रायपुर क्षेत्र के असंगठित क्षेत्र में बाल-श्रमिक के मजदूरी का आर्थिक अध्ययन

 

Dr. (Mrs.) Aradhana Shukla

Assistant Professor, Commerce, Radhabai Navin Kanya Mahavidyalaya, Raipur CG

*Corresponding Author E-mail: saiaradhna09@gmail.com

 

ABSTRACT:

किसी देश के बच्चों की अच्छी या बुरी दशा की वहाॅं की संस्कृति स्तर का सबसे विश्वसनीय मापदण्ड होता है। बालक, मानव-इतिहास का निर्माण एवं मानव जीवन का नींव है, उसका सुरक्षित रहना अत्यंत आवश्यक है।

 

KEYWORDS: बाल-श्रमिक, मजदूरी

 

 प्रस्तावना -

बच्चे की जो आयु स्कुल की बेंच पर बैठकर अपना पाठ याद करने और समझने की होती है, खेल की बगिया में मुस्कहरटो के फूल बिखरने की होती है, उसी अल्प आयु में बहुत से देष के मासूम बच्चे होटल या रेस्टोरेंट में काम करते है।

 

हमारे देष में वर्तमान में बाल मजदूरों की संख्या लगभग 7 से 8 करोड़ है, जिनकी आयु 5 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक है। प्रतिवर्ष बाल दिवस अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर मनाते अथवा राष्ट्रीय स्तर पर किंतु बाल श्रमिक की संख्या पर कदाचित ही उसका कोई प्रभाव पड़ता है, इन कार्यक्रमों में केवल स्कूली बच्चे एवं संभ्रात परिवार के बच्चे ही हिस्से लेते है, किंतु बाल श्रमिक नहीं होते बच्चे अंधकारमय भविष्य के साथ जीवन निर्वाह करते हुए अपने माॅं-बाप के बुढ़ापे की लाठी बने हुए ।

 

हमारे यहाॅं गरीबी अभिशाप है, जिसका प्रमुख कारण निरंतर बढ़ती हुयी बच्चों की संख्या ही कहा जायेगा। अतः चिड़िया के चूजों की तरह गरीब तुनबे के बच्चों के पर असमय ही निकलने लगते हैं, और काम की तलाष में अपने घरों से फुर्र होकर खतरनाक उद्योगो में भी काम तलाषने लगते है।

 

अध्ययन का क्षेत्र -

यह शोध पत्र रायपुर नगर के असंगठित क्षेत्र में कार्यरत बाल श्रमिको का आर्थिक विष्लेषण किया गया है।

 

आॅकड़े का संग्रहण -

यह शोध पत्र मुख्य रूप से प्राथमिक संमको पर आधारित है। कार्यलय, श्रमायुकत रायपुर नगर द्वारा किये सर्वे के अनुसार असंगठित क्षेत्र में बाल - श्रमिको की कुल संख्या 657 ज्ञात की गयी जिसमें 302 लड़के तथा 355 लड़किया थी। कार्यरत बाल-श्रमिक जिन व्यावसायो में संलग्न है उनमें ठेला, घरेलू कार्य, मजदूरी आॅटो सेंटर, अगरबत्ती निर्माण, हाॅटल आदि आते हैं। मुख्यतया इस शोध कार्य में घरेलू कार्य, आॅटो सेंटर, हाॅटल में कार्यरत बाल-श्रमिकों को शामिल किया गया है।

 

शोध प्रविधि -

अध्ययन हेतु 305 न्यादर्ष बाल श्रमिको का चुनाव किया गया है। न्यादर्श का चुनाव ‘‘संभावना अनुपात विधी’’ (च्च्ै) के द्वारा किया गया है। एकत्रित न्यादर्ष बाल श्रमिक रायपुर नगर में कार्यरत कुल-श्रमिकांे का 46 प्रतिशत है।

 

बाल - श्रमिको की मजदूरी का विश्लेषण -

किसी भी परिवार का व्यय तथा बचत पूर्णतः उस परिवार की कुल आय पर निर्भर करता है। आय-स्तर को निर्धारित करता है।

 

जब कोई श्रमिक अपने श्रमदान के फलस्वरूप कुछ पारिश्रमिक प्राप्त करता है, तो उसे मजदूरी कहा जाता है। बाल - श्रमिको की मजदूरी दर एक ही उपक्षेत्र होने के बावजूद भी भिन्न - भिन्न है, क्योकिं बाल-श्रम एक ऐसा श्रम है जिनमें संगठन नहीं है। असंगठन के कारण ही इनके मजदूरी दरों में निश्चित नहीं है। इसे तालिका में दर्शाया जा रहा है।

 

तालिका के अध्ययन से यह तथ्य सामने आता है कि न्यादर्ष 305 बाल-श्रमिकों में से सर्वाधिक मजदूरी 201-300 रू. तक मजदमरी प्राप्त करने वाले बाल श्रमिकों की संख्या 249 (81.64:) हाॅटल व्यवसाय में काय्ररत 35 श्रमिक (69:) तत्पष्चात् अंत में 355 श्रम 100-200 रू. की मजदूरी प्राप्त करते है। विष्लेशण में यह कहा जा सकता है कि अधिकाधिक श्रमिकों की मजदूरी 200-300 रू. है, जिनका प्रतिषत कुल न्यादर्ष में 81.64: है।

 

संदर्भ ग्रंथ सूची -

1.                       अग्रवाल, डा. उमेश चंद्र, ‘‘इलिमेशन आॅफ चाइल्ड लेबर प्राबल्म एण्ड साल्कसन’’ कुरूक्षेत्र, टवस 41ए छवण् 01ए छवअ 1995 च्च 18.21

2.                       अविनाश स्वामी, ‘‘चाइल्ड लेबर इन इण्डिया’’ कुरूक्षेत्र, टवस 41ए छवण् 01ए छवअ 1995 च्च 18.21

3.                       अनिल कुमार, ‘‘चाइल्ड लेबर अ सेन्टर पोरेरी सोशियल सिविल एक्शन’’टवस 41ए छवण् 01ए छवअ 1995 च्च 18. 21

4.                       इण्डियन काउिन्सल फार चाइल्ड वेलफेयर ‘‘वर्किग     चिलड्रन       इन लेबर’’ देलही  प्ब्ब्ॅए छमू क्मसीपए   1977ण्

 

 

 

Received on 11.04.2016       Modified on 12.05.2016

Accepted on 04.06.2016      © A&V Publication all right reserved

Int. J. Ad. Social Sciences 4(2): April- June, 2016; Page 69-70