । इस गांव की 50.62 प्रतिषत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति एवं 5.10 प्रतिषत अनुसूचित जाति की है । 40 प्रतिषत जनसंख्या सामान्य वर्ग की है । यहाॅ साक्षर 80 प्रतिषत है । लिंगानुपात 1010 है । तथा 65 प्रतिषत जनसंख्या कार्यषील है । इस गांव में विकास की बहुत संभावनाएॅ है ।

 

संदर्भ ग्रंथ सूची -

Agrawal P.C. 1983      “Spatial Analysis of the levels of agricultural Development in

Madhya Pradesh” National Geographer lol. 18 No.2, PP 205-13

Ali G.S. and S.M. Shahib Hassan 1989           Agricultureal Facilities and Food crops Production in sarguja District the Deccan Geographer vol XXVII, No 1 Jan-Jun PP175492

Ali Mohammad 1979               Dynamics of Agricultral Development in India Concert Publishing Company New Delhi

Zimmerman E.W. 1951            World Resources and Industries New York : Harper and Brothers

 

 

Received on 12.04.2016       Modified on 18.05.2016

Accepted on 11.06.2016      © A&V Publication all right reserved

Int. J. Ad. Social Sciences 4(2): April- June, 2016; Page 71-77